पर्व मनाने के तौर-तरिकों में आया बदलाव, लेकिन आज भी बहन-भाई में है वैसा ही अटूट प्यार
पर्व मनाने के तौर-तरिकों में आया बदलाव, लेकिन आज भी बहन-भाई में है वैसा ही अटूट प्यार
आंतेला.
भाई-बहन के अटूट रिश्ते व प्यार के प्रतीक त्योहार रक्षाबंधन के आने में महज आज के दिन का समय शेष रह गया है। इस त्योहार को लेकर लोगों में खासा उत्साह देखा जा रहा है। रंग-बिरंगी राखियों से बाजार पट गए हैं। घर से बाजार तक राखी से संबंधित गीत भी बजने लगे हैं। पोस्ट ऑफिस व कूरियर से राखी भेजने का भी काम अंतिम दौर पर पहुंच गया है। कई नौकरी पेशा लोग रक्षाबंधन पर छुट्टी लेकर घर दूसरे प्रदेश से अपने घर लौट रहे हैं, ताकि रक्षाबंधन पर्व को अपनों के बीच मना सके। पत्रिका संवावदाता ने मंगलवार को रक्षा बंधन को लेकर युवाओं से बातचित की। आंतेला निवासी चंदन शर्मा व बीरबल मीणा एडवोकेट ने बताया कि रक्षाबंधन भाई और बहन के पवित्र रिश्ते का पर्व है, प्राचीन काल से इस पर्व को हर्षोल्लास से मनाया जा रहा है। प्राचीन काल में बहनें कई किलोमीटर दूर पैदल चलकर भाई के घर पहुंचती थी। आज भी चहुंओर पर्व का उल्लास देखने को मिल रहा है। हंसराज सैनी ने कहा कि यह पर्व अमीर और गरीबी से हटकर पर्व है। पहले भी भाई अपनी बहन को यथाशक्ति उपहार देता था तो आज भी भाई अपनी यथाशक्ति बहन को उपहार देता है। जिसे बहन खुशी-खुशी प्राप्त करती है।(नि.सं.)
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डाक से भेजी जा रही है राखी
वार्ड पंच अशोक मीणा, जयराम नागर का कहना है कि हालांकि इस आधुनिकता युग में पर्व मनाने के तौर-तरिकों में कुछ बदलाव देखने को मिल रहा है, लेकिन बहन-भाई का जो प्यार था, वह आज भी वैसा ही है। भाई से काफी दूरी पर रहने वाली बहनें अब आधुनिकता के इस युग में पोस्ट ऑफिस व कोरियर से भी राखी भेज रही है। वहीं भाई भी पोस्ट ऑफिस एवं कोरियर से उपहार भेज रहे है। पहले राखी के नाम पर सिर्फ मोली होती थी, लेकिन वर्तमान में एक से बढ़कर एक आकर्षक व रंग- बिरंगी राखियां रास्ते से गुजरने वाले हर किसी को आकर्षित कर रही है। बाजार में कई आकर्षक एवं ब्रांडेड राखियां आ रही है। लेकिन जो हमारे भाई और बहन का जो प्यार था, वह आज भी वैसा ही है।
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