इसको लेकर कस्बे के श्रीकर्ण नरेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय के कीट विज्ञान विभाग में जैविक कीट प्रबंधन इकाई में कुलपति डॉ. जेएस सन्धू के जैविक खेती को बढ़ावा देने के प्रयासों से विवि में यह कार्य शुरू हुआ है।
अलावा नीम उत्पाद भी किया
महाविद्यालय अधिष्ठाता डॉ. एके गुप्ता ने बताया कि इस इकाई में ट्राइकोग्रामा कार्ड को प्रयोगशाला में विकसित किया जाएगा, जिससे की लटो व सूण्डियों पर नियंत्रण किया जा सकेगा। इसके अलावा नीम उत्पाद भी किया जा रहा है। रसायनों के अत्यधिक उपयोग से उत्पन्न दुष्प्रभावों को कम करने के लिए यह उत्पाद बहुत लाभदायक तथा नाशीकीटों को नियंत्रण करने में प्रभावी रहेंगे।
महाविद्यालय अधिष्ठाता डॉ. एके गुप्ता ने बताया कि इस इकाई में ट्राइकोग्रामा कार्ड को प्रयोगशाला में विकसित किया जाएगा, जिससे की लटो व सूण्डियों पर नियंत्रण किया जा सकेगा। इसके अलावा नीम उत्पाद भी किया जा रहा है। रसायनों के अत्यधिक उपयोग से उत्पन्न दुष्प्रभावों को कम करने के लिए यह उत्पाद बहुत लाभदायक तथा नाशीकीटों को नियंत्रण करने में प्रभावी रहेंगे।
हानिकारक कीटों का नियंत्रण कर सकेंगे
इकाई प्रभारी डॉ. सुरेश खींची ने बताया कि कीट विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. बीएल जाट, डॉ. केसी कुमावत व डॉ. अख्तर हुसैन की टीम द्वारा स्नातक अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों को ग्रामीण उद्यमिता जागरूकता विकास योजना के माध्यम से जैव कीटनाशकों के उत्पादन एवं जैव कारको जैसे परभक्षी एवं परजीव्याभ कीटों का प्रयोगशाला में पालन करके एवं फसलों पर छोड़कर हानिकारक कीटों का नियंत्रण कर सकेंगे।
इकाई प्रभारी डॉ. सुरेश खींची ने बताया कि कीट विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. बीएल जाट, डॉ. केसी कुमावत व डॉ. अख्तर हुसैन की टीम द्वारा स्नातक अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों को ग्रामीण उद्यमिता जागरूकता विकास योजना के माध्यम से जैव कीटनाशकों के उत्पादन एवं जैव कारको जैसे परभक्षी एवं परजीव्याभ कीटों का प्रयोगशाला में पालन करके एवं फसलों पर छोड़कर हानिकारक कीटों का नियंत्रण कर सकेंगे।
उद्यमिता विकास हो सकेगा इससे विद्याथियों में स्वरोजगार के लिए उद्यमिता विकास हो सकेगा। डॉ. खींची ने बताया कि इसके द्वारा विद्यार्थी उद्यमिता के साथ स्वरोजगार शुरू कर उत्पादित जैव कीटनाशी किसानों की सेवा में उपलब्ध करा सकेंगे। इस इकाई को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली वित्तिय सहायता उपलब्ध करा रहा है।