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हिन्दी दिवस….राष्ट्र का गौरव है हिन्दी

क्षेत्र में कई जगह हिन्दी दिवस मनाया गया। स्कूलों व कॉलेजों में विभिन्न विषयों पर प्रतियोगिताएं भी आयोजित हुई। शाहपुरा के राजकीय महिला कॉलेज में निबंध, संस्मरण व कहानी लेखन प्रतियोगिता में भाग लेने वाली 34 छात्राओं को प्रमाणपत्र व साहित्यिक कृति देकर पुरस्कृत भी किया गया।

बस्सीSep 14, 2018 / 09:44 pm

Satya

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हिन्दी दिवस….राष्ट्र का गौरव है हिन्दी

हिन्दी दिवस….अभिव्यक्ति की भाषा किसी परिधि में नहीं बंधती पर छटपटाहट जरूरी

हिन्दी दिवस मनाया, कई जगह प्रतियोगिताएं हुई

शाहपुरा। क्षेत्र में कई जगह हिन्दी दिवस मनाया गया। स्कूलों व कॉलेजों में विभिन्न विषयों पर प्रतियोगिताएं भी आयोजित हुई। कस्बे के बाबा गंगादास राजकीय महिला महाविद्यालय में अखिल भारतीय साहित्य परिषद व महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में शुक्रवार को हिन्दी दिवस मनाया गया। इस अवसर पर साहित्यकार व कवि कैलाश मनहर ने कहा कि अभिव्यक्ति की भाषा किसी परिधि में नहीं बंधती पर अपने भीतर की वर्जनाओं को तोडऩे के लिए छटपटाहट अनिवार्य है। आज की विषमताओं से हम रुबरु होने लगते हैं, तब मन का लेखक बाहर आने को होता है। कवि मनहर ने कहा कि भारत विविधताओं वाला देश है। इस देश में हर राज्य की अपनी अलग संस्कृति और पहचान है। इसके बावजूद भारत देश में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा हिन्दी है। भारत में हर साल १४ सितम्बर को हिन्दी दिवस मनाया जाता है। हिन्दी भाषा को जीवित रखने व प्रचार प्रसार के लिए १५ दिन तक हिन्दी पखवाड़ा भी मनाते हैं, इसके अफसोस इस बात का है कि सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा को वह स्थान नहीं मिल रहा, जो मिलना चाहिए। अपने ही देश के लोग हिन्दी बोलने वालों को पिछड़ा समझते हैं। परिषद के रामस्वरुप रावतसरे ने कहा कि हिन्दी हमारी मातृ भाषा है, जो जन्म से ही बालक बोलना शुरू करता है। उन्होंने कहा कि हिन्दी में लेखन किसके लिए हो और किस उद्देश्य से हो, जैसे प्रश्नों के उत्तर खोजने के लिए इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। विहिप के केदार टांक ने कहा कि उच्च प्रशासकों की उच्च अट्टालिकाओं, बड़े-बड़े वाणिज्यिक संस्थानों व पब्लिक स्कूलों के गलियारों में हिन्दी के प्रतिष्ठित होते ही उसका सिंघासन सुरक्षित हो जाएगा। कैलाश मीना ने कहा कि जिस भाव के जन्म से स्वयं के भीतर रुचिकर प्रतीति हो और वही भाव शब्दों में अभिव्यक्ति पा लें, वह सभी के पढ़े जाने योग्य होता है। हिन्दी विभाग की सह आचार्य डॉ. शकुन्तला गर्ग ने भी हिन्दी दिवस का इतिहास बताया।
मुख्य अतिथि चेयरमैन रजनी पारीक ने सृजनात्मक प्रतिभा से छात्राओं को अवगत कराया। विशिष्ट अतिथि पार्षद किरण शर्मा ने हिन्दी भाषा के शुद्ध लिखने व बोलने के लिए लेखन के लिए प्रोत्साहित किया। कार्यक्रम में महाविद्यालय के कई संकाय सदस्य, अखिल भारतीय साहित्य परिषद के सदस्य व छात्राएं मौजूद थी। साहित्यकार कमलकान्त शर्मा ने भी हिन्दी भाषा की विशेषताएं बताई। कार्यक्रम का संचालन हिन्दी विभाग की सह आचार्य डॉ. आभा जैन ने किया। इस मौके पर मेल नर्स कैलाश शर्मा समेत कई लोग मौजूद थे।
हिन्दी दिवस पर कॉलेज की 34 छात्राएं पुरस्कृत

कॉलेज में परिषद की ओर से आयोजित निबंध, संस्मरण व कहानी लेखन प्रतियोगिता में भाग लेने वाली 34 छात्राओं को हिन्दी दिवस पर प्रमाणपत्र व साहित्यिक कृति देकर पुरस्कृत भी किया गया।
चिमनपुरा के कला कॉलेज में हुई विभिन्न प्रतियोगिताएं

चिमनपुरा के बीएनडी राजकीय कला महाविद्यालय में प्राचार्य डॉ. कान्ता कामरा की अध्यक्षता एवं हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. बीएल महावर के निर्देशन में विविध प्रतियोगिताएं आयोजित हुई। सह आचार्य हिन्दी डॉ. कुन्दो रानी डे ने हिन्दी भाषा की व्युत्पत्ति, राष्ट्रभाषा एवं हिन्दी दिवस का महत्व तथा हिन्दी की व्यावहारिकता को स्पष्ट करते हुए छात्र-छात्राओं को उद्बोधन दिया। उन्होंने हिन्दी भाषा का अधिक से अधिक प्रयोग कर दिल से अपनाने की बात कही। प्राचार्य ने बताया कि कॉलेज में आयोजित काव्यपाठ प्रतियोगिता में विक्रम कपूरिया प्रथम, सरोज गुर्जर द्वितीय स्थान पर रहे। आशु भाषण में विक्रम कपूरिया प्रथम और महिमा सैनी द्वितीय, निबंध में अनिल कुमार यादव प्रथम और मनीष कुमार यादव दूसरे स्थान पर रहे।
राष्ट्र का गौरव है हिन्दी

कस्बे में राजस्थान ग्रामोत्थान एवं संस्कृत अनुसंधान संस्थान शाहपुरा की ओर से संस्थान निदेशक व साहित्यकार डॉ. शंकरलाल शास्त्री की अध्यक्षता में हिन्दी दिवस पर हिन्दी की दशा एवं दिशा विषय पर व्याख्यान कार्यक्रम हुआ। इस दौरान डॉ. शास्त्री ने कहा कि भारत के संविधान में हिन्दी को राजभाषा का दर्जा प्राप्त है। आज फिल्मी व मीडिया जगत में हिन्दी सर्वोत्तम भाषा सिद्ध होती जा रही है। संचार क्रांति में भी हिन्दी का नवयुग सा आ रहा है। उन्होंने कहा कि हिन्दी भाषा आज विदेशों में भी बोली व समझी जाती है, लेकिन दुभाग्य है कि आज हिन्दी को जो स्थान मिलना चाहिए, वह नहीं मिल पाया। इस मौके पर कई लोगों ने विचार रखे।

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