कंस्ट्रक्शन और डेमोलिशन अपशिष्ट प्रबंधन में अपार संभावनाएं: वीनू गुप्ता
‘कंस्ट्रक्शन एवं डेमोलिशन अपशिष्ट प्रबंधन नियमÓ पर वेबिनार का आयोजन
कंस्ट्रक्शन और डेमोलिशन अपशिष्ट प्रबंधन में अपार संभावनाएं: वीनू गुप्ता
जयपुर, 28 जून
राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की चेयरमैन वीनू गुप्ता ने कंस्ट्रक्शन और डेमोलिशन अपशिष्ट के वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि अभी भारत में इस तरह के कुल अपशिष्ट का मात्र एक फीसदी ही पुन:चक्रित हो रहा है जो कि विकसित देशों के मुकाबले बहुत कम है तथा उन्होंने भागीदारों से इसे बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया। पीएचडी चैम्बर राजस्थान चैप्टर की ओर से सोमवार को ‘कंस्ट्रक्शन एवं डेमोलिशन अपशिष्ट प्रबंधन नियमÓ पर आयोजित वेबिनार में उनका कहना था अपशिष्ट के पुनर्चक्रण से अपार व्यवसायिक संभावनाएं और अवसर सृजित होंगे तथा प्रदूषण में कमी के साथ प्राकृतिक संसाधनों के निर्माण क्षेत्र में भारी दबाव को कम किया जा सकेगा तथा स्वच्छ भारत अभियान में यह एक मील का पत्थर साबित होगा। राजस्थान के परिप्रेक्ष्य में गुप्ता ने बताया कि मात्र 12 फीसदी स्थानीय निकायों ने इस अपशिष्ट के लिए भूमि चिह्नित की है। उन्होंने आशा प्रकट की कि और निकाय भी भूमि का आवंटन करेंगे। कंस्ट्रक्शन और डेमोलिशन अपशिष्ट को पुन:चक्रित करने के लिए सुविधाएं विकसित करेंगे।
इंडस्ट्री कचरे की वैज्ञानिक रीसाइक्लिंग तकनीकों की जानकारी नहीं
वेबिनार में पीएचडी चैम्बर के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय अग्रवाल का कहना है कि देश में हर साल 530 मिलियन टन कचरे का अनुमान है और अधिकांश निर्माण उद्योग इस महत्वपूर्ण कचरे की वैज्ञानिक रीसाइक्लिंग तकनीकों से अवगत नहीं हैं। कि अपशिष्ट कचरे का पुनर्नवीनीकरण करके आर्थिक मूल्य और व्यापार के बड़े अवसर पैदा किए जा सकते हैं। उन्होंने बताया कि इस तरह की तकनीक प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और पर्यावरण और प्रदूषण से संबंधित मुद्दों को कम करने में सहायक सिद्ध होगी जो कि आवास और सड़क क्षेत्रों में मांग आपूर्ति अंतर को काफी कम कर देगा। इससे सर्कुलर इकोनॉमी को भी बढ़ावा मिलेगा जो समय की मांग है।
वहीं पीएचडी चैम्बर राजस्थान चैप्टर के अध्यक्ष दिग्विजय ढाबरिया ने बताया कि कंस्ट्रक्शन और डेमोलिशन अपशिष्ट कचरे को वैज्ञानिक तरीके से प्रबंधित करने की आवश्यकता है जिससे विभिन्न प्रकार की प्रदूषण और अन्य समस्याओं से नगरीय निकायों को बचाया जा सके साथ ही स्वच्छता सुनिश्चित की जा सके, जिसका सामना कई नगर निकाय करते हैं। ढाबरिया ने बताया कि सीएंडडी कचरे में उपयुक्त तकनीकों का उपयोग करके आर्थिक अवसर पैदा किए जा सकते हैं। जिसमें रीसाइक्लिंग के माध्यम इसका उपयोग निर्माण उद्योग में कच्चे माल के रूप में जा सकता है।
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