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नाम मात्र के हो रहे प्रसव
स्वास्थ्य विभाग के निर्देशानुसार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर प्रति माह 5 प्रसव अनिवार्य है। वही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सात प्रसव अनिवार्य है। जबकि उक्त पीएचसी में महिला चिकित्सक नहीं होने से नाम मात्र की डिलीवरी हो रही है। यहां पुरुष चिकित्सक ही डिलीवरी कराते हैं। ऐसे में गर्भवती महिलाएं अन्य अस्पतालों की तरफ रुख कर लेती है। सरकारी अस्पतालों में महिला चिकित्सा एवं आवश्यक सुविधाएं नहीं होने से झोलाछाप भी चांदी कूट रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं मजबूरन झोलाछाप के जाल में फस कर उपचार ले रही है।.
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इनका कहना है
समय-समय पर सभी चिकित्सा प्रभारियों को लक्ष्य की पूर्ति के निर्देश दिए जाते हैं। लोगों ने पीएचसी स्तर पर भी महिला चिकित्सक लगवाने की मांग की है जिस संबंध में विभाग को अवगत कराया जाएगा।
….डॉ विनोद शर्मा बीसीएमओ शाहपुरा।