लोगों ने बताया कि समस्या को लेकर मुख्यमंत्री, जिला कलक्टर, निगम के अधिकारी और जनप्रतिनिधियों को कई बार अवगत कराया है, लेकिन कोई समाधान नहीं हो पाया है। बस्ती निवासी पारा देवी ने बताया कि हम यहां वर्षों से मकान बनाकर रह रहे है। बिजली की रोशनी नसीब नहीं होने से बच्चों को चिमनी के उजाले में अध्ययन करना पड़ रहा है। वहीं बच्चों को उच्च अध्ययन के लिए बाहर भेजना पड़ रहा है।
विभाग की ओर से पिछले दिनों कॉलोनी में योजना अंतर्गत विद्युत पोल खड़े करके सर्विस लाइन डाल दी। उसके उपरांत भी डीपी रख दी, लेकिन विद्युत कनेक्शन नहीं दिए जा रहे है। स्थानीय निवासी ज्ञाना देवी, नाथी देवी, संतरा, सुल्तान, सुरज्ञान, ओमप्रकाश, बंशीधर, सोहनलाल आदि ने अपनी पीड़ा बताते हुए सरकार व जनप्रतिनिधियों के खिलाफ आक्रोश व्यक्त किया है।
सहायक अभियंता राड़ावास अजय रालोत ने बताया कि गोविंदपुरा बासड़ी की बुनकर बस्ती में जमीन की किस्म गोचर है। जिसके चलते कनेक्शन नहीं हो पा रहा है। सरपंच जवाहर जाट ने बताया कि गोचर भूमि की किस्म परिवर्तन को लेकर पंचायत का प्रस्ताव उच्च अधिकारियों को भेजा जा चुका है, शीघ्र ही समस्या निस्तारण कराया जाएगा।
देश को आजाद हुए 70 साल हो गए, लेकिन आज भी इन लोगों को बिजली नसीब नहीं हुई। उच्च पदों पर बैठे अधिकारी व फिर कोई नेता 1 घंटे बिजली बिना नहीं रह सकता है, लेकिन ये लोग 40 साल से रह रहे हैं। सरकार को इन लोगों की ओर ध्यान देना चाहिए।
ग्रामीणों की समस्या को लेकर कई बार जनप्रतिनिधियों व प्रशासनिक अधिकारियों को अवगत करवाने के बाद भी समाधान नहीं हो पाया है। बिजली के अभाव में बच्चे पढ़ाई नहीं कर पा रहे है।
धन्नालाल लांबा, पूर्व सरपंच, गोविन्दंपुरा बासड़ी
सत्यनारायण सैनी, विकास अधिकारी, शाहपुरा