वन विभाग डगोता नाका, सानकोटड़ा नाका क्षेत्र में बाघ की आबादी बढाऩे पर काम कर रहा है। अभी सरिस्का में 23 बाघ हैं और वर्तमान स्थिति में 30 से 35 बाघ ही रह पाएंगे। इसके बाद बाहर का रुख कर सकते हैं। इधर, वन्य जीवों के पानी पीने के लिए जमवारामगढ़ में 13 वाटर हॉल चिन्हित किए जा चुके हैं और विभाग 12 अन्य अस्थायी वाटर हॉल विकसित कर रहा है। डगोता नाका क्षेत्र में सरिस्का से एसटी-15 ने करीब चालीस दिन तक डगोता नाल, वायरलैस टावर, व संज्यानाथ माल क्षेत्र में डेरा डाला था।
सानकोटड़ा नाका व डगोता नाका क्षेत्र में दो दर्जन से अधिक मार्बल की खदान संचालित हो रही थीं। सुप्रीम कोर्ट के वर्ष 2002-03 खदान बंद करने के आदेश के बाद खदानें बंद तो हुईं लेकिन खदानों में पड़े मार्बल स्लैब को ले जाने की अनुमति होने से यहां अभी भी वाहनों और भारी मशीनरी का आना जाना है। स्लैब के लिए ब्लास्टिंग भी होती है। जिससे वन्य जीवों के आवागमन में खलल पड़ता है। सरिस्का से जमवारामगढ़ के बीच ऐसी कई खानें पड़ती हैं। जिनमें अभी भी खनन गतिविधियां हो रही हैं।