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बस्सी

जानिए क्यों है खास प्राचीन बड़ा महादेव मंदिर….महाशिवरात्रि पर उमड़े श्रद्धालु

 
 
-अरावली शृंखला के बीच स्थित है मंदिर
 

बस्सीMar 04, 2019 / 08:05 pm

Satya

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जानिए क्यों है खास प्राचीन बड़ा महादेव मंदिर….महाशिवरात्रि पर उमड़े श्रद्धालु

शाहपुरा।

खिजूर पेड़ों के सघन वन व अरावली श्रृंखलाओं के मध्य बसे मैड़ कस्बे के पास स्थित प्राचीन बड़ा महादेव मंदिर इलाके में प्रसिद्ध है। मंदिर सैंकड़ों वर्ष पुराना है। एक कहावत है कि यहां सच्चे मन से प्रार्थना करने पर मनोकामना पूर्ण होती है। साथ ही प्रार्थना करने पर कई तरह की बाधाएं और बीमारियां भी दूर होती है। हर सोमवार को मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है।
पूजा अर्चना के लिए लगा रहा तांता

महाशिवरात्रि पर सूर्योदय के साथ ही यहां पूजा अर्चना के लिए भक्तों का तांता लगना शुरू हो गया। कस्बा सहित इलाके के श्रद्धालुओं का पूजा अर्चना के लिए अलसुबह से ही तांता लगा रहा। इस दौरान भोलेनाथ के जयकारों से मंदिर परिसर गुंजायमान रहा।
मंदिर में कई सालों से कृष्ण पक्ष के हर प्रदोष को रात्री में भजनों का आयोजन किया जा रहा है। कई सालों से पूरे श्रावण मास में यहां भक्तों द्वारा अखण्ड रामचरितमानस के पाठ भी किए जाते है। जिसका श्रावण मास पूरा होने पर समापन के साथ विशाल भंडारे का आयोजन होता है।
करीब पांच सौ साल पहले प्रकटे थे बड़े महादेवजी

पुराने लोगों का कहना है कि करीब पांच सौ साल पहले यहां रेत की टीबों में चार विशाल मूर्तियां रेत के नीचे दबी हुई थी। अचानक एक दिन तेज हवा के चलने से आस पास के लोगों को मूर्तियां दिखाई दी। मूर्तियां लक्ष्मीनाथजी, चतुर्भुज जी, केशवराय जी व बड़ा शिवलिंग की थी। किंवदंती है कि उस समय राजपूत समाज के ठाकुर को मूर्तियों को यथा स्थान मंदिर में विराजमान करने का स्वप्र आया। तब लक्ष्मीनाथ जी मंदिर में लक्ष्मीनाथ व चतुर्भुज की मूर्ति विराजमान की गई। केशवरायजी की मूर्ति विराटनगर केशवराय मंदिर में स्थापित की गई। शिवलिंग को भी निकालने का प्रयास किया गया, लेकिन करीब बीस फिट तक खुदाई करने के बाद भी शिवलिंग का पार नहीं आया तो भक्तों ने वहीं पर महादेव जी का मंदिर बनवा दिया।
अनन्त शिवलिंग होने से बड़ा महादेवजी के नाम से यह प्राचीन मंदिर प्रसिद्ध है। हर कृष्ण पक्ष के प्रदोष को शिव कमेटी की ओर से यहां रात्री को भजनों का आयोजन होता है। शिवरात्रि को गोपीनाथजी मंदिर की ओर से यहां के महंत ललितदास भगवान का अभिषेक करके भजनों का आयोजन करते है। महाशिवरात्रि पर्व पर दिनभर भक्तों की आवाजाही व पूजा अर्चना चलती रहती है।

गर्भगृह से 20 फीट उंचाई पर है शिवलिंग

शिवलिंग मंदिर में गर्भगृह से करीब 20 फीट की उंचाई पर स्थापित है। जिससे मंदिर में आने वाले भक्तों को मंदिर में सीढियां चढ़कर मंदिर में जाना पड़ता है। भगवान के दुर्लभ दर्शन पाकर भक्त भाव विभोर होते है।
महाशिवरात्रि पर्व पर रात्री को चारों पहर में भक्त भगवान शिव की पूजा अर्चना कर भगवान का अभिषेक करते हैं। गोपीनाथजी मंदिर के महंत ललितदास महाराज के सानिध्य में भजन संध्या का आयोजन कर फागोत्सव मनाया जाएगा। बाहर से आने वाले गायक कलाकार भजनों की प्रस्तुति देंगे।

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