खून के रिश्ते से बड़ा फर्ज निभाया
अपना पेट काटकर संतान एवं परिजनों को सक्षम बनाया आज वही मां खाने के निवाले को तरसती हुई भीख मांगने को मजबूर हो गई। दर-दर की ठोकरे खाने के बाद फुटपाथ को ही इस बूढ़ी मां ने अपना घर बना लिया।
85 साल की नर्मदा उदयपुर की रहने वाली है। 40 वर्ष पहले नर्भदा के जीवन में एक तूफान आया और उसे बुरी तरह से झझोड़ दिया। नर्मदा के पति का देहांत होने के बाद उसका किसी ने साथ नहीं दिया।
नर्मदा ने बताया कि 40 साल पहले वह अपने 15 साल के बेटे के साथ जयपुर आई थी। झोटवाड़ा, खातीपुरा, सहित जयपुर के अनेक जगहों पर घर-घर मजदूरी करके जैसे-तैसे अपने बेटे को पाला और पढ़ाई लिखाया और शादी कर दी।
महिला की कहानी बड़ी दर्दभरी है। उसने बताया कि बेटे की शादी के बाद जब घर का खर्च बढ़ने लगा तो उसे 2013 में जयपुर रेलवे स्टेशन छोड़कर चले गए। वह पांच साल से भीख मांगकर पेट पाल रही है। इस दौरान एक शिक्षिका उसे फुटपाथ से अपने घर काम करवाने के लिए गैटोर जगतपुरा ले गई। वहां 2 माह तक काम किया। मजदूरी मांगी तो उसे पैसे देने की बजाय शिवदासपुरा वृद्धाआश्रम में छोड़ कर आ गई। वह माहौल अनुकूल नहीं होने पर 15 माह बाद जयपुर आ गई और भीख मांगकर गुजर बसर करती है।
आमेर महल के सामने समाजसेवी रिम्मू खंडेलवाल इस महिला की सेवा कर रहा है। टोंक फाटक निवासी रिम्मू खंडेलवाल ने महिला को आमेर में कमरा दिलवाया और उसके भोजन की व्यवस्था की। रिम्मू ने बताया कि किसी पर्यटक ने उसे इस महिला के आमेर में भीख मांगने की सूचना दी। वह भीख मांग कर फुटपाथ पर सोती है। मैने वहां जाकर देखा तो वह फुटपाथ पर भीख मांग रही थी। उसे आमेर में एक कमरा दिलाकर उसकी सेवा कर रहा हूं।