बस्सी

नौनिहालों को कागजों पर विटामिन ‘ए की खुराक

अधिकांश आंगनबाड़ी केन्द्रों पर हो रही कागजी खानापूर्ति, पर्याप्त नसीब नहीं मिल रही बच्चों को विटामिन ‘ए की खुराक

बस्सीFeb 28, 2020 / 12:50 am

Gourishankar Jodha

नौनिहालों को कागजों पर विटामिन ‘ए की खुराक

आंतेला। नौनिहालों को कागजों विटामिन ‘ए की खुराक कागजों पर ही मिलती नजर आ रही है, क्योंकि अधिकांश आंगनबाडिय़ों पर केवल खुराक के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है। सरकार विभिन्न योजनाओं के माध्यम से बच्चों की सेहत के साथ कुपोषण से बचाव का पूरा प्रयास कर रही है। लेकिन विभागीय अनदेखी से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने व रात्रि के समय बच्चों का विजन सही रहे, इसके लिए पिलाई जाने वाली विटामिन ए की खुराक महज कागजी साबित हो रही है। यहां तक की सालभर में एक बार अभियान चलाने के बावजूद शत प्रतिशत बच्चों के हलक तक यह खुराक नहीं पहुंच पा रही है। इसके पीछे फिल्ड स्टाफ की अनदेखी से इंकार नहीं किया जा सकता है।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी
विटामिन ए की खुराक को लेकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी है, लेकिन जमीनी स्तर पर ऐसा नहीं हो रहा है। विभागीय अधिकारी भी इस दिशा में उदासीन बने हुए हैं। आलम यह है कि ग्रामीण क्षेत्र के अधिकांश दूरस्त गांव-ढाणियों में बहुत कम बच्चों को विटामिन ए की खुराक नसीब होती है। विटामिन ए की खुराक का भी बच्चों की सेहत के लिए उतना ही महत्व है। जितना की पल्स पोलियो रोधी दवा का।
यह है खुराक पिलाने का प्रावधान
शहरी व ग्रामीण क्षेत्र के निजी विद्यालयों में विटामिन ए की खुराक पिलाने का प्रावधान है, लेकिन इससे पहले बच्चों की डायरी में संरक्षण से दवा पिलाने की लिखित में अनुमति लेनी होती है।
किसको कितनी दवा
जानकारों के अनुसार 9 माह से 12 माह से कम के आयु के बच्चों को एक एमएल तथा एक से पांच वर्ष के बच्चों को दो एमएल दवा पिलाई जाती है।
पांच साल के बच्चे होते हैं चिन्हित
इस अभियान में 9 से 12 माह के बच्चों तक तथा विटामिन ए की अतिरिक्त खुराक के लिए एक से पांच वर्ष तक के बच्चों को चिन्हित किया जाता है। संबंधित आंगनबाड़ी केन्द्र की परिक्षेत्र में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व आशा सहयोगिनी तथा जिन क्षेत्रों में आंगनबाड़ी नहीं है या फिर पद रिक्त है। वहां बच्चों को निकट के उपस्वास्थ्य केन्द्र पर कार्यरत एएनएम विटामिन ए की खुराक पिलाने का प्रावधान है
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