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बस्सी

सोशल मीडिया पर लाइक हो रही राजस्थानी, भाषा का बढ़ रहा मान, मिल रहे करोड़ों व्यू

तैयार हो रहा बिग डेटा, एआई से कम्प्यूटर समझेगा ग्रामीण राजस्थान की बात

बस्सीOct 24, 2021 / 12:56 pm

अभिषेक सिंघल

सोशल मीडिया पर लाइक हो रही राजस्थानी, भाषा का बढ़ रहा मान, मिल रहे करोड़ो व्यू

जयपुर के निकट अणतपुरा गांव में वीडियो शूट करते युवा

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जयपुर। इंटरनेट के प्रसार के साथ ही राजस्थानी भाषा की खोती जा रही आभा को नई पहचान मिलने लगी है। जहां एक ओर राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता के लिए वर्षों से संघर्ष हो रहा है वहीं सोशल मीडिया पर राजस्थानी भाषा की लोकप्रियता पर मुहर लग रही है। स्थानीय भाषा और अंदाज में कंटेंट क्रिएट कर रहे हैंडल्स को लाखों लोग फॉलो और शेयर कर रहे हैं। इससे मायड़ भाषा, संस्कृति इंटरनेट पर डिजीटल रूप में ना केवल अपनी जगह बना रही है बल्कि इससे राजस्थानी का बिग डेटा भी तैयार हो रहा है।
राजस्थानी भाषा में गीत संगीत कंटेंट के साथ ही कॉमेडी, रेसिपी, डांस के वीडियो भी खूब देखे जा रहे हैं और इस प्रकार के कंटेंट तैयार करने वाले सैंकड़ों चैनल यूट्यूब इंस्टाग्राम फेसबुक पर मौजूद हैं। बाजरे की खिचड़ी, लापसी और कढ़ी सहित अन्य राजस्थानी व्यंजनों की रेसिपी को मारवाड़ी में इंटरनेट पर वीडियो बना कर बता रहीं भोपालगढ़ के कुड़ी गांव की कौशल्या चौधरी के यूट्यूब चैनल के वीडियोज को 13 करोड़ ज्यादा व्यू मिल चुके हैं। नागौर की सुनीता स्वामी के राजस्थानी भजन चैनल पर तीस करोड़ व्यू आ चुके हैं। राजस्थानी नृत्य संगीत के वीडियो अपलोड कर रहीं अनुपमा लखावत और सीमा राठौड़ के संगीत- नृत्य के वीडियो भी काफी लोकप्रिय हो रहे हैं। जैसलमेर की पूनम राठौड़ के चैनल पर गीत व कॉमेडी के वीडियो पर सवा दो करोड़ व्यू मिल चुके हैं।
चौमूं के जैतपुरा में ही स्थानीय भाषा में कंटेंट तैयार करने वाले कई युवा सक्रिय हैं। रोशन यादव बताते हैं कि साढ़े तीन साल पहले उन्होंने इस दिशा में काम शुरू किया था। उनके डेढ़ सौ वीडियो पर ग्यारह करोड़ व्यू मिल चुके हैं। यूट्यूब से ही उनको प्रतिमाह 500- 700 डॉलर मिल जाते हैं। ढूंढाड़ी भाषा में कॉमेडी कंटेंट तैयार करने वाले सुरेश कुमार यादव बताते हैं कि उन्हें ज्यादा खुशी तब होती है जब शहर में रहने वाले बच्चे उनके अंदाज में ढूंढाड़ी बोलने का प्रयास करते दिखते हैं। उनके चार चैनलों पर 26 लाख से ज्यादा फॉलोअर हैं और करोड़ों व्यू हैं।
इन चैनल्स की मच रही है धूम
राजस्थानी के विभिन्न आंचलिक बोलियों के प्रमुख कॉमेडी चैनलों में मुरारी की कॉकटेल, काका कजोड़, फूल्या की कॉमेडी, बनवारी लाल कॉमेडी, मनोज्यो- पंकज्यो, ओगड़ अम्बानी, घमु राजस्थानी, कुचमादी काशी, सितु वर्मा, कॉमेडियन ख्याली, ट्विंकल वैष्णव, लोकेश सैन कॉमेडियन, बीबीसी बिन्दास गोस्वामी सहित कई अन्य चैनल शामिल हैं।

एआई से मिलेगी मदद
राजस्थानी भाषा का डेटाबेस इंटरनेट पर मजबूत होने से आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के लिए मशीन लर्निंग में सहायता मिलेगी। इससे विभिन्न कम्प्यूटर आधारित सेवाओं में ग्रामीण राजस्थान की बात आसानी से समझ कर उनका निदान मुहैया करवाया जा सकेगा। इसका सबसे ज्यादा फायदा चिकित्सा, कृषि और शिक्षा क्षेत्र में हो सकता है।
आंकड़े देते हैं गवाही
90 प्रतिशत भारतीय अपनी भाषा में कंटेंट देखना पसंद करते हैं
42 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है डेली हैवी इंटरनेट यूजर्स में
भारतीय इन्टरनेट पर सर्च के लिए 3 वी ( वॉइस, वीडियो, वर्नाक्युलर) को महत्व देते हैं
(गूगल की एक रिपोर्ट के अनुसार)

अभी भारत में 85 करोड़ इन्टरनेट उपभोक्ता
राजस्थान में 4.38 करोड़ इन्टरनेट उपभोक्ता
राजस्थान देश में नवां सबसे ज्यादा इंटरनेट उपभोक्ता राज्य
सोशल मीडिया पर टायर 2 क्षेत्रों से इन्टरनेट यूजर्स –
इंस्टाग्राम पर 30-35 प्रतिशत
यूट्यूब पर -40-45 प्रतिशत
स्थानीय भाषा वाले यूजर्स कॉमेडी, डांस, म्यूजिक जैसे मनोरंजक कंटेंट को देखना पसंद कर रहे हैं
रेडसीर के एक सर्वे में 55 प्रतिशत लोगों ने इन्टरनेट का उपभोग का कारण स्थानीय कंटेंट की मौजूदगी बताया है।

इनका कहना है
राजस्थानी भाषा को लेकर इन्टरनेट पर बन रहा कंटेंट स्थायी कंटेंट के रूप में भाषा को बढ़ावा दे रहा है। अभी डीओआईटी के साथ मिल कर राजस्थानी भाषा का एक एप डवलप करवा रहे हैं। इन्टरनेट पर राजस्थानी भाषा व संस्कृति को बढ़ावा दे रहे कंटेंट क्रिएटर्स को सहयोग करने की दिशा में भी सरकार का प्रयास रहेगा।
– गायत्री ए. राठौड़, प्रमुख शासन सचिव, कला, साहित्य एवं संस्कृति विभाग, राजस्थान

हम लगातार प्रयास कर रहे हैं कि राजस्थानी को संवैधानिक मान्यता मिले। अब ये नए साधन भाषा व संस्कृति को बढ़ा रहे हैं और इन तक पहुंचने वालों की संख्या सुखद अवसर दे रही है कि मायड़ भाषा का पक्ष मजबूत हो रहा है। भले अभी इस प्रकार के कंटेंट को स्तरीय होना बाकी है पर नई पीढ़ी तक भाषा और संस्कृति पहुंच रही है यह महत्वपूर्ण है।
– डॉ. चन्द्र प्रकाश देवल, पद्मश्री, साहित्यकार राजस्थानी कोशकार।

इस तरह का कंटेंट क्रिएशन भाषा का एक डेटा बेस तैयार कर रहा है। यह राजस्थानी को मशीन लैंग्वेज के रूप में विकसित होने में सहयोग करेगा। इस डाटा के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के साथ प्रयोग से राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत मदद मिल सकेगी, खास तौर पर चिकित्सा, कृषि और शिक्षा क्षेत्र में।
-अरविंद सिंह राठौड़, आईटी एक्सपर्ट

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