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बस्सी

कानों को लगा तेज, तो समझो मामला दर्ज!

अनुमान से ही बस्सी में पिछले पांच वर्षों में दर्ज हो गई 156 एफआईआर
 

बस्सीJun 21, 2018 / 11:45 pm

Surendra

Sound pollution

कानों को लगा तेज, तो समझो मामला दर्ज!

बस्सी . तकनीकी उपकरण ना ही कोई ठोस प्रमाणिक तरीका, फिर भी पांच वर्षों में ध्वनि प्रदूषण के 150 से अधिक मामले दर्ज। ये मामले, तो सिर्फ उपखंड के बस्सी थाना क्षेत्र के हैं। कानोता और तूंगा थाने को मिलाकर इनकी संख्या 300 को पार कर जाती है। बिना ध्वनि मापक यंत्र और अन्य किसी उपकरण के ‘राजस्थान नॉइस कंट्रोल एक्ट-1963Ó (आरएनसी) की पालना का यह तरीका बस्सी ही नहीं, बल्कि कानोता और जमवारमगढ़ थाना पुलिस का भी है। यहां आरएनसी एक्ट के तहत वर्षों से कार्यवाही करते हुए मामले दर्ज हो रहे हैं, जिनमें कानों का सहारा लिया जा रहा है। यानी कि कानों को आवाज तीव्र लगी, तो समझो मामला दर्ज! ऐसे में जब सावे शुरू हो गए हैं, तो इस एक्ट में तहत पुलिस कार्यवाही भी तेज होने वाली है।
क्या कहता है आरएनसी एक्ट

ध्वनि प्रदूषण को कंट्रोल करने के लिए ‘राजस्थान नॉइस कंट्रोल एक्ट-1963Ó बनाया गया। इसमें स्पष्ट किया गया कि सार्वजनिक और भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों के साथ बाजार आदि में आसपास की आवाजों को दबाने वाली तेज आवाज ध्वनि प्रदूषण के दायरे में मानी जाएगी। इस पर कार्यवाही की जाएगी। इस एक्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी तेज आवाज वाले उपकरण जैसे डीजे, लाउड स्पीकर आदि को बजाने का समय निर्धारित कर दिया। रात दस से सुबह 6 बजे तक इन पर रोक लगाई है। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद से इस एक्ट के तहत कार्यवाही और मामले दर्ज होने लगे। इन कार्यवाहियों में सीधे एफआईआर दर्ज की जाती है, लेकिन इसमें आवाज की तीव्रता मापने वाले यंत्र का होना भी जरूरी है।
कानों से लगाते तीव्रता का अनुमान

इस एक्ट में कभी मैरिज गार्डन, तो कभी घर और गलियों में। यात्राओं में, तो कभी यात्री वाहनों में। बाजारों से गुजरने वाले निजी वाहनों में लगे डीजे को तेज आवाज में चलाने पर मामला दर्ज किया जाता है। अब जब ध्वनि मापने का कोई यंत्र नहीं है, यहां कार्यवाही के लिए कानों के सुनने की क्षमता का सहारा लिया जाता है। म्यूजिक सिस्टम की आवाज यदि कानों को अप्रिय लगे और उस आवाज के चलते छोटी-मोटी ध्वनि सुनाई न दे, तो इसे ध्वनि प्रदूषण की श्रेणी में मान लिया जाता है। शादी समारोह या बाजारों से गुुजरती यात्राओं में भी डीजे की आवाज के बीच एक-दूसरे से संपर्क करना मुश्किल हो जाए, तो भी इस एक्ट के तहत मामला दर्ज हो जाता है।
ज्यादा मामले यात्री वाहन और ट्रक-टै्रक्टरों के

बस्सी थाना पुलिस के अनुसार पिछले पांच वर्षों में यहां कुल 156 मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें ज्यादातर मामले मुख्य बाजार और मार्गों से गुजरने वक्त तेज आवाज में म्यूजिक बजाने वाले वाहन चालकों के हैं। पुलिस की फील्ड विजिट या गश्त के समय कोई तीन पहिया-चौपहिया वाहन तेज आवाज में गीत-संगीत बजाता हुआ गुजरता है, तो पुलिस पीछा कर उस पर मामला दर्ज करती है। पुलिस ने बताया कि कई बार तो जाम या भीड़ के दौरान किसी ट्रैक्टर-ट्रौली में गाना बज रहा होता है और उस गाने की आवाज के चलते किसी को कुछ सुनाई नहीं देता, तो कार्यवाही करनी पड़ जाती है।
सावों में तेज होगी कार्यवाही

ध्वनि प्रदूषण के ज्यादातर मामले सावों और तीज-त्योहारों और परीक्षाओं के दौरान दर्ज होते हैं। ऐसे में जब अब सावे शुरू हो गए हैं, तो बस्सी पुलिस आरएनसी एक्ट के तहत कार्यवाही तेज करने वाली है। खासकर अबूझ सावों पर म्यूजिक सिस्टम के जरिए ध्वनि प्रदूषण करने वालों को पकड़ा जाएगा। ऐसे में गली-मोहल्लों और बाजारों में तेज आवाज में डीजे बजाने वालों की खैर नहीं।
पांच वर्ष में बस्सी थाना में 156 एफआईआर

वर्ष मामले

2013 08
2014 12
2015 32
2016 35
2017 44
2018 25 (20 जून तक)

इनका कहना है

राजस्थान नॉइस कंट्रोल एक्ट-1936 के तहत ध्वनि प्रदूषण करने वालों पर कार्यवाही का प्रावधान है। इसमें यंत्र से ध्वनि की तीव्रता मापकर कार्यवाही की जाती है, लेकिन फिलहाल हमारे पास ऐसा कोई यंत्र नहीं है। इस स्थिति में कानों को अत्यधिक तेज और आसपास के लोगों को उस ध्वनि से परेशानी होने की स्थिति में एफआईआर दर्ज कर कार्यवाही की जाती है।
– वीरेन्द्र सिंह, थानाधिकारी, बस्सी

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