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एक करोड़ 27 लाख रुपए में ठेका
जानकारी के अनुसार तीन वर्ष पहले 1 करोड़ 27 लाख रुपए में बांध का मत्स्य पालन का पांच साल के लिए ठेका लिया गया था। इससे सालाना सरकार को लाखों का राजस्व मिलने के बाद भी सुध नहीं लेने से मत्स्य पालन व्यापार थम सा गया है। वहीं करीबन 200 मछुआरे मजदूर घर वापसी के लिए बेबस हैं।
एक करोड़ 27 लाख रुपए में ठेका
जानकारी के अनुसार तीन वर्ष पहले 1 करोड़ 27 लाख रुपए में बांध का मत्स्य पालन का पांच साल के लिए ठेका लिया गया था। इससे सालाना सरकार को लाखों का राजस्व मिलने के बाद भी सुध नहीं लेने से मत्स्य पालन व्यापार थम सा गया है। वहीं करीबन 200 मछुआरे मजदूर घर वापसी के लिए बेबस हैं।
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संक्रमण का खतरा
स्थानीय निवासी सोमोती लाल सैनी व फैली राम पटेल ने बताया कि मरी मछलियों की सड़ांध से बांध के आसपास के इलाके रुपा की नागल, लांगडिय़ावास, सुमेल, विजयपुरा, रामरतनपुरा, डयौडा चौड़ आदि इलाकों में रहना दुभर हो रहा है। बदबू से बचाव के लिए लोग इत्र पर परफ्यूम छिड़क रहे हैं। जामडोली पीएचसी प्रभारी ओमप्रकाश शर्मा का कहना है कि बदबू से इलाके में संक्रमण फैलने की आशंका है। सूत्रों के अनुसार प्रशासन की अनदेखी के कारण मत्स्य पालक मरी मछलियों को भी मुम्बई जैसे महानगरों में 15 से 20 रुपए किलो के भाव से दवा फैक्ट्री भेज रहे हैं।
संक्रमण का खतरा
स्थानीय निवासी सोमोती लाल सैनी व फैली राम पटेल ने बताया कि मरी मछलियों की सड़ांध से बांध के आसपास के इलाके रुपा की नागल, लांगडिय़ावास, सुमेल, विजयपुरा, रामरतनपुरा, डयौडा चौड़ आदि इलाकों में रहना दुभर हो रहा है। बदबू से बचाव के लिए लोग इत्र पर परफ्यूम छिड़क रहे हैं। जामडोली पीएचसी प्रभारी ओमप्रकाश शर्मा का कहना है कि बदबू से इलाके में संक्रमण फैलने की आशंका है। सूत्रों के अनुसार प्रशासन की अनदेखी के कारण मत्स्य पालक मरी मछलियों को भी मुम्बई जैसे महानगरों में 15 से 20 रुपए किलो के भाव से दवा फैक्ट्री भेज रहे हैं।
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इनका कहना है…
बांध में रसायन युक्त गंदे पानी की आवक से मछलियां काल का ग्रास बन गई है। मत्स्य पालन व्यवसाय प्रभावित होने से नुकसान उठाना पड़ा है। प्रशासन को बांध में रासायन युक्त गंदा दूषित पानी की आवक पर रोक लगाकर शुद्ध पानी की वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए।
जितेन्द्रसिंह, मत्स्य पालक, कानोता बांध
इनका कहना है…
बांध में रसायन युक्त गंदे पानी की आवक से मछलियां काल का ग्रास बन गई है। मत्स्य पालन व्यवसाय प्रभावित होने से नुकसान उठाना पड़ा है। प्रशासन को बांध में रासायन युक्त गंदा दूषित पानी की आवक पर रोक लगाकर शुद्ध पानी की वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए।
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जयसिंहपुराखोर में ट्रीटमेंट प्लांट में तकनीकि खराबी होने से प्लांट पूरी तरह काम नहीं कर रहा है। जिससें बांध में कभी कभी दूषित पानी आवक हो जाती है।
सूर्य मोहन चमोली, एईएन, सिंचाई विभाग कानोता
जयसिंहपुराखोर में ट्रीटमेंट प्लांट में तकनीकि खराबी होने से प्लांट पूरी तरह काम नहीं कर रहा है। जिससें बांध में कभी कभी दूषित पानी आवक हो जाती है।
सूर्य मोहन चमोली, एईएन, सिंचाई विभाग कानोता