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कानोता बांध में मरी हजारों मछलियां, सालाना लाखों की कमाई, 200 मछुआरों को रोजगार फिर भी रवैया गैर जिम्मेदाराना

locationबस्सीPublished: Feb 03, 2018 10:25:36 pm

Submitted by:

vinod sharma

मछुआरों का कहना दूषित पानी से मरी मछलियां, जिम्मेदारों ने नहीं लिए पानी तक के नमूने

fish died in the dam broke kanota
विजयपुरा (जयपुर)। कानोता बांध में पिछले एक सप्ताह के दौरान हजारों मछलियां मर गई। इससे मत्स्य पालन का कारोबार प्रभावित होने से मछुआरों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया। मछुआरा अमरजीत सहनी व विनोद सहनी ने बताया कि कानोता बांध में लगातार जलस्तर घटने, जल महल से रासायन युक्त गन्दा दूषित पानी की आवक होने से दोपहर में बढ़ते तापमान पर प्रतिक्रिया स्वरूप बनने वाली गैस से मछलियां को सांस रुकने से मौत हो रही है, लेकिन जलदाय व सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने अभी तक पानी के नमूने तक नहीं लिए।
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एक करोड़ 27 लाख रुपए में ठेका
जानकारी के अनुसार तीन वर्ष पहले 1 करोड़ 27 लाख रुपए में बांध का मत्स्य पालन का पांच साल के लिए ठेका लिया गया था। इससे सालाना सरकार को लाखों का राजस्व मिलने के बाद भी सुध नहीं लेने से मत्स्य पालन व्यापार थम सा गया है। वहीं करीबन 200 मछुआरे मजदूर घर वापसी के लिए बेबस हैं।
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संक्रमण का खतरा
स्थानीय निवासी सोमोती लाल सैनी व फैली राम पटेल ने बताया कि मरी मछलियों की सड़ांध से बांध के आसपास के इलाके रुपा की नागल, लांगडिय़ावास, सुमेल, विजयपुरा, रामरतनपुरा, डयौडा चौड़ आदि इलाकों में रहना दुभर हो रहा है। बदबू से बचाव के लिए लोग इत्र पर परफ्यूम छिड़क रहे हैं। जामडोली पीएचसी प्रभारी ओमप्रकाश शर्मा का कहना है कि बदबू से इलाके में संक्रमण फैलने की आशंका है। सूत्रों के अनुसार प्रशासन की अनदेखी के कारण मत्स्य पालक मरी मछलियों को भी मुम्बई जैसे महानगरों में 15 से 20 रुपए किलो के भाव से दवा फैक्ट्री भेज रहे हैं।
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इनका कहना है…
बांध में रसायन युक्त गंदे पानी की आवक से मछलियां काल का ग्रास बन गई है। मत्स्य पालन व्यवसाय प्रभावित होने से नुकसान उठाना पड़ा है। प्रशासन को बांध में रासायन युक्त गंदा दूषित पानी की आवक पर रोक लगाकर शुद्ध पानी की वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए।
जितेन्द्रसिंह, मत्स्य पालक, कानोता बांध
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जयसिंहपुराखोर में ट्रीटमेंट प्लांट में तकनीकि खराबी होने से प्लांट पूरी तरह काम नहीं कर रहा है। जिससें बांध में कभी कभी दूषित पानी आवक हो जाती है।
सूर्य मोहन चमोली, एईएन, सिंचाई विभाग कानोता
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