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प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की धरातल पर सच्चाई, पानी बचाने के दावों में ‘पोल’

(pmksy ) किसानों को लुभाने में नाकाम पानी बचाने के तरीके, गिरते भू-जल स्तर के बावजूद जल संरक्षण पर ध्यान नहीं

बस्सीSep 17, 2019 / 11:26 pm

Surendra

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की धरातल पर सच्चाई, पानी बचाने के दावों में 'पोल'

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की धरातल पर सच्चाई, पानी बचाने के दावों में ‘पोल’

कोटपूतली. खेती में पानी के दुरुपयोग पर अंकुश लगाकर उपलब्ध जल संसाधनों का अधिकतम उपयोग करने की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना धरातल की कसौटी पर खरी नहीं उतर पाई। इलाके में तेजी से गिरते भू जल स्तर के बावजूद जल बचत की कोशिशों से किसानों की बेरुखी बेहद चिंताजनक है। सरकार की ओर से सभी स्कीमों में बेहतर अनुदान दिया जाता है, लेकिन क्षेत्र में करीब 15 हजार किसान है, जिनमें से योजनाओं के लाभ के लिए 206 किसानों ने ही आवेदन किया है। इससे लाभांवित करने और पानी बचाने के तमाम प्रयास सार्थक सिद्ध नहीं हो रहे। प्रचार-प्रसार के अभाव में योजनाओं का लाभ धरातल पर नहीं उतरने से जल संचय सपना बना हुआ है। (प.सं.)
यह है योजना

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत सभी खेतों में संरक्षित सिंचाई की पहुंच को सुनिश्चित कर प्रति बूंद-अधिक उत्पादन लेने का उद्देश्य है। इससे कृषि में पानी की बचत के साथ ही मेहनत और खर्चों की लागत भी घटाई जा सके। इसके लिए कृषि विभाग एवं उद्यान विभाग की ओर से फार्म पौंड (खेत तलाई), जल हौज, फव्वारा, मिनी फव्वारा, बूंद-बूंद (ड्रिप) तकनीक और पाइप लाइन की योजनाएं संचालित हैं। विभाग की ओर से जल बचत की सभी योजनाओं पर आकर्षक अनुदान की सुविधा है।
जल हौज व फॉर्म पौंड से मोह नहीं

विभाग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार खेत में ही पानी को संरक्षित कर जरुरत के अनुसार काम लेने की जल हौज व फॉर्म पौंड स्कीम में आवेदन ही नहीं आते, जबकि जल-बचत की दिशा में दोनों स्कीम बेहद कारगर हैं। विगत दो वर्षों में किसी भी किसान ने इसमें आवेदन नहीं किया। फॉर्म पौंड में चालू वर्ष में केवल दो आवेदन हुए हैं। मिनी फव्वारा में भी आवेदकों की संख्या नगण्य है। पाइप लाइन, फव्वारा और बूंद-बूंद (ड्रिप) तकनीक में जागरुक किसान लाभांवित हुए हैं, लेकिन इलाके में कुल किसानों की संख्या को देखते हुए यह भी आशाजनक नहीं कहा जा सकता। उद्यान विभाग के कृषि पर्यवेक्षक नरेश सैनी ने बताया कि खेती में पानी की बचत के लिए किसानों को घर-घर जाकर जागरुक करने की कोशिश की जा रही है।
प्रचार-प्रसार का अभाव

किसानों में पानी-बचत की लाभप्रद और अनुदानित योजनाओं का व्यापक प्रचार-प्रसार नहीं होने के कारण उद्देश्य सफल नहीं हो रहा। विभागीय कार्मिक ग्राम सभाओं व कृषक प्रशिक्षण शिविरों में योजनाओं की महत्ता व जरुरत की गंभीरता को प्रभावी ढड्डग से प्रचारित करें तो इनके प्रति रुझान बढ़ सकता है।
योजना आवेदन अनुमानित लागत अनुदान

पाइप लाइन 50 30 हजार 50 प्रतिशत
फॉर्म पौंड 2 1.50 से 1.80 लाख 50 प्रतिशत
जल हौज 0 1.30 लाख 50 प्रतिशत
फव्वारा 120 20 से 40 हजार 50-60 प्रतिशत
मिनी फव्वारा 2 1.10 से 1.20 लाख 50-70 प्रतिशत
बूंद-बूंद (ड्रिप) 32 1.15 लाख 50-70 प्रतिशत
इनका कहना है

खेती में पानी की बचत करने की अनेक योजनाएं हैं। इन पर सरकार की ओर से अनुदान भी दिया जाता है। किसानों में जागरुकता की कमी से बहुत कम आवेदन आते हैं। प्रचार-प्रसार में तेजी लाने के प्रयास किए जायेंगे।
राजाराम रावत, ब्लॉक सहायक कृषि अधिकारी, कोटपूतली।

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