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बस्ती में डीएम की कुर्सी हुई बदनाम, आखिर क्यों नहीं यहां आना चाह रहा कोई आईएएस, खाली पड़ा पद

बस्ती में डीएम की कुर्सी हुई बदनाम, आखिर क्यों नहीं यहां आना चाह रहा कोई आईएएस, खाली पड़ा पद

बस्तीJun 07, 2018 / 07:10 pm

ज्योति मिनी

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बस्ती में डीएम की कुर्सी हुई बदनाम, आखिर क्यों नहीं यहां आना चाह रहा कोई आईएएस, खाली पड़ा पद

बस्ती. देश की राजधानी लखनऊ से 200 किलोमीटर दूर है जिला बस्ती, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृहजनपद से भी महज 70 किलोमीटर की दूरी पर बसा है दिलवालों की बस्ती। कहते हैं बस्ती में जो एक बार आता है वह यहां से दिल से जुड़ जाता है। मगर पिछले कुछ दिनों से घटनाक्रम ने बस्ती जिले के प्रदेश की राजनीति मे गर्म कर दिया है। वजह है जिला अधिकारी की कुर्सी। जो पिछले 15 दिन से अधिक समय के बाद भी खाली चल रहा है, मगर सवाल यह है कि आखिर बस्ती अचानक क्यो अधिकारियों के लिये बदनाम हो गई।
सिलसिलेवार हम आपको पूरा घटनाक्रम बताते हैं कि, आखिर बस्ती का मुखिया बनने के लिये आखिर क्यों यूपी का कोई आईएएस नहीं आना चाह रहा। बीजेपी की सरकार आने के बाद बस्ती मे लगातार राजनैतिक कारणों की वजह से चार डीएम का शासन ने तबादला किया, मगर इन तबादला के पीछे सबसे बड़ी जो वजह रही है। वह बस्ती के बीजेपी विधायकों और सांसदो का डीएम से सामंजस्य न होना, यूपी में बीजेपी सरकार आने के बाद ईमानदार छवि के अफसर माने जाने वाले आईएएस प्रभुनारायण सिंह का स्थानान्तर दो महिने से अंदर ही हो गया।
विभाग मे सुगबुगाहट हुई कि, डीएम प्रभुनारायण का तबादला बालू माफियाओं के दबाव में कर दिया गया, क्यों वे उनकी राह में रोड़ा बने हुये थे। इसके बाद स्वास्थ्य निदेशालय से ट्रासफर होकर बस्ती डीएम बनाये गये। अरविंद सिंह पदभार ग्रहण किये, जिनका सीधी टक्कर सांसद हरीश द्विवेदी के हो गई, और नौवत यहां तक आ गई की सांसद हरीश द्विवेदी को डीएम के खिलाफ ही कोतवाली के गेट पर कई घंटे तक धरने पर बैठने पड़ा। मगर तब भी बस्ती के दो विधायक और सांसद के बीच मतभेद होने के कारण डीएम को सीएम ने ही हटाया, फिर कुछ दिन डीएम अरविंद सिंह जिले में बने रहे और हमेशा आम जनता मे चर्चाओ में भी रहते थे। इसी बीच कई बार डीएम अरविंद सिंह का स्थानान्तरण हुआ भी मगर वे अपने ताकत के बल पर ट्रांसफर रुकवाने में सफल रहे, मगर 31 फरवरी 2018 को शासन ने डीएम अरविंद सिंह को फिर से शासन ने बुला और उनका तबादला कर दिया गया।
उनके स्थानान्तरण को लेकर भी कहा जाने लगा कि, सांसद और बस्ती के एक विधायक की मेहनत थी जिसे लेकर चर्चाओ का बाजार गरम रहा, बालू खनन का माफिया भी मनमुताबित काम नही करने पर डीएम को हटाने मे अहम भूमिका निभाने मे आगे रहे, इसके बाद शासन ने बस्ती की कमान सुशील कुमार मौर्या को सौंपी, जो जिले मे आते ही चर्चा मे आ गये, पहली बार किसी आईएएस पर सीधे तौर पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा, बीजेपी विधायक संजय जायसवाल खुलकर डीएम के भ्रष्टाचार के खिलाफ मोर्चा खोल दिये।
सीएम को डीएम सुशील मौर्या के करतूतो के सुबुत देते हुये कार्यवाही की मांग की, सीएम ने फीडबैक लेकर फैजाबाद मंडल के कमिश्नर को बस्ती डीएम सुशील मौर्या के जांच सौंपी, दो दिन की जांच के बाद जब सीएम योगी को रिपोर्ट मिली तो उन्होने तत्काल डीएम सुशील मौर्या को हटा दिया और उन्हे भी शासन मे बुला लिया गया, इसके बाद खनन विभाग के निदेशक बलकार सिंह को बस्ती ट्रांसफर किया गया मगर तब तक बस्ती के डीएम की कुर्सी इस कदर बदनाम हो चुकी थी कि, कोई आईएएस यहां आना अपनी बेईज्जती समझने लगा।
सो आईएएस बलकार सिंह शासन के आदेश को नजर अंदाज करते हुये बस्ती नही आये, इसके बाद चौथे डीएम के रुप मे शासन ने तेजतर्रार आईएएस राजशेखर को बस्ती का डीएम बनाया, मगर सपा सरकार मे लखनऊ के डीएम पद पर रहे राजशेखर भी बस्ती अभी तक नही आये हैं, सूत्रो से पता चला है कि राजेशखर भी बस्ती नही आना चाह रहे, जिसके लिये वे लगातार दिल्ली मे बडे नेताओ के यहां परिक्रमा कर रहे हैं, राजशेखर बस्ती जैसे जिले मे अपनी तैनाती को खुद के व्यक्तित्व के हिसाब से ठीक नही मानते और सीएम के कहने के बाद भी वे तीसरे दिन बस्ती के डीएम पद पर ज्वाईन करने नहीं आये।
बहरहाल बस्ती मे नेताओं का डीएम से बार बार विवाद होना और बालू माफियाओ का डीएम पर दबाव बनाकर मनमानी करने का एक फैसन बन गया है, जिसके बाद यूपी के आईएएस अफसर अब बस्ती आने से बचना चाहते हैं क्यो कि यहां आने के बाद बदनामी और दबाव मे काम करना शायद किसी भी डीएम के लिये आसान नहीं होता।

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