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ब्यावर

आमजन की कट रही जेब, शहर की सरकार खामोश

नगरीय परिवहन सेवा का मामलाकरीब पन्द्रह किलोमीटर क्षेत्र में फैला है शहरदूरदराज कॉलोनियों में आने जाने काकोई साधन नहींऑटो में आना पड़ता है मंहगा, नगरपरिषद ने नहीं बनाया रुटशहरवासियों को उठानी पड़ रही है परेशानी

ब्यावरJan 31, 2020 / 12:28 pm

Bhagwat

ब्यावर का फैलाव

ब्यावर का फैलाव, विहंगम दृश्य

ब्यावर. शहर की आबादी करीब साढे तीन लाख के करीब पहुंच चुकी है। बाहरी क्षेत्रों में तेजी से नई कॉलोनियां विकसित हुई है। इन कॉलोनियों से शहर में आने के लिए साधनों का अभाव है। शहर में नगरीय परिवहन सेवा की आवश्यकता महसूस की जा रही है। सरकारी महकमों की ओर से अब तक इसको लेकर पहल नहीं की गई है। अमृत योजना में ब्यावर के शामिल किए जाने के बाद नगरीय परिवहन सेवा को लेकर परिषद की ओर से पहल की जानी थी। अमृत योजना के इस प्रावधान के बावजूद नगर परिषद प्रशासन ने इस दिशा में अब तक कोई कदम नहीं उठाया है। एेसे में शहरवासियों को मनमाना किराया देकर कॉलोनी से बाजार, अस्पताल, तहसील, नगर परिषद सहित अन्य काम के लिए कार्यालय तक आना पड़ रहा है। शहर के बाहरी कॉलोनियों से चांगगेट, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, उपखंड कार्यालय, तहसील तक आने के लिए करीब चार से पांच किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। एक बार ऑटो किराए पर कर यहां तक आने के लिए कम से कम पचास से डेढ सौ रुपए अदा करना पड़ता है। रात के समय तो यह किराया मनमुताबिक वसूल किया जाता है। अमृत योजना के तहत नगरीय परिवहन सेवा को भी विकसित करना शामिल है लेकिन परिषद की ओर से अब तक इसको लेकर कोई प्रयास नहीं किए गए है। सालों पहले विकसित किए गए ऑटो स्टैंड आज भी संचालित हो रहे है।
इन्हें होती है ज्यादा परेशानी
आवागमन के स्थाई व्यवस्था नहीं होने का खामियाजा सबसे अधिक दूर-दराज क्षेत्रों से शहर के बालिका विद्यालयों में पढऩे वाली छात्राओं को उठाना पड़ता है। आलम यह है कि शिक्षा प्राप्त करने वाली छात्राओं को समय पर विद्यालय पहुंचने के लिए एक घंटा पहले निकलना पड़ता है। इसी प्रकार विद्यालय से घर पहुंचने में भी एक घंटे से अधिक का समय लगता है। शहर में तीन राजकीय बालिका विद्यालय संचालित हो रहे है। जहां तीनों विद्यालयों में कुल दो हजार सात सौ से अधिक बालिका शिक्षा ग्रहण करती है। राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय छावनी व डिग्गी मोहल्ला में विज्ञान विषय होने के कारण छात्राओं की संख्या अधिक है। यहां पढऩे आने वाली छात्राएं अलग-अलग गांवों से आती है।
पहले चलते थे बाइपास से बाइपास तक टेम्पो
शहर की आबादी बढऩे के बाद नई सुविधा शुरु होने के बजाए पूर्व में जो तीन पहिया के बड़े टेम्पों चलते थे। वो भी बंद हो गए। उदयपुर रोड बाइपास से चांगगेट, चांगगेट से अजमेर रोड बाइपास, जोधपुर रोड बाइपास से चांगगेट तक टेम्पों चलते थे। चार से पांच रुपए में अलग-अलग कॉलोनियों के लोग इनके जरिए चांगगेट तक आ जाते थे। इन टेम्पों को कुछ सालों पहले ही बंद कर दिया गया। इसके बाद से इनकी बजाए दूसरी सुविधा शुरु नहीं हो सकी। ऐसे में बाइपास से आने वाले इसके आस-पास आबाद कॉलोनियों के लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
निजी वाहनों से किराया पड़ता है भारी
अजमेर रोड बाइपास, उदयपुर रोड बाइपास व जोधपुर रोड बाइपास के आगे गांवों से निजी वाहन आते है। यह वाहन चालक कॉलोनियों की सवारिया नहीं लेते है। कुछ सवारियां बैठा भी देते हैतो लम्बा इंतजार करना पड़ता है। ऐसे में दूरदराज कॉलोनी में रहने वाले लोगों को मजबूरी में ऑटो किराए पर लेकर ही बाजार, अस्पताल, उपखंड कार्यालय, तहसील, बस स्टैंड सहित अन्य स्थानों पर आना पड़ता है। ऐसे में उन्हें जेब से पचास रुपए से लेकर डेढ सौ रुपए तक अदा करने पड़ते है।
सुविधा तो दूर, योजना ही नहीं बनी…
दूरदराज आबाद विकसित कॉलोनी से आवागमन के साधन बेहद ही कम है। आने के लिए निजी स्तर पर ऑटो किराए पर लेने होते है। नगरीय परिहवन सेवा दूर करने की सुविधा उपलब्ध करवाना तो दूर अब तक योजना ही नहीं बन सकी है। जबकि सालों से इसकी आवश्यकता महसूस की जा रही है। नगरीय परिवहन सेवा को लेकर पूर्व में परिवहन विभाग, रोडवेज व पुलिस की संयुक्त टीम बनी। जिसकों इसके लिए रिपोर्ट देनी थी। यह कार्ययोजना की रिपोर्ट मिलने के बाद आगे कुछ भी नहीं हो सका है।
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