अस्पताल प्रशासन का कहना है कि अगर कोई अस्पताल आता है। उसका उपचार के दौरान मृत्यु हो जाती है तो उसका पोस्टमार्टम यहां पर किया जाता है। अगर मृत लेकर यहां पहुंचते है तो उस शव को वापस संबंधित थाना क्षेत्र के अस्पताल भिजवा दिया जाता है। ताकि वहां पर पोस्टमार्टम हो सके।
अमृतकौर चिकित्सालय में शव का पोस्टमार्टम नहीं करने पर उसे वापस संबंधित थाने के अस्पताल में ले जाना होता है। इसमें आवाजाही का समय लगता है। इसके अलावा वहां पर चिकित्सक के आने एवं प्रक्रिया पूरा करने के कारण खासा समय जाया होता है। तब तक मृतक के परिजनों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
ब्यावर शहर की सीमा खत्म होते ही पाली जिला शुरु हो जाता है। जो शहर में महज दस से 15 किलोमीटर है। ऐसे ही राजसमंद जिले की सीमा भी महज बीस-25 किलोमीटर के बाद शुरु हो जाती है। यहां के लोग उपचार के नजरिए से अमृतकौर अस्पताल ही आते है। ऐसे में किसी की मृत्यु होने पर उन्हें चालीस से पचास किलोमीटर दूर भेजना उनके लिए परेशानी बढ़ाने वाला है।
पाली जिले के रायपुर क्षेत्र के चांग ग्राम पंचायत के कलाली का बाडिय़ा निवासी श्रमिक रमेश काठात सिलीकोसिस बीमारी से ग्रसित था। 19अप्रैल को तबीयत बिगडऩे पर परिजन उसे ब्यावर के इसी सरकारी अस्पताल लाए थे। उपचार के दौरान श्रमिक का दम टूट गया। चिकित्सा प्रशासन ने यह कहते हुए पोस्टमार्टम से इनकार कर दिया कि श्रमिक की मौत अस्पताल लाते समय रास्ते में हुई है। जिससे पोस्टमार्टम संबधित पीएचसी या सीएचसी में कराओ। श्रमिक के शव को परिजन चांग लेकर गए वहां मोर्चरी की व्यवस्था नहीं होने पर बर पीएचसी लेकर आए।
भीम थाना क्षेत्र के फत्ताखेडा निवासी सुखदेव बुधवार सुबह एक दुर्घटना में घायल हो गया। परिजन घायल को राजकीय अमृतकौर अस्पताल लेकर पहुंचे। जांच के बाद उसे मृत घोषित कर दिया गया। उसके शव को मोर्चरी में रखवाया। बाद में अस्पताल प्रबंधन ने भीम थाना क्षेत्र का मामला होने के कारण ब्यावर में पोस्टमार्टम करने से असमर्थता जता दी। परिजनों को शव भीम ले जाने के निर्देश दिए। ऐसे में हादसे के बाद भी मृतक के परिजनों को परेशानी का सामना करना पड़ा।
इनका कहना है…
अगर इस तरह के मामले है तो इसकी जानकारी लेकर दिखवाते है। किसी को भी परेशानी का सामना नहीं करना पड़े। इसका पूरा ध्यान रखते है।
-आलोक श्रीवास्तव, पीएमओ,अमृतकौर अस्पताल ब्यावर