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ब्यावर

बजट के अभाव में एक पर ताले, दूसरा पड़ा है अधूरा

सनातन धर्म राजकीय महाविद्यालय : बॉयज छात्रावास को जर्जर मान किया बंद, मरम्मत व नवीन निर्माण के लिए नहीं मिल रहा है बजट, गल्र्स छात्रावास करीब आठ साल से पडा है अधूरा, बजट के अभाव मे ंदोनो ही छात्रावास पड़े है बंद

ब्यावरApr 15, 2021 / 08:33 pm

Bhagwat

बजट के अभाव में एक पर ताले, दूसरा पड़ा है अधूरा

बजट के अभाव में एक पर ताले, दूसरा पड़ा है अधूरा

ब्यावर. शहर के राजकीय सनातन धर्म महाविद्यालय में शहरी क्षेत्र सहित दूरदराज के क्षेत्रों से आने वाले करीब चार हजार विद्यार्थी नियमित रूप से अध्ययन कर रहे हैं, लेकिन कॉलेज में छात्र-छात्राओं के छात्रावास की कोई सुविधा नहीं है। यहां निर्माणाधीन गल्र्स हॉस्टल भवन बजट के अभाव में अधूरा पड़ा है, वहीं पूर्व में संचालित बॉयज छात्रावास भवन के जर्जर होने न बजट नहीं मिलने के कारण ताले लटके हैं। ब्यावर शहर में संचालित कॉलेज में अजमेर जिले सहित राजसमन्द, नागौर, पाली व भीलवाड़ा जिले के ब्यावर से सटे क्षेत्रों के विद्यार्थी भी अध्ययन के लिए प्रवेश लेते हैं। दूरदराज से आने वाले विद्यार्थियों के लिए पहले छात्रों के लिए हॉस्टल सुविधा थी, लेकिन भवन के जर्जर होने से यह व्यवस्था बंद कर दी। ऐसे में छात्रों के लिए यहां छात्रावास की कोई व्यवस्था नहीं रही। अब नए भवन के लिए बजट मिले, तभी यह सुविधा छात्रों को मिल सकेगी। इसी प्रकार करीब आठ साल पहले गल्र्स हॉस्टल का निर्माण शुरू हुआ और उम्मीद जगी कि छात्राओं को भी छात्रावास की सुविधा मिल सकेगी, लेकिन भवन निर्माण बजट के अभाव अटक गया, जो अब तक पूरा नहीं हुआ। इसका निर्माण भी बजट मिलने के बाद ही पूरा हो सकेगा।
बजट के अभाव में अटका
कॉलेज में गल्र्स हॉस्टल निर्माण के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने करीब आठ वर्ष पूर्व 30 लाख रुपए स्वीकृत किए और इससे यहां पर 15 कमरों का निर्माण हुआ, लेकिन चारदीवारी व अन्य सुविधाओं के लिए बजट की और जरूरत पड़ी। इसके लिए बार-बार लिखा गया, लेकिन बजट स्वीकृत नहीं हुआ और करीब आठ वर्षों से निर्माण कार्य अधूरा पड़ा है। ऐसे में इसका उपयोग भी नहीं हो पा रहा है।
पीडब्ल्यूडी ने माना जर्जर
बॉयज हॉस्टल भवन का निर्माण करीब 30 साल पहले किया गया। यहां पर करीब 18 कमरे का निर्माण हुआ। इसमें दो साल पहले तक छात्रों के आवास की व्यवस्था थी, लेकिन भवन जीर्ण-शीर्ण हालत के कारण यहां पर आए दिन छोटे-मोटे हादसे होने लगे। इस पर कॉलेज प्रबन्धन ने सार्वजनिक निर्माण विभाग से भवन का सत्यापन कराया और विभाग ने इसे जर्जर मान लिया। इसके बाद दो साल से यह बंद पड़ा है।

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