ब्यावर की अदालत में एक अजीब नजारा देखने को मिला। न पत्नी साथ रहना चाहती थी और न ही पति। लेकिन न्यायलय ने कुछ ऐसा हस्तक्षेप किया कि दोनों के दिलों से शिकायतों का गुबार फूट निकला।
पत्रिका। ब्यावर की अदालत में एक अजीब नजारा देखने को मिला। न पत्नी साथ रहना चाहती थी और न ही पति। लेकिन न्यायलय ने कुछ ऐसा हस्तक्षेप किया कि दोनों के दिलों से शिकायतों का गुबार फूट निकला। इसके बाद आंसुओ के सैलाब में गीले, शिकवे, तन्हाई, रुसवाई सहित तमाम गिले बह गए। फिर दोनों ने एक बार एक बार फिर से एक दूसरे को माला पहनाई, वादा लिया और एक घर रोशन हुआ।
राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जयपुर के निर्देशानुसार ब्यावर उपखण्ड स्थित न्यायिक व राजस्व न्यायालयों में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन शनिवार को किया गया। एक दशक से दम्पती के बीच चल रहे प्रकरण में सहमति बनी। दस साल से अलग-अलग रह रहे दम्पती ने एक दूजे को माला पहनाई। पुराने चल रहे विवाद का निस्तारण कर साथ रहने के लिए रवाना हुए। इस दौरान वहां पर मौजूद न्यायिक अधिकारियों व अधिवक्ताओं ने उन्हें शुभकामनाएं दी। न्यायाधीश डॉ. जीतेन्द्र सांवरिया व अधिवक्ता लक्ष्मणसिंह पंवार ने न्यायालय में चले रहे एक लंबित वैवाहिक प्रकरण में पति-पत्नी के मध्य आपसी समझाईश करवाई। दस वर्ष से अलग-अलग रहे रह दम्पती ने कोर्ट परिसर में ही एक-दूसरे को माला पहनाकर साथ रहने पर सहमति जाहिर की।
यह भी पढ़ें : पशुओं में एक बार फिर लंपी बीमारी का खतरा बढ़ा
कुल 137 प्रकरणों का निस्तारण
बैंच संख्या एक अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश सं.तीन डॉ. जीतेन्द्र सांवरिया ने कुल 137 प्रकरणों का निस्तारण आपसी राजीनामा के माध्यम से लोक अदालत में किया। मोटर वाहन दुर्घटना दावा के 98 प्रकरणों में पीड़ितों के पक्ष में तीन करोड़ नव्वासी लाख उनयासी हजार रुपए के अवार्ड पारित किए। बैंच सं.दो सिविल न्यायाधीश एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट ऋतु चंदानी ने 280 प्रकरणों का निस्तारण आपसी राजीनामे के आधार पर किया। प्री-लिटिगेशन स्तर पर विद्युत विभाग व अन्य वित्तीय संस्थानों के 86 प्रकरणों को राजीनामे से निस्तारित करवाया गया।
4276 राजस्व प्रकरण निबटाए
राजस्व न्यायालयों के उपखण्ड स्तर पर प्री-लिटिगेशन व लंबित कुल 4276 प्रकरणों का निस्तारण किया गया। राष्ट्रीय लोक अदालत में प्रकरणों के आपसी राजीनामा के आधार पर निस्तारण में तहसीलदार मोहनसिंह राजावत, बार संघ अध्यक्ष अधिवक्ता टीकमसिंह चौहान, सचिव तुषार दुबे, वरिष्ठ अधिवक्ता ललित सटाक, ए.एस. ऑबरोय, एल. के. व्यास, मुकेश दवे, लक्ष्मणसिंह पंवार, प्रवीण जैन, बलवंतसिंह चौहान, जयप्रकाश जांगिड़, नरेन्द्र शर्मा, नोरत गोस्वामी, बालकिशन गोठवाल, धर्मेन्द्र शर्मा, भरत साखला, सोहनलाल शर्मा, मोहम्मद अशफाक, सिकंदर अली, भुपेन्द्रसिंह तोमर, ऋषिराज सिंह, रामस्वरूप सेवलिया, भरत शिवनानी, संजय नाहर का विशेष योगदान रहा।