इतना लम्बा समय बीतने के बावजूद अब तक जिस जमीन पर अस्पताल का निर्माण हो रखा है। वह जमीन अस्पताल के नाम नहीं चढ़ सकी, जबकि इन सालों में कई जनप्रतिनिधियों के चेहरे बदल गए। अस्पताल के भवन की न तो सुध ली एवं न ही जमीन अस्पताल के नाम करने में कोई दिलचस्पी दिखाई।
इसी साल तत्कालीन जिला कलक्टर के अस्पताल के निरीक्षण के दौरान यह मामला उठा। ऐसे में जिला कलक्टर ने 29 जनवरी को इस संबंध में पत्र लिखा। इसके बाद इससे संबंधित ही एक पत्र आठ मार्च को वापस सरकार को भिजवाया गया। इसके आधार पर शासन उप सचिव कमलेश आबुसरिया ने जून 2019 में जमीन को करीब अड़सठ साल बाद अमृतकौर अस्पताल के नाम आवंटित करने के आदेश जारी किए।
इसके बाद उम्मीद बंधी की जमीन की वास्तविक स्थिति जल्द पता हो जाएगी और अस्पताल प्रशासन इस जमीन की चारदीवारी कर इसे सुरक्षित कर सकेगा। इस बात को छह माह बीत गए, लेकिन अस्पताल प्रशासन की ओर से चारदीवारी कर सुरक्षा करना तो दूर जमीन का सीमाज्ञान तक नहीं कराया गया।
इस संबंध में तहसीलदार रमेश बहेडिय़ा ने बताया कि अस्पताल प्रबन्धन की ओर से एक बार सम्पर्क किया गया और उसके बाद उनके यहां बाहर से टीम आदि जांच के लिए आ गई। उसके बाद सम्पर्क नहीं किया।
वहीं अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ. आलोक श्रीवास्तव ने बताया कि सालों बाद अस्पताल के नाम जमीन हुई है और सीमाज्ञान कराना भी जरूरी है। इसके लिए सीमाज्ञान जल्द कराकर जमीन के सुरक्षा के बंदोबस्त किए जाएंगे।