देखिये आपके कलेजे के टुकड़े कैसी मुसीबत में
जोखिम में मासूमों की जान, सुरक्षा पर नहीं ध्यान, बाल वाहिनी के रूप में दौड़ रहे हैं निजी वाहन, ऑटो के रूप में चल रही है बाल वाहिनी
ऑटो के रूप में चल रही है बाल वाहिनी
ब्यावर. हर साल की तरह इस साल भी यातायात सप्ताह फाइलों में पूरा हो गया। जिला परिवहन विभाग व यातायात विभाग की ओर से केवल कागजी कार्रवाई करके इतिश्री कर ली गई। शहर में बाल वाहिनी के नाम पर निजी वाहन व ऑटो संचालित हो रहे हैं। इन ऑटो संचालकों या निजी वाहनों के पास कोईपरमिट नहीं है। कौन सा ऑटो कहां संचालित हो रहा है। ओवरलोडेड बच्चों को मवेशियों की तरह ऑटो में ठूसा जा रहा है। यहां तक की स्कूली बच्चों के बैग तक बाहर लटकाए जा रहे हैं। जो कभी भी हादसे का कारण बन सकता है। कई स्कूली बच्चे बाहर लटकते रहते हैं। यहां तक की बाल वाहिनी में चल रहे ऑटो चालक की सीट पर भी तीन से चार बच्चे बैठ जाते हैं। शहर थाना तथा उपखण्डअधिकारी कार्यालय के बाहर से दनदनाते बाल वाहिनी के ऑटो निकल रहे हैं। लेकिन कभी इन ऑटो की जांच करना किसी अधिकारी ने मुनासिब नहीं समझा।
सुस्त प्रशासन का खामियाजा उठा रहे मासूम…
गत दिनों उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में रेलवे क्रॉसिंग पर 13 बच्चे काल का ग्रास बन गए। इसके बावजूद शिक्षा विभाग, जिला परिवहन सहित जिला प्रशासन पुलिस महकमा अभी तक नहीं चेता। चौंकाने वाली बात तो यह है कि शहर में दिन भर ऐसे वाहन दनादन दौड़ रहे हैं। इतना ही नहीं कईबस चालकों तथा अन्य सीट बेल्ट तक नहीं लगा रहे। ऐसे में बच्चों की जान से की सुरक्षा की जिममेदारी किसकी है। बच्चों की जान से खुलकर खिलवाड़ किया जा रहा है लेकिन प्रशासन के कारिंदे चुप्पी सादे हुए हैं।
ये है नियम…
-वाहन पीले रंग से पुता हुआ हो।
-वाहन पर बालवाहिनी लिखा हुआ हो।
-दरवाजे पर लॉक लगने की व्यवस्था हो।
-वाहन पर चालक, परिचालक व विद्यालय के नाम, मोबाइल नंबर लिखे हो।
-वाहनों का परमिट व फिटनेस हो।
-खिड़कियों ऑटो के दोनों ओर रैलिंग लगी हुई हो, जिससे कोईबाहर नहीं निकले।
-चालक पांच वर्ष से अधिक अनुभवी वाला हो।
-वाहन के साथ कैयरटेकर होना जरुरी है, जो बालकों के साथ चढ़ा उतार सके।
-वाहनों में जीपीएस सिस्टम व मोबाइल नंबर लिखे हुए हो।
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