जिले में 2019 के अक्टूबर के बाद नवंबर, दिसंबर और 2020 में जनवरी से लेकर दिसंबर तक जारी वर्ष में तीन माह से दूध की सप्लाई ही नहीं की गई है। जिसकी वजह से बच्चों को दूध ही प्रदान नहीं किया जा रहा है। इस तरह से योजना फ्लॉप होने जा रहा है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब जिले में 18 माह से बच्चों को प्रदान किए जाने वाले दूध की सप्लाई ही नहीं की जा रही तो दूध के अभाव में बच्चों का स्वास्थ्य कैसे सुधरेगा। बच्चों को कुपोषण से कैसे निजात मिलेगी और इसका विकल्प क्या होगा? निर्धन पालक अपने बच्चों को दूध नहीं दे सकते हैं, परंतु इस योजना के तहत बच्चों को दूध मिलने से बच्चों का स्वास्थ्य को लेकर चिंता कम हो गई थी। सरकार के पास बच्चों को देने के लिए दूध तक नहीं है। इस प्रकार की योजना के कमजोर होने से बच्चों का स्वास्थ्य कैसे अच्छा रहेगा?
2016 के दौरान पूरे प्रदेश की तरह ही जिले में भी आंगनबाड़ी केंद्रों में अमृत योजना के तहत 3 से 6 साल तक के बच्चों को प्रति सोमवार को 100 ग्राम मीठा व सुगंधित दूध पिलाना शुरू कर किया गया था। तब भी दूध की सुरक्षा के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों में कोई विशेष व्यवस्था नहीं किए जाने पर सवाल उठाया गया था, जो योजना के दौरान आज भी कायम रहा है।
आपूर्ति के लिए 1 लीटर पैक के 10 पैकेट को एक कार्टून में पैक किया जाता है। अल्ट्रा हाई टेम्प्रेचर वाले सुगंधित मीठा दूध को सामान्य तापमान में 90 दिनों तक सुरक्षित रहने के दावे किए गए। जिले के एकमात्र बेमेतरा परियोजना के 156 आंगनबाड़ी केंद्रों में 5335 बच्चों के लिए 20107 पैकेट (2017 डिब्बे) की आपूर्ति थी। इस लिहाज से जिले में 1 लाख 70 हजार के करीब दूध पैकेट की सप्लाई किया जा रहा था। बहरहाल योजना को लेकर जब महिला एवं बाल विकास अधिकारी से कार्यालय में संपर्क किया गया तो अधिकारी बीडी पटेल ने कहा कि विधानसभा के सवालों का जवाब देने में व्यस्त हूं, आपको जानकारी नहीं दे सकता। योजना की जानकारी देने के लिए अधिकारी को इससे कम बात करना पड़ता पर अधिकारी जवाब देने से बचते रहे। कलेक्टर शिव अनंत तायल ने कहा कि जिले में अब आंगनबाड़ी खुलने लगी है। जहां पर खिचड़ी व दाल, सब्जी दिया जा रहा है। आने वाले दिनों में गाइड लाइन का पालन कर दूध का भी वितरण किया जाएगा।
जिले में सर्वाधिक आंगनबाड़ी व लाभान्वित बच्चे बेरला में 9144 बच्चे हैं। बेमेतरा में 5740, साजा में 8569, नवागढ़ में 6878, नांदघाट में 6451, खंडसरा में 5093 बच्चे हैं। जिनमें से 6 से 36 माह के 820 गंभीर कुपोषित बच्चे हैं, वहीं 36 से 72 माह के सामान्य व औसत स्तर के 36820 बच्चे व 36 से 72 माह के 239 गंभीर कुपेाषित बच्चे हैं। जिनको योजनाओं के तहत आवश्यक पोषण आहार दिया जाना है। पूरे प्रदेश की तरह जिले में 2016 के दौरान प्रांरभ की गई अमृत योजना के तहत सप्ताह में एक दिन याने सोमवार को 100 एमएल मीठा दूध दिया जा रहा था, जिसे 2020 के दौरान आदेश नहीं होने के नाम पर वितरण नहीं हुआ था। इसके बाद कोरोना काल में आंगनबाड़ी केन्द्र बंद रहा था। इसके बाद अब जब आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन जारी है, ऐसे में मीठा दूध वितरण को लेकर जिम्मेदार भी अगल-बगल झांकने लगे हैं। विभागीय अधिकारी ने राज्य शासन से ही दूध का आवंटन ना मिलने की बात कही है। योजना पूर्व सरकार द्वारा प्रारंभ की गई थी, जो जारी समय में सप्लाई नहीं होने से प्रभावित है।