जारी किया गया फंड संबधित स्कूलों के खातों में पहुंचा था जिसे शाला प्रबंधन विकास समिति के अनुमोदन के बाद प्राचार्य द्वारा जिला शिक्षा अधिकारी के माध्यम से किया जाने का आदेश जारी किया गया था। खरीदी करने के लिए स्कूल की समितियों को आधे अधूरी जानकारी देकर अनुमोदन कराने के बाद प्राचार्य को रेडिमेट पत्र थमाया गया। जिसमें कुछ खाली स्थान छोड़े गए थे। जिसे प्राचार्यों के द्वारा हस्ताक्षर कर वापस किया गया। खरीदी प्रक्रिया को लेकर पूछे जाने पर खिलोरा में पदस्थ प्राचार्य पी एस यदु ने बताया कि आदेश में डीईओ के माध्यम से ही खरीदी किया जाना बताया गया था पर संस्था का ई पंजीयन नहीं था। जिससे खरीदी जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से किया गया था। जिसके लिए 19 मार्च को आर्डर जारी किया गया था।
फर्नीचर खरीदी के लिए स्कूलों में कार्यरत समितियों के अधिकारी क्षेत्र को दरकिनार कर आदेश जारी करने से लेकर खरीदी के लिए अपनाई गई प्रक्रिया की जांच की मांग करते हुए ब्लाक कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष लुकेश वर्मा व पदाधिकारी किरण सिंह वर्मा ने कहा कि जिले में 1 करोड़ 54 लाख रुपए से खरीदे गए फर्नीचर प्रकरण की भी जांच की जाए। जिले के 21 हाईस्कूल जिनका उन्नयन 2009 -10 के दौरान हुआ था, इन स्कूलों के विद्यार्थियों के बैठने के लिए फर्नीचर के लिए 1 करोड़ 54 लाख 770 रुपए प्रत्येक स्कूल के लिए 7 लाख 37 हजार की मान से 23 फरवरी 21 को जारी किया गया था। इस फंड से जिले के जिया, उमरिया, बटार, तुमा, हेमाबंद, नरी, मोहरेंंगा, सोनपुरी, बैहरसरी, अर्जुनी, खिलारो, तिलईकुडा, खिसोरा, बचेडी, भरदा, टकसीवा, देवरी, नारायणपुर, गोडमर्रा, डगनिया व कन्हेरा स्कूल के लिए फर्नीचर खरीदने के जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से प्रकिया पुर्ण किया गया। प्रचार्या के द्वारा ही समिति का अनुमोदन लिया गया था।
डीईओ कार्यालय में फर्नीचर खरीदी को लेकर विधानसभा शुक्रवार को ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के दौरान मामला गूंजा था। जिसके बाद सदन में मंत्री की घोषणा के बाद डीईओ मधुलिका तिवारी को दुर्ग कार्यालय अटैच करने की बात कहीं गई थी, जिसके बाद आज डीईओ तिवारी कार्यालय पहुंची थी। इस पर शिक्षा अधिकारी मधुलिका तिवारी द्वारा बेमेतरा में ही रहने की बात कही गई। उन्होंने कहा कि फर्नीचर खरीदी से संबंधित जानकारी फाइल देखकर ही आपको बता पाऊंगी।