बताना होगा कि जिले के राजस्व पदों में स्टाफ की कमी का असर कामकाज में दिखने लगा है। जिले के सेटअप को देखा जाए तो प्रशासनिक व कर्मचारी स्तर के 204 पद स्वीकृत हैं। सेटअप के अनुरूप जिले के राजस्व विभाग में 118 कर्मचारी पदस्थ हैं, वहीं 86 पद रिक्त हैं। रिक्त पदों में अपर कलक्टर, संयुक्त कलक्टर, तहसीलदार, अधीक्षक, सहायक अधीक्षक, स्टेनेाग्राफर के सभी स्वीकृत पद रिक्त हैं। इसके अलावा जिले में सहायक गे्रड-2 के 36 में से 17 पद रिक्त हैं। सहायक ग्रेड-3 के 45 में से 9 पद रिक्त हैं। स्टेनोग्राफर के 14 में से 13 पद रिक्त हैं। माल-जमादार के सभी 5 पद रिक्त हैं। फर्रास के 5 पद रिक्त हैं। चौकीदार के 7 पद रिक्त हैं। प्रोसेस सर्वर के 8 में से 6 पद रिक्त हैं। अंशकालीन स्वीपर के सभी 5 पद रिक्त हैं। इसके अलावा भृत्य के 5 पद रिक्त हंै। जिले में रिक्त पदों की वजह से प्रभावित पद प्रभार पर दिया गया है।
तहसील में 1 तहसीलदार व 2 नायब तहसीलदार का पद स्वीकृत है। जिसमें तहसीलदार का पद जून से रिक्त है। जिसकी अतिरिक्त जवाबदेही एक नायब तहसीलदार को दिया गया है। जो बमुश्किल अपने ही कार्यालय का ही काम कर पा रहे हैं। वहीं तहसील में सहायक ग्रेड -2 व 3 के 6-6 पद स्वीकृत हैं, जिनमें सभी में कार्यरत हैं। स्टेनो टायपिस्ट के स्वीकृत 2 पद में 1 पद रिक्त है। वाहन चालक के स्वीकृत 2 पदों में 1 पद रिक्त है। माल जमादार, फर्रास व चौकीदार के 1-1 पद स्वीकृत हैं, जिसमें तीनों ही पद रिक्त हैं। वही चपरासी के स्वीकृत 6 पद में से 3 पद रिक्त हैं।
बताना होगा कि बेमेतरा तहसील में बीते 20 माह में 8 तहसीलदार बदल चुके हैं। वहीं बीते 8 माह में ही 4 तहसीलदार बदल चुके हैं। जिसमें दो पूर्ण कालीन व दो बार नायब तहसीलदार को प्रभार दिया गया है। हर दो माह में तहसीलदार बदलने से प्रकरण की सुनवाई कैसे होती होगी और किसानों के जमीन संबंधित मामलों का निराकरण कैसे होता होगा, यह समझा जा सकता है। वहीं वर्तमान में भी नायब तहसीलदार को प्रभार दिया गया है। जो अपने कार्यालय का काम देखते हैं, वही उनको ही फील्ड में भी कई प्रकार के काम करने होते हैं। तहसील में पटवारी हल्कों को छोटा करते हुए पटवारी हल्कों की संख्या को बढ़ा दिए जाने से समस्या बढ़ गई है। राजस्व निरीक्षण मंडल भी दो से लगभग 12 कर दिए गए हैं, लेकिन पूर्णकालीन तहसीलदार नहीं होने से लोगों व किसानों की समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है।
बताना होगा कि बेमेतरा तहसील कार्यालय में मुख्य अधिकारी के अभाव में पखवाड़ेभर से लोगों को परेशानी उठानी पड़ रही है। चूंकि तहसील में फौती, नामंातरण, बंटवारा, सीमांकन, अतिक्रमण, प्रमाणीकरण, ऋण पुस्तिका प्राप्त करने जैसे जमीन संबंधित मामलों की सुनवाई तहसील न्यायालय में होती है। तहसीलदार के नहीं होने से किसानों के इस तरह के काम पेंडिंग चल रहे हैं। किसानों को किसी भी प्रकरण के लिए लगभग 1 माह की पेशी तारीख दिया जाता है, लेकिन स्थाई तहसीलदार नहीं होने से प्रकरण की सुनवाई नहीं हो पाती और सीधे अगले माह की पेशी तारीख दे दी जाती है। जिसके कारण किसान मायूस होकर वापस चले जाते हैं।
वर्तमान समय में धान पंजीयन का समय भी चल रहा है। किसानों को पुराने रकबे में संशोधन या फिर नवीन पंजीयन कराने के लिए तहसीलदार के यहां पर प्रमाणित कराना होता है। ऐसे में कई गांवों से आए किसान तहसीलदार के नहीं होने से मायूस लौट रहे हैं। ग्राम बहुनवागांव से आए किसान भागवत वर्मा, चारभाठा से आए किसान समारु राम ने बताया कि धान का पंजीयन कराने तहसीलदार के पास आए हैं, लेकिन तहसीलदार नहीं होने से वापस जा रहे हैं। वहीं ग्राम नगपुरा से आए किसान भरत गुप्ता ने बताया कि वह आपसी बंटवारा का प्रकरण पेश करने आए हैं, लेकिन साहब नहीं बैठे हैं, जिनका इंतजार कर रहा हूं।
इस संबंध में बेमेतरा एसडीएम आशुतोष चतुर्वेदी ने कहा कि शासन से तबादले के दौरान जिले में तहसीलदार का तबादला किया गया है। जिनके आने के बाद पदस्थ किया जाएगा। प्रभारी को न्यायालय में बैठने के लिए समय निर्धारित करने कहा जाएगा। वहीं कलक्टर शिखा राजपूत तिवारी ने कहा कि कुछ पद रिक्त हैं पर इससे कामकाज पर कोई असर नहीं पड़ रहा है। कर्मचारियों की भर्ती व्यावसायिक परीक्षा मंडल के माध्यम से होना है। पदों की जानकारी उच्च विभाग को प्रस्तुत कर दी गई है।