सन 1974 में 2 लाख रुपए के बजट से शुरू हुई थी योजना
जानकारी के अनुसार आज से 44 साल पहले सन 1974 के दौरान राहत मद से स्वीकृत ढाबा व्यपवर्तन योजना करीब 2 लाख रुपए के बजट से शुरू किया गया था। उस समय योजना के तहत 200 एकड़ की फसल की सिंचाई करना था। जिसके बाद 80 के दशक में 16 लाख 27 रुपए का बजट स्वीकृत किया गया। जिसमें फसल सिंचाई का लक्ष्य 1200 एकड़ रखा गया। 2005 के दौरान तीसरी बार योजना का विस्तार किया गया। जिसके लिए शासन द्वारा 66 लाख 66 हजार रुपए का बजट जारी किया गया था। जिसमें से लाखों रुपए खर्च हो चुके हैं। ढाबा व्यपवर्तन योजना से सिंचाई के लिए 600 एकड़ से अधिक रकबे के लिए सिंचाई के लिए किसानों ने जलाापूर्ति के लिए अनुबंध किया है।
तब मुआवजा देते तो 3 करोड़ का भुगतान देते, अब बजट 15 करोड़ रुपए के पार
बताना होगा कि कई साल से गर्मी के दिनों में जलस्तर बनाए रखने के लिए कूंरा, कातलबोड़ व गिधवा गांव के करीब 150 एकड़ का रकबा डुबान में आने के कारण प्रभावितों को करीब 3 करोड़ रुपए मुआवजा का भुगतान करना पड़ सकता है। न्यायालय के निर्देश पर कई किसानों को भुगतान जारी कर दिया गया है। कुल 76 किसान प्रभावित हुए हैं। योजना में पहले प्रति एकड़ 2 लाख रुपए की दर से 3 करोड़ रुपए का मुआवजा दिया जाने का अनुमान था जो आज बढ़कर 15 से 20 करोड़ रुपए तक पहुंच चुका है। वहीं दो प्रकरण में 1 करोड़ से अधिक का मुआवजा दिया जा चुका है।
पूर्व अधिकारी का पत्र बना प्रभावितों के लिए वरदान
ढाबा योजना में डुबान को लेकर पूर्व में नवागढ़ प्रभारी जार्ज द्वारा जारी किया गया पत्र प्रभावितों को राहत दिलाने के लिए वरदान साबित हुआ है। प्रभावित को लिखे गए पत्र के जवाब में अधिकारी द्वारा डुबान से प्रभावित होने का ब्यैारा व मुआवजा राशि दिए जाने का वर्णन किया गया है। पत्र में मुआवजा दिए जाने या गेट खोलने की बात पर अधिकारियों से मार्गदर्शन मांगने की बात कही गई है। ढाबा योजना से प्रभावित किसानों ने सिंचाई विभाग के जिम्मेदारों से रबी फसल की खेती करने के लिए गेट खेलने की मांग की थी। जिसके लिए तत्कालीन कार्यापालन अभियंता द्वारा मंडल कार्यालय को प्रस्तुत पत्र का जवाब नहीं दिए जाने के कारण किसानों ने न्यायालय की शरण ली थी। विभागीय जानकारी के अनुसार अक्टूबर 2015 के दौरान ढाबा का गेट खोलकर जल भराव को खाली कर दिया गया है। किसानों ने फसल लेना भी शुरू कर दिया है। साथ ही योजना से करीब 300 हेक्टेयर के किसान लाभ उठा रहे हैं।
ढाबा योजना में डुबान को लेकर पूर्व में नवागढ़ प्रभारी जार्ज द्वारा जारी किया गया पत्र प्रभावितों को राहत दिलाने के लिए वरदान साबित हुआ है। प्रभावित को लिखे गए पत्र के जवाब में अधिकारी द्वारा डुबान से प्रभावित होने का ब्यैारा व मुआवजा राशि दिए जाने का वर्णन किया गया है। पत्र में मुआवजा दिए जाने या गेट खोलने की बात पर अधिकारियों से मार्गदर्शन मांगने की बात कही गई है। ढाबा योजना से प्रभावित किसानों ने सिंचाई विभाग के जिम्मेदारों से रबी फसल की खेती करने के लिए गेट खेलने की मांग की थी। जिसके लिए तत्कालीन कार्यापालन अभियंता द्वारा मंडल कार्यालय को प्रस्तुत पत्र का जवाब नहीं दिए जाने के कारण किसानों ने न्यायालय की शरण ली थी। विभागीय जानकारी के अनुसार अक्टूबर 2015 के दौरान ढाबा का गेट खोलकर जल भराव को खाली कर दिया गया है। किसानों ने फसल लेना भी शुरू कर दिया है। साथ ही योजना से करीब 300 हेक्टेयर के किसान लाभ उठा रहे हैं।
इसलिए बनी थी योजना
सूत्रों के अनुसार योजना को बारिश के दिनों में नदी-नालों या अन्य माध्यम से बहकर आए पानी को स्टोर करने के लिए व्यपवर्तन योजना शुरू किया गया था। जलभराव के कारण जलस्तर बना रहता था और अक्टूबर के आसपास गेट खोल दिया जाता है। जिससे प्रभावित किसान रबी सीजन की फसल ले सके। बहरहाल ढाबा व्यपवर्तन जलसंसाधन विभाग के लिए सफेद हाथी साबित हो रहा है।