विज्ञान सामग्री और फर्नीचर खरीदी घोटाला का मामला विधायक आशीष छाबड़ा द्वारा विधानसभा में प्रमुखता से उठाने पर बेमेतरा डीईओ को निलंबित कर दुर्ग अटैच कर दिया गया है। अब उनके निलंबन के बाद के नए घोटाले सामने आ रहे हैं। निलंबन के बाद जिला शिक्षा अधिकारी की विभागीय व्यस्तता पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं, की यह व्यस्तता कर्तव्यों की पूर्ति है या गड़बड़ी की लीपापोती। अवकाश के दिन विभागीय स्टाफ से रात भर काम लिए जाना, गड़बडिय़ों को दुरुस्त करने की कवायद बताई जा रही है।
जिला शिक्षा विभाग में बड़े पैमाने पर हो रहे भ्रष्टाचार को पत्रिका में प्रमुखता से प्रकाशित किया जा रहा है। बीते दिनों फर्नीचर व विज्ञान सामग्री खरीदी में हुए घोटाले से संबंधित खबर प्रमुखता से प्रकाशित होने पश्चात विधायक आशीष छाबड़ा ने इस मुद्दे को विधानसभा में पत्रिका अखबार का हवाला देकर प्रमुखता से उठाया था। जहां शिक्षा मंत्री ने जिला शिक्षा अधिकारी मधुलिका तिवारी के निलंबन की घोषणा की थी लेकिन आदेश नहीं मिलने का हवाला देकर अब तक जिला शिक्षा अधिकारी को रिलीव नहीं किया है। सूत्रों के अनुसार राज्य शिक्षा विभाग से निलंबन का आदेश जारी हो चुका है।
जानकारी के अनुसार जिले के 92 हाई/हायर सेकेंडरी स्कूल में कोविड गाइड लाइन के पालन हेतु सैनिटाइजर, मास्क, थर्मामीटर व ऑटो गन मशीन की खरीदी होनी थी। इसके लिए स्कूल के बैंक खाते में अप्रैल माह में शिक्षा विभाग की ओर से आवश्यक धनराशि जमा कराई गई। अब कोविड नियंत्रण के बाद शिक्षा सत्र शुरू करने को लेकर स्कूलों को सेनेटाइज किया जाना है। इसलिए हाई/हायर सेकेंडरी स्कूल में उक्त सामग्री खरीदी के आदेश जारी हुए, लेकिन यह सामग्री जिला शिक्षा अधिकारी ने अपने चहेते फर्म से खरीदी कर स्कूलों में वितरण के मौखिक आदेश दिए। इसकी जिम्मेदारी शिक्षा अधिकारी की ओर से जोन प्राचार्यों को दी गई। वही संबंधित फर्म की ओर से यह सामग्री जोन प्राचार्य के पास छोड़ी गई। जहां से जोन के अंतर्गत के स्कूलों में इन सामग्री का वितरण किया गया।
जोन प्राचार्यों से मिली जानकारी के अनुसार संबंधित फर्म के कर्मचारी को सामग्री कहां और किनके पास छोडऩा है, इसकी सारी जानकारी पहले से थी। सामग्री छोडऩे के दौरान सवाल पूछने पर जिला शिक्षा अधिकारी के आदेश का हवाला दिया गया। जानकारी के अनुसार कई प्राचार्य को डीईओ कार्यालय से सामग्री को लेने व भुगतान के संबंध में फोन किया गया है।