इस स्कूल के बच्चों को सरहद में रहने वाले सैनिकों से है इतना प्रेम कि उनकी सलामती के लिए हर रोज कर रहे प्रार्थना
देशभक्ति का पाठ पढ़ाने और सैनिकों के प्रति सम्मान की भावना जगाने के लिए गुरुकुल स्कूल ने की है अनोखी पहल
इस स्कूल के बच्चों को सरहद में रहने वाले सैनिकों से है इतना प्रेम कि उनकी सलामती के लिए हर रोज कर रहे प्रार्थना
नवागढ़. गुरुकुल विद्यालय के छात्र-छात्राएं देश के लिए लडऩे वाले सैनिकों और उनके परिवार के लिए रोज प्रार्थना कर रहे हैं। ताकि उन्हें और उनके परिवार को ताकत मिल सके। उन पर किसी प्रकार की आंच न आए। दुश्मनों के छक्के छुड़ा दें। हमारे देश के सैनिक हमेशा स्वस्थ रहें, खुश रहें और अपने कर्तव्य पथ पर निरंतर गतिशील रहें। मौका आने पर दुश्मनों को करारी मात दें।
हम सभी मिलकर बढ़ाएं सैनिकों का हौसला
विद्यालय में यह एक नई पहल है। ताकि यह संदेश प्रत्येक स्कूलों, महाविद्यालयों और घरों तक पहुंचे। सभी लोग सैनिकों के लिए प्रार्थना करें और उन्हें हिम्मत मिले। गुरुकुल विद्यालय चाहता है कि अन्य स्कूलों एवं कॉलेजों में सैनिकों के बारे में यह संदेश पहुंचे और वे भी प्रार्थना करें। साथ ही उनकी तरह अन्य लोग भी सैनिक बने। ताकि देश की रक्षा हो सके। इसके लिए सैनिक अपने परिवार, घर, राज्य को छोड़ कैसे हंसते हुए देश की सीमा पर डटे हुए रहते हैं।
पहाड़ टूटकर गिरते हैं फिर भी डटे रहते हैं सैनिक
उन्होंने बताया कि बर्फ गिर रहे है, पानी गिर रहा है पहाड़ टूट कर गिर रहे है लेकिन सैनिक डटे हैं, उनके कारण ही लोग अमरनाथ यात्रा कर पा रहे हैं। दीवान ने कारगिल में डटे सैनिकों के बारे में बताते हुए भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि वहां के सैनिक अपने परिवार के किसी भी सदस्यों के देहांत हो जाने की खबर जान कर भी पंहुच नही पाते हैं। बावजूद उसके दुश्मन से हमारी सुरक्षा के लिए पैर जमाए कंधे से कंधा मिला कर सरहद पर खड़े रहते हैं। इस अवसर पर मेघा दीवान, कोदू राम सिंह, पोषण जायसवाल, सरला दीवान, मेघा बोयरे, रिनु जायसवाल, आदि उपस्थित रहे।
26 जुलाई को मनाया जाएगा कारगिल दिवस
आगामी 26 जुलाई को 18वां कारगिल विजय दिवस मनाया जाएगा। इस अवसर पर प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाएंगी। कार्यक्रम में गुरुकुल विद्यालय के संचालक राजेशधर दीवान ने बच्चों को बताया कि सरहद में डटे रहने वाले सैनिक के त्याग के चलते हम और आप खुशी से अपने घरों में रह रहे हैं। नही तो हम फिर से किसी के गुलाम हो जाते। उन्होंने बताया कि कुछ दिन पहले वे अमरनाथ यात्रा पर गए थे। बर्फानी बाबा के दर्शन भी किए, वहां उन्होंने देखा कि किस प्रकार सैनिक पल-पल डटे हुए हैं।
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