अभियान के तहत खिलोरा के सबसे पुराने तालाब के घाटों की साफ-सफाई की गई। सरपंच घनश्याम साहू ने बताया गया कि तालाब का निर्माण लगभग 100 वर्ष पूर्व तत्कालीन दाऊ स्व. चन्दूलाल साहू ने जनहित में कराया। लगभग 12 एकड़ के क्षेत्रफल में फैले तालाब में पूरे सालभर पानी रहता है। तालाब दो हिस्सों में बंटा हुआ है एक हिस्से में निर्मलाघाट एवं पचरी का निर्माण कराया गया है, जिसमें ग्रामीण निस्तारी करते है। साथ ही तालाब के एक पार में लगभग 60 वर्ष पूर्व शिवमंदिर का निर्माण कराया गया है। जहां पर श्रद्धालु नहाने के बाद जल अर्पित करते हैं। वहीं दूसरा हिस्सा पशुओं के लिए रखा गया है। जिसमें पशुओं को नहलाया धुलाया जाता है।
गंाव में सबसे पुराने तालाब के अलावा दो और तालाब हैं। एक पटेल तालाब के नाम से जाना जाता है, जिसका निर्माण लगभग 50 वर्ष पूर्व आसाराम पटेल ने कराया था। तालाब लगभग साढ़े चार एकड़ के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। इस तालाब में भी सालभर पानी रहता है। दूसरा कुआं तालाब के नाम से जाना जाता है। कुआं तालाब का निर्माण लगभग आज से 60 वर्ष पूर्व दाऊ मंगलूराम ने करवाया था,कुआं तालाब 5 एकड़ के क्षेत्रफल में फैला हुआ है।
गंाव के तीनों तालाबों के पार में बरगद, पीपल, नीम के पेड़ लगे हुए हैं। कई पेड़ों को तालाब की खुदाई के समय लगाया गया है, जो अब विशाल आकार ले चुके हैं। इन वृक्षों की छाया में बैठकर लोग तालाब के पानी को निहारते हुए शीतलता का अनुभव करते हैं।
खिलोरा स्थित तीनों तालाब का निर्माण जल संरक्षण का अनुकरणीय उदाहरण है। पुराना तालाब, पटेल तालाब एवं कुआं तालाब का निर्माण ऐसे किया गया है कि एक तालाब का पानी दूसरे में और दूसरे तालाब का पानी तीसरे तालाब में जा सकता है। पानी लाने ले जाने के लिए तालाब के पार में पुल-पुलिया बनाई गई है। तालाबों के निर्माण को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि गंाव के बुजुर्गों ने जल संरक्षण को लेकर दूरगामी सोच रखते हुए तालाबों का निर्माण कराया है। ग्रामीणों ने बताया कि बारिश के मौसम में खेती से उबरने वाला पानी सीधे तालाबों में पहुंचता है। पानी का भराव सभी तालाबों में क्षमता के अनुसार होता है।
पत्रिका के इस अभियान में खिलोरा के सरपंच घनश्याम साहू, उपसरपंच मोतीराम साहू, अग्राहिज साहू, विश्राम सोनवानी, तरुण सिवारे, ईश्वर साहू, करन साहू, दिलेश्वर साहू, मिथलेश साहू, गोपी रात्रे, भिखुदास मानिकपुरी, भागवत साहू, तुलाराम सिन्हा, राकेश साहू, मनोज साहू, विष्णु साहू, मनहरण साहू, शेखर साहू एवं धर्मेन्द्र साहू ने अपना सहयोग दिया।
सरपंच घनश्याम साहू ने कहा कि पत्रिका के इस अभियान से जुड़कर अच्छा लगा। साल दर साल नीचे जा रहे भू-जल स्तर को बनाए रखने तालाबों व कुओं को संरक्षित करना आवश्यक है। बुजुर्गों ने भविष्य को ध्यान में रख कर जगह-जगह तालाबों कुओं का निर्माण कराया है, जिसे संरक्षित करना जरूरी है। उपसरपंच मोतीराम साहू ने कहा कि पत्रिका के अमृतं जलम् अभियान से जुड़कर काफी अच्छा लगा। गांव के सबसे पुराने तालाब के घाट की साफ -सफाई करने में सहभागी बना। तालाबों को संरक्षित कर वर्षाजल का संरक्षण करने की यह दूरगामी सोच है। इस तरह के अभियान से लोगों में जागरूकता आएगी। ग्रामीण अग्राहित साहू ने कहा कि पत्रिका अमृतं जलम् अभियान तालाबों के रखरखाव के प्रति अच्छी पहल है। पत्रिका समूह की ओर से इस तरह गांवों में जाकर तालाबों की साफ -सफाई करते हुए उनके संरक्षण को लेकर ग्रामीणों को जागरूक करना अनुकरणीय पहल है। ऐसे में लोग तालाबों के संरक्षण के प्रति जागरूक होंगे और वर्षाजल को सहेजकर रखने में सहयोग करेंगे।