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बेतुल

यह हथिनी रूठी, दो दिन तक मनाता रहा महावत फिर भी नहीं मानी, पढ़े खबर…

इस इलाके में आया दिल तो घर लौटने में दिखाए एेसे नखरे

बेतुलDec 13, 2018 / 11:25 pm

rakesh malviya

hathni anjuman

अंजुमन को भाया सारनी, ट्रक में संवार होकर चूरना पहुंची स्मिता

सारनी. बाघ को रेस्क्यू करने सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से सारनी लाई गई दो हथनियों (अंजुमन और स्मिता) को दसवें दिन चूरना पहुंचाया गया। दोनों हथनी को सारनी इतना भाया कि दोबारा चूरना जाने को तैयार नहीं हुए। स्मिता तो जैसे-तैसे ट्रक में संवार हो गई। लेकिन अंजुमन ने ट्रक में संवार होने से इंकार कर दिया। महावत और ट्रक चालक दो दिनों की मशक्कत के बाद भी अंजुमन को ट्रक में चढ़ाने में विफल रहे। इसके बाद अंजुमन से जब महावत ने पैदल चलने को कहा तो तैयार हो गई। बुधवार दोपहर से गुरुवार शाम तक अंजुमन को ट्रक में चढ़ाने का प्रयास किया गया। पहली बार राख के ढेर से ट्रक में चढ़ाने का प्रयास किया गया। दूसरी बार डीएनडी के पास ऊंचे टेक की छटिंग कर ट्रक में चढ़ाने का प्रयास किया। यहां भी असफल रहे। अंजुमन ने ट्रक पर चढऩे से इतना इंकार किया कि बाद में ट्रक को ही धक्का मार दिया। इसके बाद पाथाखेड़ा, चोपना, रामपुर के रास्ते पैदल चूरना ले जाया गया। सारनी से चूरना की दूरी करीब 80 किलोमीट है।
गन्ना और पीपल का चखा स्वाद
दस दिनों तक सारनी में रहकर अंजुमन और स्मिता ने गन्ना, पीपल, बढ़, गुल्लर की पत्तियों का स्वाद चखा। रेस्क्यू के बाद पूरा समय सतपुड़ा जलाशय किनारे गुजारा। सारनी का वातावरण इतना भाया कि दोनों हथनी जाने को तैयार नहीं थी। वहीं कान्हा राष्ट्रीय उद्यान से 8 दिसंबर को लाए एक हाथी और एक हथनी को दो दिन चले रेस्क्यू के बाद 11 दिसंबर को आसानी से ट्रक में संवार कर मंडला पहुंचा दिया गया। दरअसल कान्हा के हाथी और हथनी ज्यादा दिन सारनी में नहीं रहे। इस वजह से उन्हें ले जाने में कोई परेशानी नहीं हुई।
anjuman
कान्हा है सबसे उपयुक्त जगह
मप्र के बैतूल जिले के सारनी से पकड़ा गया बाघ महाराष्ट्र का था। इसलिए बाघ को महाराष्ट्र की सीमा क्षेत्र सबसे ज्यादा भाएगी। इस वजह से सारनी में पकड़ा गया बाघ को वन विहार भोपाल ले जाने के बजाए कान्हा राष्ट्रीय उद्यान मंडल ले जाया गया है। जानकार बताते हैं कि सीमा क्षेत्र का वातावरण बाघ के लिए उपयुक्त होता है। बाघ के स्वास्थ्य के लिए वन विहार का वातावरण अनुकूल नहीं है।
इनका कहना –
बाघ पकडऩे कान्हा राष्ट्रीय उद्यान और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से चार हाथी लाए गए थे। कान्हा के दो हाथी 11 दिसंबर को पहुंचा दिए। सतपुड़ा टाइकर रिजर्व की दो हथनी दस दिनों तक सारनी में रही। शायद यही वजह है कि अंजुमन ट्रक में संवार नहीं हुई। उसे सारनी से चूरना तक पैदल ले जाया गया।
विजय बारस्कर, रेंजर, सारनी

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