दस दिनों तक सारनी में रहकर अंजुमन और स्मिता ने गन्ना, पीपल, बढ़, गुल्लर की पत्तियों का स्वाद चखा। रेस्क्यू के बाद पूरा समय सतपुड़ा जलाशय किनारे गुजारा। सारनी का वातावरण इतना भाया कि दोनों हथनी जाने को तैयार नहीं थी। वहीं कान्हा राष्ट्रीय उद्यान से 8 दिसंबर को लाए एक हाथी और एक हथनी को दो दिन चले रेस्क्यू के बाद 11 दिसंबर को आसानी से ट्रक में संवार कर मंडला पहुंचा दिया गया। दरअसल कान्हा के हाथी और हथनी ज्यादा दिन सारनी में नहीं रहे। इस वजह से उन्हें ले जाने में कोई परेशानी नहीं हुई।
मप्र के बैतूल जिले के सारनी से पकड़ा गया बाघ महाराष्ट्र का था। इसलिए बाघ को महाराष्ट्र की सीमा क्षेत्र सबसे ज्यादा भाएगी। इस वजह से सारनी में पकड़ा गया बाघ को वन विहार भोपाल ले जाने के बजाए कान्हा राष्ट्रीय उद्यान मंडल ले जाया गया है। जानकार बताते हैं कि सीमा क्षेत्र का वातावरण बाघ के लिए उपयुक्त होता है। बाघ के स्वास्थ्य के लिए वन विहार का वातावरण अनुकूल नहीं है।
बाघ पकडऩे कान्हा राष्ट्रीय उद्यान और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से चार हाथी लाए गए थे। कान्हा के दो हाथी 11 दिसंबर को पहुंचा दिए। सतपुड़ा टाइकर रिजर्व की दो हथनी दस दिनों तक सारनी में रही। शायद यही वजह है कि अंजुमन ट्रक में संवार नहीं हुई। उसे सारनी से चूरना तक पैदल ले जाया गया।
विजय बारस्कर, रेंजर, सारनी