भवन नहीं, पेड़ के नीचे लग रहा प्राथमिक स्कूल
दुर्घटना की आशंका पर धराशायी कर दिया था स्कूल भवन
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सारनी. शासकीय आजाक प्राथमिक शाला के बच्चें तीन साल से स्कूल भवन को तरस रहे हैं। तीन सत्र बीत गए, लेकिन अब तक सुविधा नहीं मिली है। दो सत्र समीप के माध्यमिक शाला और एक सत्र अशासकीय उमावि के भवन में बच्चों ने पढ़ाई पूरी की। दरअसल शासकीय आजाक प्राथमिक शाला बाघिनकुंड के पास शाला भवन नहीं है। अगस्त 2016 में भवन को जर्जर बताकर शासन द्वारा धराशायी कर दिया था। तब से प्राथमिक शाला के बच्चें उधारी के भवन में पढ़ाई करने को मजबूर है। ठंड के मौसम में स्कूल समय बदलना बाघिनकुंड स्कूल के बच्चों के लिए परेशानी का कारण बन गया है। हालत यह है कि पहली से पांचवीं कक्षा के बच्चों को पेड़ के नीचे बैठकर पढऩा पड़ रहा है। वजह जिस अशासकीय उमावि के कक्षों में क्लासे लग रही थीं वहां कक्षों की संख्या कम होने से प्राथमिक शाला के बच्चों को स्कूल परिसर में पेड़ों के नीचे बैठकर पढ़ाई करने पर मजबूर होना पड़ रहा है।
मजदूर वर्ग के हैं सभी बच्चे- प्राथमिक शाला में अध्ययनरत सभी 123 बच्चें मजदूर वर्ग के हैं। अभिभावक इतने सक्षम नहीं है कि अपने बच्चों को निजी व सुविधा वाले स्कूल में पढ़ा सके। इस वजह से सरकारी स्कूल में दाखिला तो करा दिया, लेकिन अब परेशान हैं। दरअसल जब अभिभावकों ने अपने बच्चों का दाखिला कराया था। तब स्कूल नजदीक था, लेकिन जुलाई माह में स्कूल परिसर में जमीन धंसने के बाद प्रशासन द्वारा उक्त स्थान पर स्कूल प्रतिबंधित कर दिया। इसके बाद प्राथमिक और माध्यमिक शाला का संचालन अशासकीय उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालय (बड़े स्कूल) में किया जाने लगा। यहां सुविधा का अभाव है। वहीं आवागमन नन्हें बच्चों के लिए काफी लंबा साबित हो रहा है। इस वजह से दर्ज संख्या से उपस्थिति आधी रहती है। जबकि शिक्षकों की संख्या पर्याप्त है।
भवन निर्माण करने तलाश रहे जगह-राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा 12.50 लाख रुपए का एस्टीमेट तैयार किया है। इसमें दो कक्ष और एक हेड मास्टर कक्ष शामिल हैं। वहीं बरामदा ओपन रहेगा। पाथाखेड़ा शहरी क्षेत्र है। इस वजह से निर्माण एजेंसी नगरपालिका परिषद सारनी रहेगी। फिलहाल रुपए आवंटित नहीं हुए हैं। बताया जा रहा है कि अगस्त 2016 में जब स्कूल भवन धराशायी किया गया था उसके बाद राज्य शिक्षा केंद्र को प्रस्ताव भेजा गया था। हाल ही में प्रस्ताव को स्वीकृत्ति मिली है। गौरतलब है कि राज्य शिक्षा केंद्र को सालाना प्रस्ताव तैयार कर भेजा जाता है।