17 सड़कों की हालत खस्ताहाल
जिले में रेत एवं गिट्टी की ओवरलोडिंग के कारण 17 प्रधानमंत्री सड़कों की हालत खस्ताहाल हो गई है। इनमें सर्वाधिक 7 सड़कें घोड़ाडोंगरी ब्लॉक की है क्योंकि घोड़ाडोंगरी क्षेत्र में तवा, धाराखोह, कानावाड़ी सहित प्रमुख बरसाती नदियां मौजूद है जिनसे बड़े पैमाने पर रेत का उत्खन्न किया जाता है। रात के वक्त इन नदियों से बड़े पैमाने पर रेत का परिहन होता है। कई बार खनिज विभाग द्वारा छापामार कार्रवाई कर वाहनों को पकड़ा भी गया है। इसके अलावा शाहपुर की 4, चिचोली की 2, भीमपुर की 2 बैतूल की 1 सड़क हैं जिनकी हालत भी ओवरलोडिंग की वजह से खस्ताहाल बताई जाती है।
मप्र ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण विभाग के परियोजना महाप्रबंधक आरके जैन ने प्रधानमंत्री सड़कों की खस्ताहाल हालत को देखते हुए कलेक्टर को पत्र लिखकर भारी वाहनों के आवागमन पर प्रतिबंध लगाए जाने की मांग की है। महाप्रबंधक ने अपने पत्र में लिखा है कि जिले में जो प्रधानमंत्री सड़कें बनाई गई है वह आठ टन क्षमता की है लेकिन रेत एवं गिट्टी के ओवरलोडिंग वाहनों के कारण सड़कों का संधारण कार्य टिक नहीं पा रहा है। समय से पहले ही सड़कें जवाब दे रही है। ऐसे में भारी वाहनों पर प्रतिबंध लगाकर सड़कों को बचाया जाए।
ओवरलोडिंग से बर्बाद हुई सड़कों की सूची
सिल्लौट से लावन्या मार्ग 2.160 गिट्टी परिवहन
पाथाखेड़ा से भांडवा 5.०० गिट्टी परिवहन
भैंसदेही-नांदा-भीमपुर 2.870 रेत परिवहन
जामू से ऊटी 1.630 रेत परिवहन
एनएच 59 ए से चूनाहजूरी 6.170 रेत परिवहन
चूनाहजूरी से चिखली ५.४२० रेत परिवहन
बरबटपुर चोपना, डेहरीआमढाना ३१.२०० रेत परिवहन
गोल्हई बुजुर्ग से शिवसागर ३.४५० रेत परिवहन
डेहरीआमढाना से गोपालपुर ३.८७४ रेत परिवहन
चोपना मार्ग से मालोर ४.३९६ रेत परिवहन
सीवनपाट से शांतिपुर ४.१५० रेत परिवहन
चोपना मार्ग से शक्तिगढ़ ४.१०८ रेत परिवहन
भोगाई खापा से बरबटपुर, चोपना ३.४१ रेत परिवहन
चिचोली-ढोढरामऊ रोड १०.७७१ रेत परिवहन
चिचोली- ढोढरामऊ रोड ८.५७० रेत परिवहन
टिमरनी से पाट ४.६८ रेत परिवहन
तेजस्वी एस नायक, कलेक्टर
आरके जैन, परियोजना महाप्रबंधक प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क, बैतूल
शशांक शुक्ला, खनिज अधिकारी
ग्रा मीण क्षेत्रों में बनी प्रधानमंत्री सड़कों की कुल क्षमता 8 टन की है। इससे अधिक क्षमता वाले वाहनों का इन सड़कों पर आवागमन प्रतिबंधित रहता है, लेकिन रेत के अवैध कारोबार एवं ओवरलोडिंग की वजह से प्रतिदिन 30 से 35 टन वजनी डंपर इन सड़कों से गुजर रहे हैं। जिसके कारण सड़कें क्षतिग्रस्त हो रही है। विभाग की माने ओवरलोडिंग की वजह से जो सड़कें खराब हुई हैं उनकी मरम्मत के लिए अलग से बजट भी बड़ी मुश्किल से मिल पाता है। ऐसे में महीनों यह सड़कें जर्जर हालत में पड़ी रहती है।