पहली बार जुलाई में सर्वाधिक 9791 मेगावाट रही बिजली की मांग
तेजी से घट रहा कोयला का स्टॉक
पहली बार जुलाई में सर्वाधिक 9791 मेगावाट रही बिजली की मांग
सारनी. एक पखवाड़ा से प्रदेश के कई जिलों में बरसात नहीं हुई है। इससे बिजली की मांग तेजी से बढ़ रही है। प्रदेश के इतिहास में पहली बार जुलाई माह में सर्वाधिक 9 हजार 791 मेगावाट बिजली की मांग दर्ज की गई। खासबात यह है कि जुलाई माह में पहली बार चार दिनों तक 9 हजार मेगावाट से अधिक बिजली की मांग रही। इससे पहले इतनी अधिक डिमांड कभी नहीं रही। अच्छी बात यह है कि मप्र में सरप्लस बिजली उत्पादन होने से प्रदेश सरकार को बिजली के लिए परेशान नहीं होना पड़ रहा। लेकिन जुलाई माह में इतनी अधिक डिमांड ङ्क्षचता का विषय है। दरअसल प्रदेश के पॉवर प्लांटों को खपत के अनुरूप आज भी कोयला नहीं मिल रहा। जिससे मप्र पॉवर जनरेटिंग कंपनी चिंतित है। सतपुड़ा ताप विद्युत गृह सारनी की ही बात करे तो यहां रोजाना खपत 15 हजार मीट्रिक टन से अधिक है। जबकि गुरुवार को खपत से आधा कोयला भी नहीं मिला। ऐसे में स्टॉक कोयला तेजी से घट रहा है। गौरतलब है क वर्षाकाल प्रारंभ में सतपुड़ा के पास 1 लाख 6 0 हजार मीट्रिक टन के आसपास कोल स्टॉक था जो इन दिनों घटकर 1 लाख 24 हजार मीट्रिक टन के आसपास सिमट गया है।
सतपुड़ा से 835 मेगावाट उत्पादन- प्रदेश में बिजली की मांग पूरी करने में सतपुड़ा ताप विद्युत गृह का महत्वपूर्ण योगदान है। सतपुड़ा से शुक्रवार को 835 मेगावाट के आसपास बिजली उत्पादन हुआ। यहां की 6 और 9 नंबर इकाई को जहां 150-150 मेगावाट के लोड पर चलाया गया। वहीं 7 नंबर इकाई को 155 और 8 नंबर इकाई को लो-वैक्यूम के चलते 130 मेगावाट के लोड पर चलाया गया। वहीं 250 मेगावाट की 10 नंबर इकाई से क्षमतानुरूप बिजली उत्पादन लिया गया।
लो-वैक्यूम बनी समस्या – पॉवर हाउस तीन की 8 नंबर इकाई लंबे समय से लो-वैक्यूम की समस्या से जूझ रही है। 210 मेगावाट की इस इकाई को लो-वैक्यूम के चलते कई दिनों से क्षमता के अनुरूप नहीं चलाया जा रहा है। गुरुवार को इस इकाई से जहां 150 मेगावाट बिजली उत्पादन लिया गया। वहीं शुक्रवार को लो-वैक्यूम के चलते लोड घटाकर 130 मेगावाट कर दिया। बताया जा रहा है कि कंडेशर में कचरा फंस गया है। इकाई को बंद करके ही कचरा साफ करना पड़ेगा। इसके बाद ही लोड बढ़ाया जा सकता है। ऐसे में 8 नंबर इकाई का बंद होना लगभग तय है। वहीं इतनी ही क्षमता की 9 नंबर इकाई को डिमांड कम होने पर संधारण कार्य के लिए बंद करने की योजना है।
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