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बेतुल

पांच दिनों से खुले हैं सतपुड़ा के गेट, तवा उफान पर, दर्जनों गांवों का संपर्क टूटा

लोनिया पंचायत में बीमारी पसार रही पैरे, आपातकाल में महिला को कराया नदी पार, सतपुड़ा जलाशय सारनी के 7 गेटों को 3-3 फीट की ऊंचाई पर खोलकर बुधवार दिन भर तवा में इस तरह छोड़ा गया 17 हजार क्यूबिक फीट पानी।

बेतुलJul 31, 2019 / 11:15 pm

rakesh malviya

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सारनी. पांच दिनों से जारी झमाझम बरसात से जनजीवन प्रभावित होने लगा है। पहाड़ी क्षेत्रों से आ रही बाढ़ के चलते जहां लोनिया पंचायत का संपर्क शहरी क्षेत्रसे टूट गया है। वहीं पांच दिनों से सतपुड़ा डेम के गेट खुले होने से शिवनपाठ होते हुए चोपना पहुंच मार्ग बंद है।इसी तरह पाथाखेड़ा से पुनर्वास कैंप पहुंच मार्ग के दर्जनों गांवों का संपर्क नांदिया घाट पर बाढ़ होने से टूटा है।पहाड़ी क्षेत्रों में हो रही झमाझम बरसात से 48 घंटों से सतपुड़ा जलाशय में बाढ़ का पानी तेज रफ्तार से पहुंच रहा है। यही वजह है कि लगातार गेटों की संख्या बढ़ाकर पानी छोड़ा जा रहा है। बुधवार को दिन भर सतपुड़ा डेम सारनी से तवा नदी में 7 गेट 3-3 फीट की ऊंचाई पर खोलकर 17 हजार क्यूबिक फीट पानी छोड़ा गया।31 जुलाई से सतपुड़ा का लेवल 1431 फीट पर मेंटेंन किया जा रहा है। जलाशय की क्षमता 1433 फीट है।बीते चौबीस घंटे में सारनी क्षेत्र 47 मिलीमीटर बरसात दर्ज की गई है। इसी के साथ बारिश का आंकड़ा 46 1 मिलीमीटर तक पहुंच गया है।
जान जोखि में डालकर कराया नदी पार
जनपद पंचायत घोड़ाडोंगरी के लोनिया पंचायत में पहुंच मार्ग के रूप में नाव ही एक मात्र सहारा है।पहाड़ी नदी होने से बारिश के दिनों में बाढ़ को देखते हुए नाव चालन बंद है। लगातार चल रही बाढ़ के चलते गांव में शिक्षक, चिकित्सक, लाइनमेन नहीं पहुंच पा रहे हैं। इससे जहां शिक्षा व्यवस्था ठप हो गई है। वहीं चार दिनों से गांवों में बिजली नहीं है। इधर डॉक्टरों के नहीं पहुंचने से गांव में बीमारी फैलने लगी है।गंभीर रूप से बीमार बिकलई निवासी साहबलाल की पत्नी को आपातकाल में नाव ठेकेदार सालकराम, नाविक भागवत द्वारा अपनी जान जोखिम में डालकर नदी पार कराया गया।वहीं ग्रामीण बाढ़ उतरने का इंतजार करते हैं। जैसे ही बाढ़ कम होती है।ग्रामीणों को नदी पार कराया जाता है।हालांकि नदी में बाढ़ होने के चलते मोटर साइकिल और भारी सामग्री परिवहन नहीं कराई जा रही।
नदारद है पुलिस
सुरक्षा की दृष्टि से हर साल राजडोह नदी पर पुलिस बल तैनात किया जाता है। ताकि बाढ़ रहने पर कोई भी व्यक्ति नदी में नाव चलाने पर मजबूर नहीं करे।बाढ़ की स्थिति का अवलोकन कर आपदा प्रबंधन को अवगत कराए। जिन गांवों में आवागमन नहीं हो रहा है। वहां की स्थिति से वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत कराया जा सके।लेकिन इस साल लगातार पांच दिनों से बाढ़ चलने के बावजूद राजडोह नदी पर पुलिस बल तैना नहीं किया गया।वहीं नांदिया घाट और शिवनपाठ में पुलिस तैनात है।

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