scriptपढ़े, गरीबों की रसोई पर कैसे गाइड लाइन का लगा ताला | How to lock the guide line on poor kitchen | Patrika News
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पढ़े, गरीबों की रसोई पर कैसे गाइड लाइन का लगा ताला

तमिलनायडू में पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता द्वारा चलाई गई अम्मा कैंटिन की तर्ज पर प्रदेश सरकार ने भी वर्ष २०१७ अप्रैल माह में लोकलुभावन दीनदयाल रसोई योजना की प्रदेश स्तर पर शुरूआत की गई थी। बैतूल में इस योजना का संचालन विश्वकर्मा समाज सेवा समिति द्वारा किया गया, लेकिन बीस महीने योजना का संचालन करने के बाद अचानक समिति यह कहकर योजना के संचालन से हाथ खड़े कर दिए कि समिति तीन लाख रुपए से अधिक के घाटे में चल रही है।

बेतुलOct 13, 2019 / 09:11 pm

Devendra Karande

दीनदयाल रसोई केंद्र

of the poor, the kitchen could not start due to the arrival of the lock line

बैतूल। तमिलनायडू में पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता द्वारा चलाई गई अम्मा कैंटिन की तर्ज पर प्रदेश सरकार ने भी वर्ष २०१७ अप्रैल माह में लोकलुभावन दीनदयाल रसोई योजना की प्रदेश स्तर पर शुरूआत की गई थी। बैतूल में इस योजना का संचालन विश्वकर्मा समाज सेवा समिति द्वारा किया गया, लेकिन बीस महीने योजना का संचालन करने के बाद अचानक समिति यह कहकर योजना के संचालन से हाथ खड़े कर दिए कि समिति तीन लाख रुपए से अधिक के घाटे में चल रही है। दानदाता भी मदद के लिए सामने नहीं आ रहे हैं। ऐसे में समिति का संचालन करना मुश्किल हो रहा है। २० मई २०१९ को समिति ने रसोई केंद्र में ताले लगा दिए और चॉबी नगरपालिका को सौंप दी। तब से अभी तक पांच माह हो गए हैं रसोई का संचालन बंद है। ऐसे में गरीब तबका जो पांच रुपए में भरपेट भोजन करता था वह पुन: सड़क पर आ गया है। योजना के पुन: संचालन को लेकर नगरपालिका द्वारा भी कोई प्रयास नहीं किए गए हैं। नपा का कहना है कि रसोई के संचालन को लेकर उनके पास कोई गाइड लाइन नहीं है शासन से मार्गदर्शन मांगा गया है।
प्रतिदिन पांच सौ से अधिक लोग करते थे भोजन
पं दीनदयाल रसोई का संचालन नगरपालिका द्वारा पीडब्ल्यूडी चौक पर बनाए गए रैन बसेरा में किया जाता था। नगरपालिका द्वारा भवन, पानी तथा बिजली की व्यवस्था नि:शुल्क की गई थी। इस रसोई में प्रतिदिन ५०० से ६०० लोगों का भोजन बनाया जाता था। भोजन बनाने की मजदूरी का प्रतिमाह खर्चा ४५ हजार रुपए आता था। जबकि भोजन में कुल खर्च २ लाख रुपए प्रतिमाह आता था। शुरूआत में दानदाताओं की मदद से रसोई का संचालन ठीक-ठाक होता रहा लेकिन जैसे ही दानदाताओं की कमी आना शुरू हुई तो रसोई भी घाटे में आने लगी। योजना के बंद होने के दौरान रसोई तीन लाख रुपए के घाटे में चलना बताई जा रही थी।
शासन से मिलता था गेहूं-चावल का आवंटन
रसोई योजना के संचालन के लिए शासन से प्रतिमाह रसोई के लिए ७० किलो गेहूं एवं ३० किलो चावल शासकीय दर में मिलता था। योजना के बंद होने के बाद भी एक माह का आवंटन नगरपालिका को मिला है। यह आवंटन अब भी नगरपालिका के पास ही मौजूद हैं। नगरपालिका का कहना था कि योजना बंद होने पर हमनें जिला खाद्य आपूर्ति विभाग को आवंटन वापस लौटाने के लिए पत्र लिखा था लेकिन उनके द्वारा आवंटन वापस नहीं लिया गया है। ऐसे में योजना के बंद होने के बाद भी नगपालिका के पास ७० किलो गेहूं / ३० किलो चावल मौजूद हैं। वहीं नगरपालिका ने आवंटन को फिलहाल बंद करा रखा है।
संचालन के लिए शासन से मांगा मार्गदर्शन
पं दीनदयाल रसोई को चलाने के लिए तीन समिति ने आवेदन किए हैं। इनमें विश्वकर्मा समाज समिति भी शामिल है। जिसने घाटे के चलते रसोई को बंद कर दिया था लेकिन अब नगरपालिका पुन: संचालन को लेकर नियमों की बात पर अड़ गई है। नपा का कहना है कि उनके पास रसोई के संचालन को लेकर शासन की कोई गाइड लाइन या दिशा-निर्देश नहीं है। इसलिए वे अपनी रिस्क पर रसोई का संचालन शुरू नहीं करा सकती है। रसोई के संचालन को लेकर शासन से मार्गदर्शन मांगा गया है लेकिन अभी तक कोई निर्देश प्राप्त नहीं हुए हैं। इस वजह से रसोई केंद्र का संचालन फिलहाल बंद करके रखा गया है।
२० महीने में खर्च हुए ४६ लाख रुपए
रसोई केंद्र का संचालन बैतूल में २० महीने किया गया। इस दौरान पूर्व समित द्वारा कुल खर्चा ४६ लाख रुपए होना बताया गया है। इसमें समिति को दानदाताओं से कुल १८ लाख रुपए की राशि प्राप्त हुई थी। जबकि कूपन के माध्यम से समिति ने २५ लाख रुपए कमाए थे, लेकिन संचालन में बढ़ते खर्चों की वजह से समिति ३ लाख रुपए के कर्ज में आ गई थी। योजना शुरू होने के बाद से बंद होने तक कुल ५ लाख लोगों ने रसोई केंद्र में भोजन किया था। अब चूंकि रसोई बंद हो चुकी हैं तो कोई नजर नहीं आता है। रसोई केंद्र के बंद होने से सबसे ज्यादा नुकसान मजदूर तबके को पड़ा है, क्योंकि अब उसे काम पर जाने से पहले स्वयं खाना बनाने के लिए मशक्कत करना पड़ती है।
इनका कहना
– हमारे पास रसोई केंद्र के संचालन को लेकर कोई गाइड लाइन नहीं है। योजना के बंद होने के बाद हमनें शासन से मार्गदर्शन मांग है लेकिन अभी तक हमें कोई निर्देश नहीं मिले है। कुछ समितियों ने योजना के पुन: संचालन के लिए हामी भरी है लेकिन बगैर गाइड लाइन के संचालन नहीं करने दिया जा सकता है।
– प्रियंका सिंह, सीएमओ नगरपालिका बैतूल।

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