रात के अंधेरे में जारी अवैध रेत उत्खनन और परिवहन का गोरखधंधा
रोजाना २५ डंपरों से किया जा रहा रेत का अवैध परिवहन
रात के अंधेरे में जारी अवैध रेत उत्खनन और परिवहन का गोरखधंधा
सारनी. पुनर्वास कैंप चोपना में रेत के कारोबार को लेकर खूनी संघर्ष में एक युवक की मौत हो गई है। फिर भी अवैध रेत उत्खनन और परिवहन का गोरखधंधा बंद कराने में जिम्मेदार नाकाम साबित हुए हैं। यही वजह है कि इन दिनों झोली, धरमपुर, विष्णुपुर, नारायणपुर, गोपालपुर, बरेटीपार और चोपनढाना नदी से अवैध रेत का उत्खनन व परिवहन जारी है। खासबात यह है कि इन सभी स्थानों से ट्रैक्टर ट्रालियों के जरिए रेत लाकर एक स्थान पर डंप करते हैं फिर डंपरों के जरिए शहरी क्षेत्र में भेजते हैं। इससे भी बड़ा रेत का अवैध उत्खनन और परिवहन राहुल नाम के व्यक्ति द्वारा खैरवानी में बेखौफ किया जा रहा है। जबकि इसकी जानकारी स्थानीय पुलिस से लेकर खनिज और राजस्व विभाग तक को है। बावजूद कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है।
रोजाना 25 डंपरों से ज्यादा रेत बैतूल और महाराष्ट्र को परिवहन जारी है। वहीं अवैध रेत परिवहन को लेकर आए दिन विवाद जैसी स्थिति निर्मित हो रही है। यह सब जानकर भी खनिज और पुलिस विभाग द्वारा गोरखधंधा बंद नहीं कराया जा रहा है। इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि रेत के अवैध कारोबार को लेकर इस क्षेत्र में भी खूनी संघर्ष हो सकता है। खासबात यह है कि जिन व्यक्तियों के द्वारा अवैध रेत उत्खनन कर दूसरे राज्यों को भेजी जा रही है। वे लोग स्थानीय या जिले के निवासी न होकर 500 किलोमीटर दूर के हैं। जिनका न तो पुलिस सत्यापन है और ना ही कोई पहचान।
दिन में ही कर रहे डंप – जिले में सबसे अच्छी रेत तवा नदी की है। इसलिए तवा नदी के ऊपरी हिस्से में रेत माफियाओं ने अपना अड्डा बना लिया है और यहीं पर रहकर बड़े शहरों में डंपरों से रात के अंधेरे से लेकर अलसुबह तक रेत परिवहन कराते हैं। यहां एक-दो नहीं बल्कि कई बाहरी लोग एक साथ रहते हैं। पुलिस के पहुंचने पर सभी भाग खड़े होते हैं। रेत माफिया कितने बेखौफ है। इसका अंदाजा रात की बात तो दूर है। दिन के उजाले में तवा नदी से दर्जनों ट्रैक्टर, ट्रालियों के जरिए स्टेट हाइवे किनारे खैरवानी में रेत डंप करते हैं। फिर शाम होते ही जेसीबी की मदद से डंपरों में रेत लोड कर शहर से बाहर परिवहन कर दी जाती है।