scriptजानिए कहां खोजा गया जिंक का भंडार | Know where the stock of zinc was discovered | Patrika News

जानिए कहां खोजा गया जिंक का भंडार

locationबेतुलPublished: Feb 22, 2020 12:17:24 am

Submitted by:

yashwant janoriya

दो मिलियन टन पत्थर में एक से दो प्रतिशत जिंक मिलने की संभावना, पांच हेक्टेयर क्षेत्र में हैं जिंक का पत्थर

दो मिलियन टन पत्थर में एक से दो प्रतिशत जिंक मिलने की संभावना

दो मिलियन टन पत्थर में एक से दो प्रतिशत जिंक मिलने की संभावना

बैतूल. बैतूल जिले के आमला ब्लॉक के गांव बिसखान और घिसी सहित छिंदवाड़ा जिले के डेहरी में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ऑफ इंडिया की टीम को भारी मात्रा में जिंक मिला है। प्रदेश में जिंक भंडार की यह पहली खदान है। तीनों ही जगहों पर लगभग पांच-पांच हेक्टेयर में जिंक का पत्थर है। जो कि लगभग अलग-अलग जगहों में दो मिलियन टन है। इतने ही पत्थर से एक से दो प्रतिशत जिंक मिलेगा। टीम द्वारा प्रारंभिक सर्वेक्षण के बाद इसका कैमिकल विश्लेषण भी करा लिया गया है। इसकी रिपोर्ट आ चुकी हैं। रिपोर्ट को राज्य सरकार को भेजा गया है। जिसके बाद खदान नीलामी की प्रक्रिया होना है। जिले में बिसखान और घिसी में जिंक का भंडार मिलने के बाद जिले से प्रदेश को करोड़ों रुपए का राजस्व प्राप्त होगा और रोजगार भी मिलेगा। जिंक का उपयोग कृषि, दवाईयों, उवर्रक सहित लोहे के साथ उपयोग किया जाता है।
25 वर्षों से बेस मेटल पर चल रहा काम
बैतूल जिले में विगत २५ वर्षों से बेस मेटल पर काम चल रहा है। जिसमें मुख्य रूप से जिंक धातु का होना सामने आया है। भू-वैज्ञानिकों के मुताबिक इस बेल्ट में रायो लाइन चट्टाने हैं। जिससे यहां जिंक की अधिकता होने की संभावना है। भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण ऑफ इंडिया द्वारा आमला ब्लॉक के बिसखान एवं घिसी में ड्रिलिंग यूनिट से जमीनों का सर्वेक्षण किया गया है। सर्वेक्षण में जिंक धातु की अधिकता होना बताई गई है। ड्रिलिंग कर जो सर्वेक्षण किए जा रहे हैं उसमें एक से दो प्रतिशत तक जिंक धातु मिला बताया जा रहा है।
जिंक एक रसायनिक तत्व है
जस्ता या जिंक एक रासायनिक तत्व है। जिसका रासायनिक चिन्ह जेडएन है और परमाणु संख्या ३० है। जिंक संक्रमण धातु समूह का एक सदस्य है। रासायनिक दृष्टि से इसके गुण मैगनीसियम से मिलते-जुलते हैं। मनुष्य जस्ते का प्रयोग प्राचीनकाल से करते आ रहा है। लोहे पर जस्ता चढ़ाने से लोहा जंग खाने से बचा रहता है। जिंक यानि जस्ता मुक्त अवस्था में नहीं प्राप्त होता है। यह सल्फाइड के रूप में ही मिलता है।
इनका कहना
भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ऑफ इंडिया की टीम द्वारा आमला क्षेत्र में खनिज की खोज के लिए ड्रिलिंग कर सर्वेक्षण किया गया है। जिसमें जिंक की मात्रा अधिक होना सामने आई है। इस क्षेत्र में दो मिलियन टन खनिज मिलने की संभावना है। राज्य सरकार को इसकी रिपोर्ट भेज दी गई है। जल्द ही खदानों की नीलामी होगी।
-हेमराज सूर्यवंशी, डायरेक्टर खनिज मंत्रालय
भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ऑफ इंडिया का पत्र हमारे पास आया है। जिसमें उन्होंने जिले में सर्वेक्षण किए जाने का उल्लेख किया था। खनिज की खोज के लिए उनका सर्वेक्षण जिले में चलता रहता है।
– शशांक शुक्ला, खनिज अधिकारी बैतूल।
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