script२५ हजार केवी के संपर्क में आ रहे बंदर बम की तरह फट रहे | Monkeys coming in contact with 25 thousand KV explode like bombs | Patrika News
बेतुल

२५ हजार केवी के संपर्क में आ रहे बंदर बम की तरह फट रहे

रेलवे लाइन के खंभों पर बंदरों को चढऩे से रोकने के लिए रेलवे की ओर से प्रति वर्ष लाखों रूपए पानी की तरह बाहए जा रहे है, जिसके बाद भी बंदरों को रेलवे ट्रेक पर लगे खंभों पर आने से नहीं रोक पा रहा है, जिसके चलते प्रतिदिन रेलवे ट्रेक पर बंदर बम बनकर फट रहे है।

बेतुलJan 22, 2020 / 09:26 pm

ghanshyam rathor

Pole monkey

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बैतूल। रेलवे लाइन के खंभों पर बंदरों को चढऩे से रोकने के लिए रेलवे की ओर से प्रति वर्ष लाखों रूपए पानी की तरह बाहए जा रहे है, जिसके बाद भी बंदरों को रेलवे ट्रेक पर लगे खंभों पर आने से नहीं रोक पा रहा है, जिसके चलते प्रतिदिन रेलवे ट्रेक पर बंदर बम बनकर फट रहे है। जिससे ट्रेन हादसे होने की पूरी आशंका बनी हुई है।
रेलवे से मिली जानकारी के अनुसार बंदरों को पोल पर चढऩे से रोकने के लिए रेलवे लाखों रूपए खर्च कर पोल के आसपास में कटीले तार लगाए गए थे, यह कटीले तार भी बंदरों को पोल पर चढऩे से नहीं रोक सके। जिसके बाद में रेलवे प्रशासन की ओर से पोल पर ड्रम लगाने का फैसला लिया गया, जिससे कि इन ड्रमों पर बंदर चढ़ न सके। जिसको लगाने का ठेका हैदराबाद की कंपनी को दिया गया। कंपनी द्वारा अपना काम भी पूरा कर दिया, लेकिन फिर बंदरों ने पोल पर चढऩे का एक नया रास्ता निकाल लिया, बंदर अब पोल पर लगे स्टे के सहारे चढ़ रहे है। जहां पर २५ हजार किलो वॉट की लाइन के संपर्क में आने से बंदर बम की तरह फट रहे हंै। जिसके चलते २५ हजार की लाइन ऑटो कट प्रणाली के चलते कुछ ही सेकेंड में विद्युत प्रवाह बंद हो जाती है, ऐसे में चलती हुई ट्रेन में अचानक लाइन बंद हो जाने से इलेक्ट्रिक इंजन में लगी पांचों मोटरंे बंद हो जाती है, जिससे इंजन की ताकत कम हो रही है, ऐसे में मरामझिरी के घाट सेक्शन में हादसे होने का पूरा अंदेशा है।
बैंकर के सहारे चलता है काम
धाराखोह स्टेशन पर पदस्थ पाइंट्स मेन दुर्गेश राठौर, अशोक ठाकरे और राधे निमले ने बताया कि आए दिन बंदर खंभों पर चढ़ जाते है। बंदरों की पूछ विद्युत लाइन के संपर्क में आने से जोरदार आवाज के साथ में बम की तरह से फटकर नीचे गिर जाते है। हादसे के चलते विद्युत प्रणाली कुछ समय के लिए ऑटों कट हो जाती है। रेलवे की ओर से बंदरों को खंभे तक पहुंचने के लाख जतन किए जा रहे है, जिसके बाद भी इन बंदरों को खंभों पर चढ़ऩे से नहीं रोक पा रहे है। ऐसे में आए दिन हादसे हो रहे है। ऐसे में कई बार बैकरों के सहारे गाडिय़ों आगे बढ़ पाती है।
इन स्टेशनों पर बंदरों की संख्या अधिक
मरामझिरी से घोड़ाडोंगरी तक का क्षेत्र जंगली एरिया, घोड़ाडोंगरी से कीरतगढ़ स्टेशन तक जंगली क्षेत्र है। जहा पर हजारों की संख्या में बंदर रेलवे लाइन के किनारे आ रहे है। वहीं बरसाली स्टेशन के पास में भी बंदर रेलवे ट्रेक पर आ जाते है, जो चहल कदमी करते हुए खंभे पर चढ़ कर हादसे का शिकार हो रहे हंै। रेलवे अधिकारियों ने बताया कि बंदर अक्सर खाने की तलाश में रेलवे लाइन पर आते है। खेलते-खेलते खंभों के ऊपर चढऩे से हादसे का शिकार हो जाते है।
कटीले तार के बाद में लगे ड्रम
रेलवे अधिकारियों ने बताया कि बंदरों को पोल पर चढऩे से रोकने के लिए पहले डेढ़ फिट की कटीले तार लगाए गए थे, जिस पर बंदर आसानी से चढ़ रहे थे, जिसके बाद में रेलवे द्वारा बड़े पोल पर ६५ किलो वजनी ड्रम लगाए , जिसकी कीमत करीब साढ़े छह हजार है। वहीं छोटे सिंग्नल पोल पर ३५ किलो वजनी पोल लगाए गए है, जिसकी कीमत करीब ३५ साढ़े तीन हजार है, जिसके के बाद भी पोल पर बंदर आसानी से चढ़ जा रहे है।
पांच हजार टन की मालगाडिय़ों को अधिक खतरा
धाराखोह से मरामझिरी १३ किमी है। १३ किमी पूरा घाट सेक्शन है। ऐसे में धाराखोह से मरामझिरी को आने वाली मालगाडिय़ों की अचानक बिजली बंद होने पर हादसा होने का अधिक अंदेशा है। बताया जा रहा है कि अचानक ही बिजली बंद हो जाने से इंजन में लगी पांचों मोटरे बंद हो जाती है। चक्के थम जाते है। ऐसे में ट्रेनों के पीछे जाने की संभावना अधिक होती है।
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