अब सरकारी स्कूलों में भी पहली कक्षा की जगह होगी नर्सरी क्लास
नर्सरी कक्षाएं प्राथमिक स्कूलों में ही संचालित की जाएगी
नर्सरी कक्षाएं प्राथमिक स्कूलों में ही संचालित की जाएगी
बैतूल. जिले के प्राथमिक एवं माध्यमिक स्कूलों में छात्रों की दर्ज संख्या में लगातार गिरावट आ रही है। बीते तीन सालों के शैक्षणिक सत्र का यदि आंकलन किया जाए तो 14 हजार 821 छात्र दर्ज संख्या में गिरावट आई है। वहीं अशासकीय स्कूलों में तीन सालों में दर्ज संख्या 2854 बढ़ी है। सरकारी स्कूलों में कक्षा पहली में कम होती दर्ज संख्या के देखते हुए राज्य शिक्षा केंद्र अब नर्सरी का फार्मूला लागू करने जा रहा है। यानि अब सरकारी स्कूलों में कक्षा पहली की जगह नर्सरी होगी। जिसमें 4 साल के बच्चों को प्रवेश दिया जाएगा। नर्सरी कक्षाएं प्राथमिक स्कूलों में ही संचालित की जाएगी।
245 स्कूलों में बनेगी नर्सरी कक्षाएं
जिले के 240 स्कूलों का चयन नर्सरी कक्षाओं के संचालन के लिए किया गया है। जिला शिक्षा केंद्र के मुताबिक ऐसी बसाहटें जहां दस से अधिक छात्र-छात्राएं चिन्हाकित किए गए हैं वहां प्री प्रायमरी स्कूल (नर्सरी) खोले जाना है। यह नर्सरी स्कूल उक्त बसाहटों से लगे प्राथमिक स्कूलों में ही संचालित होंगे। नर्सरी स्कूल खोले जाने का उद्देश्य सरकारी स्कूलों की दर्ज संख्या में साल दर साल कमी आना बताया जा रहा है। जिसके चलते सरकार ने सरकारी स्कूलों में भी नर्सरी कक्षाएं संचालित किए जाने का निर्णय लिया है। चार वर्ष की आयु या उससे अधिक आयु वर्ग के बच्चों को इन नर्सरी स्कूलों में एडमिशन दिया जाएगा। हालांकि जो निजी स्कूल संचालित हो रहे हैं उनमें तीन साल की उम्र में ही बच्चों को एडमिशन दे दिया जाता है। ऐसे में सरकारी स्कूलों में नर्सरी कक्षा से दर्ज संख्या में सुधार को लेकर भी प्रश्न चिन्ह बना हुआ है।
प्रत्येक नर्सरी केंद्र के लिए 50 हजार की मांग
जिले में 245 स्कूलों में नर्सरी कक्षा के संचालन का प्रस्ताव लिया गया है। नर्सरी कक्षाओं के संचालन के लिए राज्य शिक्षा केंद्र से प्रत्येक के लिए सालाना ५० हजार रुपए ्रअतिरिक्त बजट की मांग की है। यानि 245 नर्सरी कक्षाओं के लिए ५०-५० हजार रुपए का अतिरिक्त बजट मांगा गया है। स्कूल से ही बच्चों को नि:शुल्क पुस्तकें भी दी जाएंगी। जिला शिक्षा केंद्र ने जिले की वार्षिक कार्य योजना में भी इसका प्लान बनाकर मंजूरी के लिए शासन को भेजा है। यदि बजट में यह प्रस्ताव मंजूर हो जाता है तो इसी सत्र से सरकारी स्कूलों में भी नर्सरी के लिए एडमिशन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। जिससे आंगनबाड़ी जाने वाले बच्चे भी चार साल की उम्र के बाद सीधे स्कूल में एडमिशन ले सकेंगे। वर्तमान में सरकारी स्कूलों पांच साल की उम्र पूरी करने के बाद एडमिशन दिया जाता है।
जिले में 11 नए अशासकीय स्कूलों की संख्या बढ़ी
जिले में बीते तीन सालों के दौरान अशासकीय स्कूलों की संख्या में भी बढ़ोत्तरी हुई है। वर्ष २०१७-१८ में जहां अशासकीय स्कूलों की संख्या ३४९ हुआ करती थी। वहीं वर्ष २०१९-२० में इनकी संख्या बढ़कर ३६० पर पहुंच गई है। जबकि शासकीय स्कूलों की संख्या यथावत बनी हुई है। वर्तमान में शासकीय स्कूलों की संख्या २ हजार ८४५ बताई जाती है। स्कूलों की सर्वाधिक संख्या ३८९ भीमपुर में बताई जाती है। इसके अलावा बैतूल में ३८७, घोड़ाडोंगरी में ३४१ एवं आमला में ३१३ स्कूलों की संख्या बताई जाती है।
तीन सालों में 14 से अधिक घट गई दर्ज संख्या
जिले के प्राथमिक एवं माध्यमिक शाला में दर्ज छात्र संख्या में सालाना गिरावट आ रही है। बीते तीन सालों के आंकड़ों का तुलनात्मक अध्ययन किया जाए तो १४ हजार ८२१ दर्ज संख्या घटी है। इसके विपरित अशासकीय स्कूलों में बीते तीन सालों में छात्र दर्ज संख्या २ हजार ८५७ तक बढ़ गई है। शैक्षणिक सत्र वर्ष २०१९-२० की बात करें तो जिले में कुल दर्ज संख्या १ लाख ५७ हजार ४८५ थी। जबकि वर्ष २०१७-१८ में दर्ज छात्र संख्या १ लाख ७२ हजार ३०६ हुआ करती थी। इसी प्रकार अशासकीय शालाओं में वर्ष २०१९-२० में दर्ज छात्र संख्या ६१ हजार ५६४ हैं। जबकि वर्ष २०१७-१८ में यह महज ५८ हजार ७०७ हुआ करती थी। अशासकीय स्कूलों की दर्ज छात्र संख्या में २८५७ की बढ़ोत्तरी हुई है।
इनका कहना है
सरकारी स्कूलों में नर्सरी कक्षाओं का संचालन किया जाना है। इसके लिए वार्षिक कार्ययोजना में बजट की मांग की गई है। जिले में नर्सरी कक्षाओं के संचालन के लिए २४५ स्कूलों का चयन भी किया गया है।
आरडी बोडख़े, डीपीसी जिला शिक्षा केंद्र बैतूल
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