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बेतुल

मरीजों को एंटीबायोटिक सहित सर्दी-खांसी की दवाएं तक नहीं मिल रही

– जिले के प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में एंटीबायोटिक दवाईयों का टोटा- मौसम के बदलने से अस्पतालों में बढ़ी मरीजों की संख्या

बेतुलDec 13, 2019 / 11:12 pm

yashwant janoriya

मौसम के बदलने से अस्पतालों में बढ़ी मरीजों की संख्या

मौसम के बदलने से अस्पतालों में बढ़ी मरीजों की संख्या

बैतूल. मौसम का मिजाज बदला तो अस्पतालों में मरीजों की संख्या भी बढ़ गई लेकिन मरीजों की संख्या के अनुपात में दवाईयों का स्टॉक तेजी से कम होता नजर आ रहा है। जिले के प्राथमिक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में एंटीबायोटिक दवाईयों का टोटा पड़ गया है। कफ सीरप एवं सर्दी-खांसी की दवाएं तक उपलब्ध नहीं है। ऐसे में मरीजों को बाहर से दवाएं खरीदना पड़ रही है। हालांकि जिला अस्पताल में भी तीन-चार ऐसी दवाएं हैं जो फिलहाल उपलब्ध नहीं है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा करीब 25 प्रकार की दवाईयों की डिमांड एमपीपीएससीएल भोपाल को भेजी गई है।
स्वास्थ्य केंद्रों में दवाओं का संकट
जिले के प्राथमिक एवं माध्यमिक स्वास्थ्य केंद्रों में दवाईयों को लेकर संकट बना हुआ है। खासतौर पर एंटीबायोटिक दवाओं की कमी है। हालांकि अन्य एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल होना बताया जा रहा है लेकिन प्रचलन में इस्तेमाल की जाने वाली एंटीबायोटिक मौजूद नहीं है। जिसके कारण मरीजों को बाजार से दवाएं बाहर से लेना पड़ रही है। वैसे जिला अस्पताल में सभी प्रकार की दवाईयां उपलब्ध कराई जा रही है क्योंकि यहां जिले भर से मरीज इलाज के लिए आते हैं। इसलिए सभी की नजर यहां रहती है।
डेढ़ महीने पहले करते हैं ऑर्डर
सीएमएचओ कार्यालय की माने तो दवाईयों का स्टॉक कम होते ही डेढ़ महीने पहले ही दवाईयों की डिमांड एमपीपीएससीएल भोपाल को भेज दी जाती है। कार्पोशन से ही दवाईयों की सप्लाई प्रदेश के समस्त जिलों को की जाती है। इस बार स्वास्थ्य विभाग द्वारा दवाईओं की डिमांड भेजी गई है लेकिन अभी तक दवाईयां नहीं पहुंच सकी है और जो स्टॉक मौजूद हैं वह भी धीरे-धीरे कम होता जा रहा है। प्राथमिक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में ज्यादातर दवाओं का टोटा बना हुआ है। खासकर एंटीबायोटिक दवाएं उपलब्ध नहीं है। कुछ माह पहले भी दवाईयों का टोटा पड़ गया था।
मौसम के मिजाज बदलने से बढ़ी मरीजों की संख्या
मौसम का मिजाज बदलने से मरीजों की संख्या भी दोगुना इजाफा हो गया है। जिला अस्पताल में प्रतिदिन ओपीडी में मरीजों की संख्या 700 से 800 के बीच पहुंच गई है। इनमें से ज्यादातर मरीज मौसमी बीमारियों के सामने आ रहे हैं। सर्दी-खांसी, जुखाम, बुखार सहित अन्य बीमारियों के मरीजों की संख्या बढ़ी है। जिसके कारण दवाईयों की खपत भी दोगुनी हो चली है। यही कारण है कि विभाग को रूटीन दवाईयों के लिए डिमांड भेजना पड़ रही है। जिला अस्पताल के औषधी भंडारण कक्ष द्वारा 20 से 25 प्रकार की दवाईयों की डिमांड भेजी गई है।
तीन सौ प्रकार की आती है दवाईयां
दवा कार्पोरेशन से करीब 300 प्रकार की दवाईयों की सप्लाई की जाती है। इन्हें दवाईयों को डॉक्टरों द्वारा मरीजों को लिखा जाता है। इनमें से कुछ दवाईयां ऐसी भी है जिनका कभी उपयोग ही नहीं होता है। इसलिए उन्हें मंगवाया ही नहीं जाता है। स्वास्थ्य विभाग की माने तो करीब २५ से ३० प्रकार की दवाईयां ऐसी है जिनका इस्तेमाल मेडिकल कॉलेजों में किया जाता है इसलिए उन दवाईयों की डिमांड नहीं की जाती है। बजट के अनुरूप ही दवाईयों की डिमांड की जाती है। जिला अस्पताल के औषधी भंडारण कक्ष के लिए अप्रैल माह में दवाईयों की खरीदी के लिए ४० लाख रुपए का बजट भेजा गया था। बजट के अनुरूप ही दवाईयों की डिमांड की गई थी।
इनका कहना
एंटीबायोटिक दवाईयां कई प्रकार की आती है। जो नहीं है उनके बदले में दूसरी एंटीबायोटिक दी जा रही है। वैसे दवाईयां खत्म होने के डेढ़ माह पहले ही हमारे द्वारा कार्पोरेशन को डिमांड भेज दी जाती है। वहां से जब दवाईयां आती है तो सभी केंद्रों पर भेज दी जाती है।
– जीसी चौरसिया, सीएमएचओ स्वास्थ्य विभाग बैतूल
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