पढ़े, नगरपालिका में क्यों स्टोरेज किया जा रहा ३०० लीटर डीजल
नगरपालिका में छोटे कचरा वाहनों के संचालन के लिए पर्ची सिस्टम के आधार पर पेट्रोल पंप से डीजल भरने की व्यवस्था थी लेकिन इस व्यवस्था में गड़बड़ी का अंदेशा जातते हुए इसे अचानक बंद कर दिया गया। अब नगरपालिका में डीजल का स्टॉक कर वहां से वाहनों चालकों को डीजल वितरण किया जाता है
बैतूल। नगरपालिका में छोटे कचरा वाहनों के संचालन के लिए पर्ची सिस्टम के आधार पर पेट्रोल पंप से डीजल भरने की व्यवस्था थी लेकिन इस व्यवस्था में गड़बड़ी का अंदेशा जातते हुए इसे अचानक बंद कर दिया गया। अब नगरपालिका में डीजल का स्टॉक कर वहां से वाहनों चालकों को डीजल वितरण किया जाता है, लेकिन यह वितरण व्यवस्था सवालों के दायरे में आ गई है, क्योंकि इसमें डीजल की बंदरबांट होना बताई जा रही है। हालांकि नगरपालिका का कहना है कि लॉग बुक एवं रजिस्ट्रर में डीजल वितरण की पूरी एंट्री की जाती है और हर महीने इसका आडिट होता है इसलिए बंदरबांट या भ्रष्टाचार का सवाल नहीं उठता है, लेकिन एक बड़ा प्रश्न यह है कि नगरपालिका के मेन्युअल में कहीं भी ऐसा उल्लेख नहीं किया गया है कि नगरपालिका भवन के अंदर पेट्रोल-डीजल का स्टॉक किया जाकर वाहनों को अलग से संचालन के लिए दिया जाए। नियम कहता है कि लॉगबुक में एंट्री होने पर पर्ची काटने के बाद पेट्रोल पंप से वाहनों में पेट्रोल भराया जाए लेकिन इस नियम को नजरअंदाज कर नगरपालिका ने स्वयं ही डीजल की सप्लाई शुरू कर दी गई है और बताया यह जा रहा है कि २५०० लीटर डीजल स्टोरेज करके रखा जा सकता है, लेकिन यह नियम आपदा या संकट जैसी स्थिति के लिए लागू होता है।
३०० लीटर हर दूसरे दिन स्टोरेज
नगरपालिका के पास कचरा वाहनों की संख्या २२ बताई जाती है। इनमें डीजल भरने के लिए हर दूसरे दिन ३०० लीटर डीजल ड्रमों में भरकर नगरपालिका के अंदर एक कमरे में स्टॉक किया जाता है। जिसे रोजाना असुरक्षित ढंग से वितरण किया जाता है। प्लास्टिक की बोतलों में वाहन चालक डीजल भरते हैं बाद में यह डीजल वाहनों में डाला जाता है। नगरपालिका का कहना है कि माप से डीजल वाहनों के लिए दिया जाता है, लेकिन नगरपालिका के वितरण व्यवस्था को लेकर सवाल उठ रहे हैं। वहीं लॉग बुक में की जाने वाली एंट्री भी संदेह के दायरे में हैं।
इनका कहना
– छोटे वाहनों के कारण पेट्रोल पंप पर भीड़ हो जाती थी इस वजह से उन्हें नगरपालिका के स्टोर से डीजल का वितरण किया जाता है। डीजल वितरण का रजिस्ट्रर मेंटेन किया गया है लॉग बुक में भी एंट्री होती है और हर महीने आडिट किया जाता है। इसलिए कोई बड़बड़ी नहीं हो सकी है।
– संतोष धनेलिया, स्वच्छता निरीक्षक नगरपालिका बैतूल।
वाहनों के लिए दिए जा रहे डीजल खबर में वर्जन लगाए
– छोटे वाहनों के पेट्रोल पंप तक आने-जाने में फिजूल डीजल खर्च होता था। इस वजह से स्टाक की व्यवस्था की गई। हम अपनी देखरेख में डीजल का वितरण वाहनों के लिए करते हैं। अन्य नगरपालिकाओं में भी यह सिस्टम लागू हैं। जो भी डीजल दिया जाता है बकायदा उसकी लॉगबुक में एंट्री होती है।
– प्रियंका ङ्क्षसह, सीएमओ नगरपालिका बैतूल।
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