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बेतुल

स्कूल ड्रेस की जिम्मेदारी फिर स्व सहायता समूहों के कंधों पर

दो साल पहले भी स्वसहायता समूहों को सौंपी थी जिम्मेदारी लेकिन व्यवस्था फेल हो गई थी

बेतुलJul 06, 2020 / 01:45 pm

yashwant janoriya

दो साल पहले भी स्वसहायता समूहों को सौंपी थी जिम्मेदारी लेकिन व्यवस्था फेल हो गई थी

दो साल पहले भी स्वसहायता समूहों को सौंपी थी जिम्मेदारी लेकिन व्यवस्था फेल हो गई थी

बैतूल. जिले की प्राथमिक एवं माध्यमिक शालाओं में पढऩे वाले छात्रों को स्कूल यूनिफार्म के लिए अब खाते में राशि नहीं डाली जाएगी। बल्कि उन्हें दो जोड़ी रेडिमेट ड्रेस स्कूल से प्रदान की जाएगी। सरकार ने एक बार फिर स्कूल यूनिफार्म बनाने की जिम्मेदारी स्वसहायता समूहों को सौंपी दी गई। दो साल पहले भी यह नवाचार किया गया था लेकिन लेटलतीफी के चलते यह सफल नहीं हो सका और साल के आखिरी महीनों में छात्रों को यूनिफार्म नसीब हो सके थे। जिसके बाद पिछले साल इस व्यवस्था को बंद कर सीधे छात्रों के खातों में यूनिफार्म की राशि डाली गई थी लेकिन इस साल पुन: स्वसहायता समूहों को यूनिफार्म सिलने का काम सौप दिया गया है। हालांकि अभी सिलाई का काम शुरू नहीं हुआ है शासन स्तर से अभी सिलाई कार्य करने वाले स्वसहायता समूहों की जानकारी भर जुटाई जा रही है। ऐसे में इस साल भी छात्रों को साल के अंत में ही यूनिफार्म नसीब हो सकेगी।
दो साल से बदल रही गणवेश वितरण की व्यवस्था
राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा कक्षा पहली से आठवीं तक के छात्र-छात्राओं को हर साल नि:शुल्क गणवेश वितरण किया जाता है, लेकिन पिछले दो सालों से इस व्यवस्था में बदलाव किए जा रहे हैं। पूर्व में गणवेश खरीदी के लिए मेले का आयोजन किया जाता था और शिक्षक मेले में पहुंचकर गणवेश की गुणवत्ता परख कर खरीदारी करते थे, लेकिन इसमें फर्जीवाड़े की शिकायतें सामने आने के बाद शासन ने इस प्रक्रिया को बंद कर सीधे छात्रों के बैंक खातों में दो जोड़ी गणवेश की राशि डालना शुरू कर दिया। यह व्यवस्था लंबे समय तक चली, लेकिन दो साल पहले सरकार ने इस व्यवस्था को बदलते हुए स्वसहायता समूहों को गणवेश सिलाई का काम सौंप दिया। ताकि समूहों में कार्यरत महिलाओं की आय हो सके, लेकिन सरकारी कागजी प्रक्रिया में लेटलतीफी होने के चलते समूहों का काम देरी से शुरू हुआ। स्कूल खुलने के बाद भी छात्रों को यूनिफार्म नसीब नहीं हो सके थे। शैक्षणिक सत्र के अंत तक स्कूलों में समूहों के माध्यम से यूनिफार्म सिलाकर भेजी जाती रही। जिसके कारण पहलेे ही साल में यह व्यवस्था फेल हो गई। जिसे बंद कर पुन: छात्रों के बैंक खातों में राशि डालने की प्रक्रिया शुरू की गई।
समूहों को दूसरी बार सौंपी जिम्मेदारी
स्व सहायता समूहों को यूनिफार्म सिलाई की जिम्मेदारी दूसरी बार सौंपी जा रही है। कोविड 19 की वजह से जो बेरोजगारी फैली हैं उसे देखते हुए शासन द्वारा स्वसहायता समूहों को काम दिए जाने के लिए यूनिफार्म सिलाए जाने का निर्णय लिया है। यही कारण है कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए यूनिफार्म सिलाई को लेकर गाइडलाइन भी जारी की गई है। गाइडलाइन के मुताबिक एकीकृत सिलाई केंद्रों पर न्यूनतम 30 सदस्यों की बैठक व्यवस्था होगी। समूह के सदस्यों की संख्या अधिक होने पर गणवेश केंद्र पर सिलाई कराकर पहले गुणवत्ता का स्तर समझाया जाएगा फिर शेष कार्य गृह से कर केंद्र जमा कराने के निर्देश दिए जाएंगे। एकीकृत सिलाई केंद्र के माध्यम से प्रति शाला निर्मित गणवेश की सप्लाई शाला प्रबंधक समिति को 90 दिवस के भीतर की जाना अनिवार्य होगा। स्वसहायता समूह में ऐसे सदस्य जो सिलाई का कार्य नहीं करते हैं उन्हें उनकी सहमति अनुसार पैकिंग व अन्य कार्य जैसे बटन टाकना आदि में संलग्न किया जाए।

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