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बेतुल

ई-वेस्ट और घरों से निकलने वाले कचरे को नष्ट करने के नहीं हैं संयंत्र

– अमानक पॉलिथीन और प्लॉस्टिक से पर्यावरण को हो रहा नुकसान

बेतुलJun 04, 2023 / 09:06 pm

rakesh malviya

ई-वेस्ट और घरों से निकलने वाले कचरे को नष्ट करने के नहीं हैं संयंत्र

शहर के मुक्तिधाम के सामने प्राइवेट अस्पतालों से निकलने वाले बायो मेडिकल वेस्ट को फेंका जाता है।

हरदा. आज के आधुनिक युग में प्लॉस्टिक, पॉलिथीन का उपयोग धड़ल्ले से हो रहा है, जिसके दुष्परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ हमारे घरों में उपयोग करने के बाद इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स सामानों को फेंक देते हैं, वहीं बेकार फेंका हुआ सामान ई-वेस्ट यानी इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट है. यह पर्यावरण के लिए परेशानी बनते जा रहे हैं. शहर में प्लॉस्टिक अथवा ई-वेस्ट को नष्ट करने के लिए नगर पालिका के पास कोई संयंत्र नहीं है. वहीं अन्य गीला और सूखा कचरा के निपटान के लिए टे्रेचिंग ग्राउंड एवं कचरे को नष्ट करने के लिए प्लांट भी नहीं लगाया गया है।
पर्यावरण के लिए घातक हो रहे प्लास्टिक और ई-वेस्ट
जानकारी के मुताबिक शहर में घरों एवं बाजारों से करीब 18 टन कचरा निकल रहा है. जिसे नगर पालिका के वाहन घर-घर जाकर संग्रहित करते हैं, वहीं अन्य कचरा बाजार से उठाया जाता है. गीले और सूखे कचरे में इलेक्ट्रानिक सामान भी शामिल है. मगर शहर में उक्त दोनों ही कचरों के निपटान के लिए कोई इंतजाम नहीं है. आज भी शहर से निकलने वाला कचरा मुक्तिधाम के सामने फेंका जा रहा है. जिसमें आग लगाने पर इसका धुओं लोगों के घरों तक पहुंचता है. शहर के लोग कचरे की वजह से बेहद परेशान हैं. इधर, मोबाइल, लैपटॉप, पीसी, टीवी, एसी, रेफ्रिरेटर, मिक्सर, ग्राइंडर सहित न जाने कितनी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज हमारी जिंदगी को आसान बना रही हैं, ये बेकार होने पर ये चीजें ई-वेस्ट होने पर पर्यावरण के लिए भी घातक होती जा रही हैं.
हर दिन 4 लाख की अमानक पॉलिथीन और प्लास्टिक का उपयोग
सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी देशभर में अमानक पॉलिथीन और प्लास्टिक, डिस्पोजल के उपयोग पर पूरी तरह से प्रतिबंध नहीं लग पाया है. यही हाल हरदा जिले के भी है. शहर की सब्जी दुकानों, होटलों, किराना दुकाना, फल दुकानों सहित अन्य जगहों पर अमानक पॉलिथीन का उपयोग धड़ल्ले से चल रहा है. वहीं शादियों व अन्य कार्यक्रमों में प्लास्टिक के डिस्पोजलों का भी इस्तेमाल कर सडक़ों पर फेंका जा रहा है, जिन्हें मवेशियों द्वारा खा लिए जाने से उनकी मौत भी हो रही है. जिले में रोजाना करीब 4 लाख रुपए की अमानक पॉलिथीन और प्लास्टिक, डिस्पोजल का उपयोग हो रहा है. वहीं नालियों के पानी को चोक कर देती हैं और मिट्टी में दबने से बारिश का पानी भी जमीन में नहीं रिस पा रहा है। इधर, नपा आए दिन अभियान चलाकर दुकानों से पॉलिथीन जब कर दुकानदारों पर हजारों रुपए का जुर्माना किया जाता है, लेकिन इसके बावजूद बाजार में इसके उपयोग पर रोक नहीं लग पा रही है।
नपा में बेकार पड़ी बॉटल नष्ट करने वाली मशीन
जिले में अमानक पॉलिथीन के उपयोग के साथ ही प्लास्टिक की पानी की बोतलों का भी जमकर उपयोग हो रहा है. नपा ने इस वर्ष प्लास्टिक की बॉटलों को नष्ट कर रिसाइकिल करने के लिए मशीन खरीदी थी. नपा परिसर में एक कार्यक्रम के दौरान इस मशीन में प्लॉस्टिक की बॉटलों को डालकर नष्ट करने के बारे में बताया गया था. किंतु इसके बाद से शहर में इस मशीन का कहीं कोई उपयोग होता नहीं दिखा. आज यह मशीन नपा के स्टोररूम के पास धूल खा रही है. मगर नपा के अधिकारी मशीन का उपयोग करने के लिए स्थापित नहीं किया जा रहा है.
सीहोर भेजते हैं बॉयो वेस्ट मटेरियल
जिले की सरकारी अस्पताल से रोज निकलने वाले बॉयो वेस्ट मटेरियल को प्रबंधन सीहोर भेजता है. प्रबंधन ने इसके लिए सीहोर की एजेंसी से अनुबंध किया है. बॉयो वेस्ट मटेरियल लेने के लिए रोज यहां पर वैन आती है, जिसमें बॉयो वेस्ट दिया जाता है. प्रबंधन के दावे के अनुसार तय मानकों के अनुसार बॉयो वेस्ट अलग-अलग पॉलीथिन में एकत्रित करके रखा जाता है. जिससे इंसीनेटर में उसका वैज्ञानिक तरीके से निष्पादन हो सके. हालांकि इस सच्चाई यह भी है कि जिला मुख्यालय पर ही शिवम वाटिका सहित अन्य क्षेत्रों और कॉलोनियों की तंग गलियों में संचालित निजी नर्सिंगहोम से निकलने वाले बॉयो वेस्ट को नपा की कचरा ट्रॉली में ही रोज डाला जाता है, जिसे रोज मुक्तिधाम के सामने अन्य साधारण कचरे के साथ फेंक दिया जाता है।
एक्सपर्ट कमेंट्स
इलेक्ट्रॉनिक कचरे में जहरीले घटक होते हैं, जो मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक होते हैं. जैसे सीशा, कैडमियम, पॉलीब्रोमिनेटेड फ्लेम रिटार्डेंट्सए बेरियम और लिथियम ज्यादा घातक होते हैं। मनुष्यों पर इन विषाक्त पदार्थों का नकारात्मक प्रभाव सेमस्तिष्क, हृदय, यकृत, गुर्दे और कंकाल प्रणाली की क्षति होने की आंशका रहती है। इनका सही वैज्ञानिक और आधुनिक तरीके से नष्टीकरण होना चाहिए।
हेलेश्वर चंद्रोसा, छत्तीसगढ़ रिन्युअल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी

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