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बेतुल

नीली स्याही, मिट्टी और चमकविहीन के खेल में रिजेक्ट हुआ हजारों क्विंटल गेहूं

10 हजार क्विंटल से अधिक गेहूं रिजेक्ट

बेतुलJun 06, 2020 / 10:12 pm

yashwant janoriya

10 हजार क्विंटल से अधिक गेहूं रिजेक्ट

10 हजार क्विंटल से अधिक गेहूं रिजेक्ट

बैतूल. समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी में इस साल नीली स्याही, मिट्टी और चमकविहीन के खेल में सैकड़ों किसानों का हजारों क्विंटल गेहूं फेल हो गया है।सरकारी रिकॉर्ड में करीब १० हजार ३१३ क्विंटल गेहूं फेल होना बताया जा रहा है।
दरअसल, में गेहूं उपार्जन दौरान समिति प्रबंधकों ने आंख बंद करके किसानों का गेहूं तो खरीद लिया, लेकिन भंडारण के लिए जब यह गेहूं एफसीआई और वेयरहाउस के गोदामों में पहुंचा तो वहां क्वालिटी टेस्ट में फेल होने के कारण इसे वापस लौटा दिया गया। वहीं समिति प्रबंधकों द्वारा बारदानों में नीली स्याही की जगह लाल स्याही का ठप्पा लगाने से भी किसानों को नुकसान उठाना पड़ा है। जिससे खरीदी प्रक्रिया को लेकर ही सवाल उठ खड़े हुए हैं। यही कारण है कि किसानों को खरीदे गए गेहूं का भुगतान भी अभी तक नहीं हो सका है।
जिले के 79 खरीदी केंद्रों पर इस साल समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी 21 हजार 667 किसानों से की गई। 26 मई तक कुल 1 लाख 23 हजार 126 मीट्रिक टन गेहूं खरीदा गया है। गेहूं खरीदी के अंतिम दिन कुल 338 किसानों लेकर पहुंचे थे। कुल खरीदे गए गेहूं में से 10 हजार क्विंटल गेहूं रिजेक्ट हो गया है। गेहूं को रिजेक्ट किए जाने के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं। एमपी स्टेट सिविल सप्लाई कॉपोरेशन लिमिटेड के मुताबिक एफसीआई और वेयरहाउस द्वारा क्वालिटी कंट्रोल की जांच के बाद 21 खरीदी केंद्रों का 10 हजार 313 क्विंटल 78 किलो गेहूं रिजेक्ट किया है। इस गेहूं को वापस समितियों को लौटा दिया गया है।
नीली स्याही के खेल में उलझा गया गणित
समर्थन मूल्य पर सरकारी गेहूं खरीदी में बारदानों पर ठप्पा लगाने के लिए इस साल सरकार ने नीली स्याही का उपयोग किए जाने के निर्देश जारी किए थे। सभी खरीदी केंद्रों को निर्देश दिए गए थे कि सरकारी खरीदी के बोरों में नीली स्याही से ही ठप्पा लगाया जाए, लेकिन कई खरीदी केंद्रों पर स्याही खत्म होने के बाद दोबारा नहीं मिलने पर लाल स्याही से बारदानों पर ठप्पा लगा दिया गया। जबकि लाल स्याही का उपयोग निजी खरीदी के लिए निर्धारित किया गया था। ऐसे में लाल स्याही वाले जितने भी बारदानों में गेहूं भरा था उन्हें गोदाम से रिजेक्ट कर वापस लौटा दिया गया। करीब तीन से चार ट्रक गेहूं लौटाया गया है जिनके बारदानों में गलत स्याही का इस्तेमाल किया था।
समिति प्रबंधकों की लापरवाही सामने आई
शासन ने समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी को लेकर पहले ही गाइड लाइन जारी कर दी थी। बावजूद इसके कुछ समिति प्रबंधकों द्वारा आंख बंद करके गेहूं की खरीदी की गई। चमकविहीन सहित मिट्टीयुक्त गेहूं तक खरीद लिया गया। हालांकि चमकविहीन गेहूं की खरीदी के निर्देश शासन ने जारी किए थे लेकिन शासन ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि ७०त्न से अधिक गेहूं चमकविहीन नहीं होना चाहिए लेकिन इसकी आड़े में आंख बंद करके खरीदी कर ली गई। नतीजा यह हुआ कि गेहूं वेयर हाउस में पहुंचने के बाद फेल हो गया। जिन किसानों का गेहूं रिजेक्ट हुआ है अब उनका गुस्सा समिति प्रबंधकों पर फूट रहा है।
चमकविहीन व मिट्टी युक्त गेहूं भी लौटाया
गेहूं खरीदी के दौरान कई समिति प्रबंधकों द्वारा किसानों से 70 प्रतिशत से अधिक चमकविहीन और मिट्टी युक्त गेहूं की खरीदी कर ली गई थी। बगैर छन्ना लगवाए ही गेहूं को बोरियों में भरकर वेयर हाउस भेजा जा रहा था। वेयर हाउस में भंडारण से पहले जब गेहूं की बोरियों को चेक किया गया तो उसमें ७० प्रतिशत से अधिक चमकविहीन वाला गेहूं और मिट्टी पाई गई। जिसके कारण गेहूं को वापस लौटा दिया है। मिट्टी युक्त गेहूं को छन्ना लगाकर दोबारा लिया जा सकता है लेकिन चमकविहीन गेहूं को पूरी तरह से रिजेक्ट कर दिया गया है। ऐसे में किसानों के सामने गेहूं नहीं बिकने से संकट खड़ा हो गया है।
इनका कहना है
समर्थन मूल्य पर जो गेहूं खरीदा गया था उसे भारतीय खाद्य निगम द्वारा क्वालिटी युक्त न पाए जाने पर रिजेक्ट कर दिया गया था। बाद में साफ करवाकर गेहूं ले लिया गया है।
वायपी त्रिपाठी, जिला प्रबंधक एमपी स्टेट सिविल सप्लाई कॉर्पोरेशन बैतूल

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