जानकारी के अनुसार भदोही जिले के शहरी क्षेत्रों में 18 आशा बहुओं का चयन किया गया था। चयन के बाद से ही चयन प्रक्रिया में अनियमितता की शिकायतें निरंतर मिल रही थी। शिकायतों का संज्ञान लेकर प्रशासन ने नियुक्ति की जांच कराई, जिसमें आरोप सही पाए गए। जॉच के दौरान तीन शहरी आशाओं का चयन निरस्त करते हुए 15 शहरी आशाओं से कार्य लेने हेतु जिला स्वास्थ्य समिति शासी निकाय की बैठक में 30 दिसम्बर 2016 को निर्णय लिया गया कि तीन की नियुक्ति निरस्त कर दिया जाए। निकाय की बैठक के बाद शेष 15 शहरी आशाओं को कार्य हेतु आदेश जारी किया गया,परन्तु जनता दर्शन एवं तहसील दिवस के आयोजनों में लिखित शिकायतों का सिलसिला जारी रहा। इसके परिणाम स्वरूप मामला जिलाधिकारी के संज्ञान में आ गया। जिलाधिकारी ने भदोही के उप जिलाधिकारी एवं अपर मुख्य चिकित्साधिकारी की संयुक्त जांच टीम बनाकर रिपोर्ट मांगी। दोनों अधिकारियों की जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में नियुक्ति प्रक्रिया में अनिमितता बरते जाने की पुष्टि की। रिपोर्ट को गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी विशाख ने गहन जांच के लिए एक बार फिर जांच टीम बनाई, जिसमें जिले के मुख्य विकास अधिकारी, मुख्य चिकित्साधिकारी एवं भदोही के उपजिलाधिकारी को शामिल किया गया। तीन सदस्यीय टीम ने शहरी आशा चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता के अभाव एवं अनिमितता की पुष्टि की। जांच समिति की रिपोर्ट मिलने पर जिलाधिकारी ने कड़ा रूख अपनाते हुए उक्त भर्ती के माध्यम से नियुक्त 15 शहरी आशाओं की नियुक्तियां तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दीं।
बगैर विज्ञापन हुई थीं नियुक्तियां
इस बारे में जानकारी मिली है कि शहरी आशाओं की नियुक्ति प्रक्रिया का प्रचार प्रसार नही किया गया था, साथ ही इसका विज्ञापन प्रकाशित कराने की भी जरूरत नहीं समझी गई थी। बगैर विज्ञापन की गई इस नियुक्ति की जानकारी सिर्फ स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों तक ही सीमित रही। अभ्यर्थियों को स्थानीय होने की चयन में शर्त थी, लेकिन जांच में इसमें भी गड़बड़ी पाई गई है। गौरतलब है कि उक्त भर्ती में विभाग के कुछ कर्मचारियों द्वारा विज्ञापन ना निकाले जाने के कारण गुप्त रह गईं भर्ती प्रक्रिया के मानकों की अनदेखी करते हुए मनमाने तरीके से अभ्यर्थियों को लाभ दिलाया गया। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक चयन प्रक्रिया में कुल 48 अभ्यर्थियों ने भाग लिया था।