दरअसल, रविवार को मतदान के दौरान औराई के लक्ष्मणा बूथ के पीठासीन अधिकारी राधेश्याम ने आरोप लगाया कि भाजपा विधायक दीनानाथ भाष्कर ने बूथ के अंदर घुसकर अपने समर्थकों के साथ मिलकर उन्हें मारा पीटा। जिसपर पीठासीन अधिकारी की शिकायत पर दीनानाथ भाष्कर और उनके समर्थकों पर मुदकमा दर्ज कर लिया गया। इसके बाद बसपा प्रत्याशी रंगनाथ मिश्रा ने विधायक दीनानाथ पर बूथ कैप्चरिंग का आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा हार के डर से भयभीत थी इसलिए विधायक उस बूथ पर पहुंचकर कैप्चरिंग करने की कोशिश की। जब पीठासीन अधिकारी ने इसका विरोध किया तो विधायक ने उनको मारा पीटा। इसके साथ ही रंगनाथ ने भाष्कर पर चंदौली में हुए नरसंहार में इनकी भूमिका संदिग्ध बताते हुए कहा कि जबसे ये भदोही आए हैं तबसे कोटेदारों और अन्य लोगों से वसूली कर रहे हैं और इस बात की शिकायत उनके ही पार्टी के लोग करते हैं।
रंगनाथ मिश्रा ने चुनाव में गड़बड़ी करने का आरोप लगाते हुए भाजपा विधायक पर कड़ी कार्यवाई करने की मांग की है। वहीं पूरे मामले की ओर से सफाई देते हुए भाजपा विधायक दीनानाथ भाष्कर ने पूरे आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि उन्होंने किसी भी कर्मचारी अधिकारी से मारपीट नहीं की है यह पूरा मामला फर्जी है। उन्होंने कहा कि लक्ष्मणा बूथ पर तैनात पीठासीन अधिकारी बसपा के पक्ष में महिलाओं का फर्जी मतदान करा रहा था। बूथ के तमाम मतदाताओं ने इसकी सूचना दी जिसके बाद वह उस बूथ पर पहुंचे थे। लेकिन अपने वाहन से बाहर भी नहीं उतरे थे। उन्होंने इस बात की शिकायत जिला निर्वाचन अधिकारी से की थी। लेकिन बसपा प्रत्याशी की तरफ से पीठासीन अधिकारी पर दबाव बनाकर उससे फर्जी आरोप लगवाए जा रहे हैं। जबकि खुद नियमों का उलंघन कर बसपा प्रत्याशी के पुत्र बूथ के अंदर घुसकर वीडियो बना रहे थे और पीठासीन अधिकारी से फर्जी आरोप लगवाए गए। पीठासीन अधिकारी अनुसूचित जाति का है जबकि उसे ब्राम्हण बताकर वीडियो वायरल कराया गया। भाजपा प्रत्याशी का फर्जी वीडियो और ऑडियो वायरल कराने के साथ फर्जी पर्चे भी बांटे गए। उन्होंने कहा कि बसपा प्रत्याशी रंगनाथ हम लोगों को अपराधी सिद्ध करने पर तुले हैं लेकिन खुद 43 महीने जेल रह कर आये हैं। उनकी फाइल खुल गयी तो दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा।