हस्तनिर्मित कालीनों पर पहले निर्यात प्रोत्साहन राशि मिलती थी, लेकिन जनवरी 2020 में हस्तनिर्मित कालीनों का कोड बदल जाने से प्रोत्साहन राशि पाने के लिए ऑनलाइन क्लेम करने में निर्यातकों को दिक्कतें आने लगी। कालीन निर्यातकों की मानें तो कोड बदल जाने के बाद ऑनलाइन क्लेम के दौरान वेब
साइट पर नया कोड नही दिखाई पड़ता था। ऐसे में तकनीकी कारणों के चलते प्रोत्साहन राशि नही मिल पाती थी।
कालीन निर्यातक तब से ही इसकी मांग कर रहे थे। इसे लेकर निर्यात संगठनों द्वारा लगातार सरकार को पत्राचार किया जा रहा था जिसके बाद अब विदेश व्यापार निदेशालय की ओर से नोटिफिकेशन जारी करते हुए नए कोड को शामिल कर लिया है। अब इस नोटिफिकेशन के जारी होने के बाद निर्यातकों ने राहत की सांस ली है। इस बारे में अखिल भारतीय कालीन निर्माता संघ के पूर्व सचिव पीयूष बरनवाल ने कहा है कि इससे निर्यताको को राहत मिलेगी। जब से हस्तनिर्मित कालीन का कोड बदल गया था उसी समय से निर्यात प्रोत्साहन राशि के क्लेम में दिक्कतें आने लगी थीं। बताते चलें की भारत में कालीन कारोबार तकरीबन 12 हजार करोड़ का है। इसमें अकेले छह हजार करोड़ का कारोबार भदोही परिक्षेत्र का माना जाता है। यहां इससे करीब एक लाख से अधिक लोगों का रोज़गार जुड़ा हुआ है।
By Mahesh Jaiswal