मामल भदोही जिले की औराई कोतवाली अन्तर्गत जाठी गांव का है। वहां ईंट बनाने के एक भट्ठे पर कच्ची ईंटों के लिये कई दूसरी जगहों से मिट्टी खोदकर लायी गयी थी। कुछ बच्चे इसी मिट्टी पर खेल रहे थे कि खेलते-खेलते उन्हें मिट्टी में मुगलकालीन सिक्के मिले। ग्रामीणों का भी यही दावा है कि कुछ बच्चे मिट्टी के पास खेल रहे थे तभी उन्हें वाहां कुछ सिक्के मिले, जिसके बाद लोगों ने मिट्टी को हटाया तो वहां से एक घड़ा मिला। घड़े में सैकड़ों सिक्के थे। जमीन में गड़ा हुआ धन या सिक्का मिल जाए तो क्य होगा, जी हां वही हुआ और इस दौरान जिसके भी हाथ सिक्के लगे वह उसे लेकर चलते बना। गांव के कई लोग हैं जो मिले सिक्को को लेकर सामने आए और उसके मिलने के बारे में बताया। सिक्के चांदी के हैं और ऊस ओर अरबी फारसी भाषा मे कुछ लिखा हुआ है। जिससे अंदेशा लगाया जा रहा है कि यह सिक्के मुगलकालीन के हैं। सिक्को का वजन 12 ग्राम और उससे अधिक भी हैं।
ग्रीमाण लक्ष्मन प्रसाद ने बताया कि जहां ईंट के लिये मिट्टी में लकड़ी से खोदा तो उसे एक सिक्क मिला। उसने कुछ दूसरे लोगों को बताया तो वो लोग भी आए और वहां खोदाई कि तो 50 से 100 सिक्के पाए। बात और फैली तो दूसरे दिन भी लोग आए और फावड़े से खोदायी की तो और लोगों को भी इस तरह के एकाध सिक्के मिले। वजन करने पर एक सिक्का 12 ग्राम का निकला। सिक्के पर उर्दू या फारसी में कुछ लिखा है जो किसी को समझ में नहीं आ रहा है।
By Mahesh Jaiswal