पहले भी उठ चुका है मामला अब्दुल रहमान बनाम राज्य सरकार की याचिका में हाइकोर्ट के सख्त आदेश हैं कि पूरे प्रदेश में तमाम जलाशयों, प्राकृतिक संसाधनों, बहाव क्षेत्र, नदी-नालों, झील-तालाबों के पेटे से अतिक्रमण हटाकर उनकी वर्ष 1947 में रही स्थिति को बहाल किया जाए, लेकिन शहर में नगर निगम, नगर सुधार न्यास व पुलिस की मिलीभगत के कारण गोवर्धन गेट पर ऐतिहासिक नाले का गला ही घोंट दिया गया है। हालांकि हाइकोर्ट के आदेश की पालना प्रशासन राजस्व नक्शों के आधार पर कर सकता है, लेकिन ऐसा नहीं करते हुए अतिक्रमणकारियों को ही छूट दी जा रही है। गोवर्धन गेट क्षेत्र से गुजर रहे ऐतिहासिक नाले पर लोगों की लंबे समय से नजर पड़ी हुई है। वर्ष 2015 से ही इस मामले को लेकर विवाद चल रहा है। इसकी शिकायत भी बार-बार नगर निगम आयुक्त से की जाती रही है, लेकिन नगर निगम व यूआईटी हमेशा ही एक-दूसरे की जमीन बताकर पल्ला झाड़ते रहे हैं।