दरअसल, बीए द्वतीय वर्ष की छात्रा नीतू दूध बेचकर जहां अपने घर को चलाती है तो वहीं पढ़ाई में भी पूरा
ध्यान लगाती है। यहां नीतू के इस हैसले को देखकर हर कोई हैरान है, जबकि उसने साबित कर दिया है, कि हौसले की उड़ान हिम्मत से होती है, बाकी मुश्किलें खुद ही दूर हो जाती है। कुम्हेर उपखण्ड के गाँव भांडोर खुर्द की नीतू शर्मा लगभग 8 साल से दूध बेचने के धंधे से जुड़ी हुई और इसी के जरिए उसके परिवार का पोषण होता है। हर रोज सुबह वह उठकर गांव के घर-घर में जाकर दूध खरीदती है और उसके बाद उसे एक साथ जमाकर शहर बेचने निकल जाती है। तो वहीं ऐसा कर वह इस काम में अपने पिता की मदद भी करती है।
शहर में दूध बेचकर वापस लौटते समय वह अपने किसी रिश्तेदार के घर अपनी दूध की खाली टंकी रख देती है और वही से कपड़े बदकर सीधे अपने कंप्यूटर क्लास की ओर चली जाती है। और अपनी पढ़ाई पूरी कर 12 के बजे के बाद वह घर लौटती है। फिर ये उसके बाद फिर शाम को वह ऐसा ही करती है, जहां वह दूध जमाकर शहर बेचने निकल जाती है। और देश शाम लगभग 7 बजे के आसपास शहर से गांव लौटती है।
एक तरफ नीतू का तंग दिनर्चया होने के बावजूद भी वह अपने पढ़ाई के लिए भी वक्त निकाल लेती है। जहां रात को वह शहर से लौट आने के बाद अपनी पढ़ाई करती है। आज भले ही नीतू अपने समाज में लोगों के लिए एक मिसाल के तौर पर देखी है, लेकिन शुरुआत में ऐसा नहीं था। जब शुरुआत में वह दूध बेचने के लिए बाइक से शहर जाती थी, तो समाज के लोगों ने उसपर तरह-तरह के तंज कसे। बावजूद इसके नूती ने किसी की परवाह नहीं की और अपने काम में लगी रही। पर अब वही लोग उसकी तारीफ करते भी नहीं थकते हैं।