बृज विवि वर्ष 2012 से एमएसजे कॉलेज परिसर में संचालित है। तभी से विवि कॉलेज के भवन के साथ ही विद्युत का उपभोग भी कर रहा है। पूर्व प्राचार्य डॉ. उमेश चन्द्र शर्मा ने भी बकाया बिजली बिल चुकाने के लिए विवि प्रशासन को कईबार पत्र लिखे थे लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। ऐसे में पूर्व प्राचार्य डॉ. शर्मा ने विवि को दिए जाने वाले भूगोल विषय की करीब तीन लाख रुपए प्रायोगिक फीस रोक ली। साथ ही विवि के भवन का विद्युत कनेक्शन काटने के लिए भी जेवीवीएनएल को पत्र लिख दिए थे। प्रायोगिक फीस रुकने के बाद अगले सत्र से विवि ने विद्यार्थियों से प्रवेश आवेदन के समय ही प्रायोगिक फीस ऑनलाइन लेना शुरू कर दिया।
3 साल के विद्युत खर्च का कोई ब्यौरा नहीं
विवि में वर्ष 2015 में सब-मीटर लगवाया गया। तब से विवि के विद्युत खर्च का हिसाब रखा जाने लगा लेकिन सब-मीटर लगने से पहले यानी वर्ष 2012 से 2015 तक का विवि का बिजली खर्चका अलग से कोई हिसाब व ब्यौरा नहीं है। कॉलेज प्रशासन भी 3 साल के खर्चका हिसाब निकालने में जुटा है। मार्च 2015 से मार्च 2019 तक विवि पर करीब सात लाख रुपए बकाया हैं।
बीईएसएल ने क्रेडिट किया, जेवीवीएनएल का बकाया
उधर, बीईएसएल ने एमएसजे कॉलेज का वर्ष 2017-18 का करीब 3.41 लाख रुपए बिजली बिल जनवरी 2019 के बिल में क्रेडिट कर दिया गया है।लेकिन अभी जेवीवीएनएल पर वर्ष2014 से वर्ष 2016 तक का करीब तीन लाख रुपए का बिजली बिल बकाया है।
विवि प्रशासन ने आश्वासन तो कई बार दिया लेकिन बिजली बिल नहीं चुकाया। इसीलिए पूर्वप्राचार्य ने भी विवि की प्रायोगिक फीस रोक ली थी। अब हम आयुक्तालय को पत्र लिखकर सूचित करेंगे। उन्होंने ही कॉलेज परिसर विवि को उपलब्ध कराया था वो ही बिल के भुगतान का रास्ता सुझाएंगे। जेवीवीएनएल के एमडी,एसई व एक्सईएन और बीईएसएल के जिम्मेदारों को भी बकाया बिल के लिए पत्रभेजा है।
ओपी महावर, प्राचार्य, एमएसजे कॉलेज, भरतपुर
डॉ. उमेश चन्द्र शर्मा, पूर्व प्राचार्य, एमएसजे कॉलेज भरतपुर